केजरीवाल के आरडब्ल्यूए वाले बयान से व्यापारी वर्ग नाराज, कहा चुनाव में देंगे जवाब

केजरीवाल के आरडब्ल्यूए वाले बयान से व्यापारी वर्ग नाराज, कहा चुनाव में देंगे जवाब
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निगम चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) हैं, उन्हें मिनी पार्षद का दर्जा दिया जाएगा के विरोध में राजधानी का व्यापारी वर्ग आ गया है।

नई दिल्ली। निगम चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) हैं, उन्हें मिनी पार्षद का दर्जा दिया जाएगा के विरोध में राजधानी का व्यापारी वर्ग आ गया है। केजरीवाल द्वारा आरडब्लूए को महत्वपूर्ण बताने पर व्यापारियों के संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा की इससे यह साफ़ स्पष्ट है की सीएम की नजरों में व्यापारिक संगठनों की कोई वैल्यू नहीं हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने बयान जारी करके कहा कि यह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली के व्यापारी संगठनों का अपमान है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली का व्यापारी इसका जबाब आने वाली 4 दिसंबर को मतदान के दिन देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जिस प्रकार से एक बहुत ही शातिर तरीके से आरडब्लूए को ठगने की कोशिश की है। यह नया शगूफा छोड़ कर केजरीवाल ने यह बता दिया है की आने वाले समय में दिल्ली में आप पार्टी प्रायोजित नई-नई फ़र्ज़ी आरडब्लूए की बाढ़ लाने वाली है। जबकि वर्तमान में कार्यरत अधिकांश आरडब्लूए द्वारा किये जा रहे कार्यों पर अपना कब्ज़ा जमा लेगी। यह एक तरीके से दिल्ली पर कब्ज़ा जमाने का केजरीवाल का षड्यंत्र है।

उन्होंने कहा कि वो इस मामले में प्रमुख आरडब्लूए संगठन ऊर्जा से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी सबसे अहम व्यापारी हैं। दिल्ली में लगभग 3000 से ज्यादा छोटे बड़े व्यापारी संगठन एक लम्बे समय से दिल्ली में काम कर रहे हैं और जब भी कोई मदद देने की बात हो, यही व्यापारी संगठन पहली पंक्ति में खड़े होकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं। दिल्ली में छोटे बड़े मिलाकर लगभग 12 लाख से अधिक व्यापारी हैं जो लगभग 25 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देते हैं। व्यापारी अपने सहित कर्मचारियों व उनके परिवारों का पेट भी पलता है। इतने बड़े समुदाय या वोट तंत्र की अनदेखी केजरीवाल को भारी पड़ने वाली है।

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