स्व’ के आत्मबोध से ही भारत बनेगा विश्व गुरु, विश्व कल्याण का करेगा मार्ग प्रशस्त

ग्रेटर नोएडा। ‘स्व’ के आत्मबोध से ही भारत विश्व गुरु बनेगा, क्योंकि भारत का ‘स्व’ ही विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। ‘स्व’ का आत्मबोध नहीं होने के कारण ही भारत को आक्रांताओं और अंग्रेजों ने आपस में लड़ाया और खंड-खंड कर भारत पर वर्षों तक शासन किया। यह विचार प्रेरणा विमर्श-2023 के तीसरे दिन आयोजन के समापन समारोह में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे नंद कुमार ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज का युग सोशल मीडिया का युग है, जहां पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह के विचार हैं । ऐसे में हमें ध्यान देना होगा कि कहीं हम फेक न्यूज के शिकार ना हो जाएं। हमें सोशल मीडिया पर कोई भी बात लिखने से पहले यह जांच कर लेना चाहिए कि वह सही है या गलत। फेक न्यूज से गलत विमर्श की शुरुआत हो सकती है।
सोशल मीडिया पर सनातन धर्म का पक्ष-प्रतिपक्ष की स्थिति विषय पर अपना विचार प्रकट करते हुए नमो एप के टेक्नोक्रेट अनित्य श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय सोशल मीडिया एक अच्छा स्थान है जहां हम अपने धर्म के बारे में लिख सकते हैं। लेकिन हम सोशल मीडिया में क्या बोल रहे हैं, क्यों बोल रहे हैं और किससे बोल रहे हैं इस पर ध्यान रखना होगा। जब तक हमें अपने ‘स्व’ का बोध नहीं होगा तब तक हम देश हित में सोशल मीडिया का सही से उपयोग नहीं कर पाएंगे। स्व का बोध होने के लिए हमें अपने धार्मिक ग्रंथ और पुस्तकों को पढ़ना होगा। द्वितीय सत्र के दौरान सोशल मीडिया का आर्थिक व व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य विषय पर बात करते हुए सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर अपूर्वा सिंह ने कहा कि हमें सोशल मीडिया का उपयोग लोगों को जोड़ने के लिए करना चाहिए और अपने सांस्कृतिक नैतिक मूल्यों के उत्थान के लिए भी उपयोग करें, यही सोशल मीडिया की सार्थकता है।
प्रेरणा विमर्श 2023 के तीसरे दिन लेखक एवं पत्रकार विमर्श के आयाम ‘स्व’ भारत का आत्मबोध विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि बुद्धि को संयमित रखना ही आत्मबोध है। भारत का ‘स्व’ वैश्विक चेतना का प्रतीक है। इसी क्रम में कहा कि ज्ञान में जब जीवन मूल्यों का संस्कार जुड़ता है तो वह विद्या बन जाती है। वहीं अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि ज्ञान, विज्ञान के ऊपर प्रज्ञा है। जो अनुभूति जन्य है, उसी से स्व का आत्मबोध होगा। सत्र के अंतिम वक्ता वरिष्ठ पत्रकार रवि शंकर ने कहा कि आत्मबोध को भारतीय संदर्भ में वेदों उपनिषदों को आधार बनाकर समझना चाहिए। दूसरे सत्र के दौरान विमर्श निर्माण में पारितंत्र विषय पर लेखक एवं शिक्षाविद् प्रणय कुमार ने कहा कि दशकों से हम कौन थे इसको एक विशेष एजेंडे के तहत विस्मृत कर दिया गया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि जो चाहते थे कि भारत के किसान गरीब ही रहें उन्हीं लोगों एक एजेंडे के तहत कृषि कानून के खिलाफ माहौल बनाया। इस सत्र के अंतिम वक्ता वरिष्ठ पत्रकार हरीश वर्णवाल ने उदाहरण के माध्यम से एजेंडा सेटिंग पर प्रकाश डाला।
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