केंद्र ने कहा- दिल्ली को मिली 700 एमटी ऑक्सीजन, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- हालात बिगड़े तो कैसे संभालेंगे?

Oxygen Crisis In Delhi राजधानी दिल्ली में कोरोना (Corona Pandemic) इस वक्त विकराल समस्या बन चुका है। हालांकि मामले कम हो रहे है लेकिन मौतों (Corona Deaths) की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं दिल्ली के अस्पतालों (Delhi Hospitals) में ऑक्सीजन की किल्लत लगातार बनी हुई है। जिसे जल्द से जल्द हल करना बेहद जरूरी है। इस संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है। यहां केंद्र (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि दिल्ली को बीते दिन 700 एमटी ऑक्सीजन दी गई है, उससे पहले भी दिल्ली को 585 एमटी ऑक्सीजन दी गई थी। दिल्ली के कई अस्पतालों के साथ एक एक्सरसाइज़ की गई। देरी सिर्फ टैंकर्स की वजह से हो रही थी। सर्वे के मुताबिक फिलहाल, दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का जरूरी स्टॉक मौजूद है। ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन से आज 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल- अस्पतालों के पास ऑक्सीजन स्टोर है या नहीं
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या अस्पतालों के पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता है। कोर्ट पहले ही आदेश दे चुकी है कि केंद्र को 3 मई तक बफर स्टॉक तैयार रखना चाहिए। अगर स्टॉक रहेगा तो पैनिक के हालात नहीं बन पाएंगे। ऑक्सीजन आवंटन का फॉर्मूला सुधारने की जरूरत अदालत में स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुमिता दावरा ने बताया कि कुल टैंकर के 53 फीसदी को दिल्ली सप्लाई के लिए ही लगाया गया है, 6 कंटेनर्स भी लगाए गए हैं। अगले कुछ दिनों में इनकी संख्या 24 हो जाएगी, इनमें भरे हुए और वापस प्लांट तक जाने वाले केंटेनर्स भी शामिल रहेंगे।
तीसरी लहर को लेकर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई तीन घंटे देरी से हुई, जिसके कारण एक वरिष्ठ डॉक्टर की जान चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि ऑक्सीजन आवंटन के फॉर्मूले को पूरी तरह से सुधारने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि दूसरी लहर सिर पर है और हम अभी इसी पर हैं कि क्या होना चाहिए। रिपोर्ट कहती हैं कि तीसरी लहर में बच्चों पर भी असर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीसरी लहर में क्या करना चाहिए उसकी तैयारी अभी करनी होगी, युवाओं का वैक्सीनेशन करना होगा, अगर बच्चों पर असर बढ़ता है तो कैसे संभालेंगे क्योंकि बच्चे तो अस्पताल खुद नहीं जा सकते।
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