आफताब का नार्को टेस्ट करवाने की तैयारी में जुटी पुलिस, सबूतों की तलाश बुधवार को भी रही जारी

नई दिल्ली। श्रद्धा मर्डर केस में पुलिस आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है। इसके जरिए पुलिस को हत्या से जुड़े राज उगलवाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह आरोपी के ऊपर तय करेगा कि वह इस टेस्ट से होकर गुजरना चाहता है या नहीं। नार्को टेस्ट कराने से पहले कोर्ट आरोपी की रजामंदी भी लेगी। वहीं बुधवार को भी पुलिस आरोपी को लेकर सबूतों की तलाश करती रही और घंटों तक जंगल की खाक छानी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कुछ खास सबूत पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं।
पुख्ता सबूतों की तलाश के लिये ही पुलिस नारको टेस्ट का सहारा लेगी।
पुलिस का मानना है कि आफताब पूरी तरह से जांच में सहयोग नहीं कर रहा। श्रद्धा का सिर, वारदात में इस्तेमाल हथियार और श्रद्धा का मोबाइल फोन भी अभी बरामद नहीं हुआ है। कभी वह उसका मोबाइल महाराष्ट्र तो कभी दिल्ली में फेंकने की बात कह पुलिस जांच को भटकाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए ही पुलिस उसका नार्को टेस्ट करवाना चाहती है। बुधवार को भी पुलिस श्रद्धा का सिर और लाश के बाकी टुकड़ों की तलाश करने जंगल में पहुंची।
पुलिस कई घंटे तक टीम आरोपी आफताब को छतरपुर इलाके के आसपास जंगल ले जाकर खोजबीन करती रही।इस दौरान मीडिया भी पुलिस का पीछा करते हुये जंगल तक पहुंच गई। लेकिन मीडिया को ज्यादा अंदर नहीं जाने दिया गया। दिल्ली पुलिस के आधा दर्जन लठैत जवानों ने मीडियाकर्मियों को बाहर ही रोक दिया था।
रीढ़ की हड्डी समेत 13 हड्डियां हो चुकी है बरामद
पुलिस का कहना है कि मामले में बरामद किए गए लाश के तेरह टुकडों में एक रीढ़ की हड्डी भी है। इस बीच पुलिस सूत्रों की ओर से दावा किया गया है कि आरोपी आफताब बेशक जांच को गुमराह करने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन अब धीरे धीरे उसे अपनी गलती का अहसास होने लगा है। खुद को पुलिसकर्मियों के बीच घिरा देख और बार बार पूछे जाने वाले सवालों से परेशान होकर वह कई बार रो भी चुका है।
टेस्ट के दौरान मौजूद रहेंगे डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक
आरोपी आफताब ने श्रद्धा की हत्या के बाद जिस तरीके से उसकी लाश के टुकड़े कर उन्हें ठिकाने लगाया, उसे देख पुलिस को इसकी मानसिक दशा भी ठीक नहीं लग रही। यही कारण है जांच के दौरान पुलिस मनोवैज्ञानिकों की भी मदद लेगी। पुलिस लगातार इस मर्डर से जुड़े सबूत एकत्रित करने में जुटी हुई है।
हथियार बरामद करना है सबसे अहम
हालांकि, इस केस को लेकर पुलिस के एक्सपर्ट खुद मानते हैं कि आरोपी को कोर्ट में दोषी साबित करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। किसी भी मामले में मृतक की लाश की बरामदगी और वारदात में इस्तेमाल हथियार को बरामद करना बेहद अहम होता है। हालांकि, अभी पुलिस की जांच शुरुआती स्तर पर है, जैसे जैसे तफ्तीश आगे बढ़ेगी, पुलिस इस केस से जुड़ी सभी कड़ियों को एक दूसरे से जोड़ती चली जाएगी।
क्या होता है नारको टेस्ट?
नारको टेस्ट एक ऐसा परीक्षण या टेस्ट है जो सच छुपा रहे अपराधियों के मुंह से सच उगलवाने के लिये किया जाता है। कुछ अपराधी इतने शातिर होते है कि वह किसी भी कीमत पर सच्चाई नहीं बताते हैं। ऐसे अपराधियों के मुंह से सच निकलवाने के लिये ही यह टेस्ट करवाया जाता है। देशी की सबसे बड़ी इंवेस्टीगेशन एजेंसी सीबीआई भी कई बार इसका इस्तेमाल करती है। इस परीक्षण के तहत ट्रूथ ड्रग या सोडियम पेंटोथॉल नामक दवाई अपराधी को दी जाती है, जिसके बाद वह ऐसी हालत में होता है जोकि ना तो पूरी बेहोशी और ना ही पूरी होश वाली स्थिति होती है।
दवाओं के प्रभाव के कारण व्यक्ति कुछ समय के लिये सोचने की क्षमता खो देता है। उस स्थिति में वह झूठ नहीं बोल सकता। क्योंकि झूठ बोलने के लिये सोचने की आवश्यकता होती है। इस दौरान उसके द्वारा किये गये अपराध के बारे में सवाल किये जाते हैं। यह टेस्ट एक जांच अधिकारी, फॉरेंसिक विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक आदि की उपस्थिति में किया जा सकता है।
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