ये चीज बनी सुषमा स्वराज की दुश्मन, कुर्सी छिन गई थी फौरन

ये चीज बनी सुषमा स्वराज की दुश्मन, कुर्सी छिन गई थी फौरन
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1998 की बात करें तो जब तक सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रही तब प्याज की कीमतों में बेहताशा बढोतरी हुई थी। जिसकी वजह से सुषमा स्वराज को सीएम पद से हाथ धोना पड़ा था।

खाने की चीज को लेकर जब-जब आम लोगों की आंखों से आंसू निकले है तो बड़ी से बड़ी पार्टियों की सरकार गिर गई है और नेताओं की कुर्सी भी नहीं बची है। जैसे कि जब-जब प्‍याज के दाम आसमान छुये हैं, तब-तब जनता के साथ नेताओं को भी रोना आया है। क्योंकि उनको अपनी कुर्सी जाने का डर सताने लगता है। उदाहरण के लिए दिल्ली में 1998 की सुषमा स्वराज (Sushama swaraj) की सरकार और 2013 में शीला दीक्षित की सरकार। 1998 की बात करें तो जब तक सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रही तब प्याज की कीमतों में बेहताशा बढोतरी हुई थी। जिसकी वजह से सुषमा स्वराज को सीएम पद से हाथ धोना पड़ा था।

उस वक्त 'प्याज' (Onion) ही सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी दुश्मन कही जाने लगी थी। प्याज के कारण सीएम की कुर्सी खोना उनकी छवि को धुमिल तो कर ही रहा था साथ में विपक्ष को बोलने का एक मौका भी दे रहा था। उस वक्त मानों प्याज ने सुषमा स्वराज की नींदें उड़ा दी थी।

टीवी चैनल्स हो या अखबार सभी पर प्याज के दामों की खबर चर्चा हो रही थी और इस चर्चा में सुषमा स्वराज का नाम भी खूब जोरों शोरो से लिया जा रहा था। अपनी सरकार पर उठते सवालों ने सुषमा स्वराज की चिंता बढ़ा दी थी जिसके चलते आखिर में उनकों सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

1998 में दिल्ली पूर्व सीएम सुषमा स्वराज के समय प्याज की कीमत 45 रुपये थी। चलिये इस कीमत को विस्तार से बताने की कोशिश करते है। 1998 में एक आम आदमी की आमदनी मान लिजिये 2 हजार रुपये है। ऐसे में सिर्फ प्याज की कीमत 45 रुपये की कीमत तक पहुंच जाना उसकी आमदनी का बड़ा हिस्सा ले जायेगा।

अगर उस समय की तुलना आज की समय से की जाए तो प्याज की कीमत तकरीबन 200 रुपये किलो रही होगी। इसी से आप अब अंदाजा लगा सकते है कि आखिर क्यों सुषमा स्वराज की सरकार गिर गई थी।

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