Sunday Special: दिल्ली के 10 ऐसे हॉन्टेड प्लेस जिनके बारे में जानकर कांप जाएगी आपकी रूह

Sunday Special दिल्ली भीड़ भाड़ से भरा हुआ एक शहर कुछ ऐसी ही तस्वीर सबसे पहले दिमाग में बनती है, और ये सच भी है। आज के समय में दिन हो या रात हो दिल्ली की हर गली हर रोड पर गाड़िया और लोग दिख ही जाते है। लेकिन कभी आपने ऐसा सोचा है। इस चहल पहल से भरे शहर में कुछ ऐसी जगह भी हैं जहां लोग जाने में भी खौफ खाते है। एक बार को कुछ लोग दिन में तो यहा चले जाते है लेकिन अगर बात करे रात में जाने कीतो वो भी कान पकड़ लेते है। हमेशा लोगों से भरी इस दिल्ली में कुछ ऐसी जगह भी है। जो हॉन्टेड प्लेस के नाम से जाने जाते है और जहां रात में रुकना सरकार ने भी मना किया है। लेकिन अगर आप भी निडर और बहादुर हैं तो क्यों न इस वीकेंड हो जाये इन हॉन्टेड प्लेस की सैर तो चलिए जानते है। आइए जानें दिल्ली के कुछ हॉन्टेड प्लेस के बारे में जहां जाना खतरे से खाली नहीं।
दिल्ली कैंट
दिल्ली कैंट को आर्मी की मौजूदगी की वजह से दिल्ली के सबसे सुरक्षित इलाकों में शुमार किया जाता है। यह पूरा इलाका एक छोटे से जंगल की तरह दिखाई देता है जिसमे चारों तरफ हरे भरे पेड़ है। एक दम शांति का माहौल रहता है। मगर जितना दिखता है उतना सब कुछ ठीक नहीं है। दिल्ली कैंट के बारे में कहा जाता है कि यहां सफेद लिबास में एक डरावनी बुजुर्ग महिला लोगों से लिफ्ट मांगती है, अगर आप आगे निकल जाते हैं तो यह महिला कार के जितना तेज भाग कर पीछा करती है। बहुत से लोगों ने उसको देखे जाने की पुष्टि भी की है। हालांकि आज तक किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने की कोई खबर नहीं है।
मलछा महल, बिस्तदारी रोड
दिल्ली के मलछा गांव में ये महलनुमा पुराना खंडहर है। इसका निर्माण आज से 700 साल पहले फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। वो इसे अपनी शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल करते थे। यह महल पिछली कई सदियों से वीरान रहने के कारण खंडहर हो चुका था। इस खंडहर हो चुके महल में 1985 में, अवध घराने की बेगम विलायत खान अपने दो बच्चों, पांच नौकरों और 12 कुत्तों के साथ रहने आई। इस महल में आने के बाद वो कभी इस महल से बाहर नहीं निकली। इसी महल में बेगम विलायत खान ने 10 सितम्बर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। कहते है की बेगम की रूह आज भी उसी महल में भटकती है।
अग्रसेन की बावली, कनॉट प्लेस
अग्रसेन की बावड़ी राजधानी दिल्ली में कनॉट प्लेस से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। महाराजा अग्रसेन ने चौदहवीं शताब्दी में इस बावड़ी का निर्माण करवाया था। इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इस प्राचीन स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संरक्षण प्राप्त है। किसी ज़माने में यह हमेशा पानी से भरी रहती थी, लेकिन अब यह सूख चुकी है। इसके बारे में प्रचलित है कि इसका काला पानी लोगों को सम्मोहित कर आत्महत्या के लिए उकसाता था। इसके तल तक पहुंचने के लिए 106 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं।
द्वारका (सेक्टर-9), मेट्रो स्टेशन, द्वारका
मेट्रो स्टेशन है...तो लोगों का आना जाना तो लगा रहता है....लेकिन नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कॉल सेंटर के लोगों की शिकायत है कि इस इलाके में लोगों को थप्पड़ पड़ते हैं। साथ ही वे बताते हैं कि उनके कैब के आगे एक औरत आ जाती है जो तेज रफ्तार से आगे-आगे दौड़ने के बाद गायब हो जाती है।
हाउस नम्बर W-3, ग्रेटर कैलाश-1
ग्रेटर कैलाश के हाउस नम्बर डब्लू 3 में एक बुजुर्ग दम्पति की हत्या कर दी गई थी। तब से माना जाता है कि उन दोनो की आत्मा यहीं बसी हुई है। उस दम्पति की मौक के बाद उनके मृत शरीर को वहां की टंकी से महीने बाद बरामद किया गया। आस-पास रह रहे लोगों ने वहां से किसी के रोने और चीखने-चिल्लाने की आवाजें कई बार सुनी है। इस मकान में अब कोई नहीं रहता और इसे भुतहा घोषित कर दिया है।
जमाली-कमाली का मकबरा और मस्जिद, महरौली
यह मस्जिद दिल्ली के महरौली में आर्केलॉजिकल कॉम्पलेक्स में स्थित है। यहां सोलहवीं शताब्दी के सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। इस इलाके में लोगों ने धक्का देने और धक्के मारने की शिकायत की है, साथ ही वे बताते हैं कि यहां से औरतें के रोने और चीखने-चिल्लाने की आवाजें भी आती हैं।
खूनी नदी, रोहिणी
रोहिणी के इलाके से बहती इस नदी के बारे में चर्चित है कि जो भी इस नदी के सम्पर्क में आता है, ये नदी उसका ख़ून चूस लेती है। हालांकि कम शोरगुल वाले इस इलाके में वैसे भी नदी के पास कोई नही आता। कारण, नदी के किनारे लाश मिलना। हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना कारण चाहे जो हो, यहां नदी किनारे लाशें मिलना आम बात हो गई है। यही कारण है कि लोग इसे डरावनी जगहों में शुमार करते हैं।
फिरोजशाह कोटला, विक्रमनगर
इस किले का निर्माण सन् 1534 में फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था। इसके बारे में कुख्यात है कि यहां की हवेलियों और खंडहरों पर जिन्नों का कब्जा है। आज भी हर गुरुवार यहां स्थानीय लोग आकर मोमबत्तियां और अगरबत्ती जलाकर जिन्नों से मन्नत और दुआएं मांगते देखे जा सकते हैं। किले के कुछ हिस्सों में कटोरे में दूध और कच्चा अनाज भी रखा मिलता है। इसे भूतों का किला भी कहा जाता है।
भूली भतियारी का महल, झंडेवालान
यह महल किसी ज़माने में तुगलक वंश का शिकारगाह हुआ करता था। इस महल का नाम 'भूली भतियारी, इसकी देखभाल करने वाली महिला के नाम पर पड़ा है। अंधेरा होना के बाद यहां परिंदा भी पर नहीं मारता। यहां सुनाई देने वाली अजीबोगरीब आवाजें इस माहौल को और डरावना बना देते हैं।
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