यूजीसी का सुप्रीम कोर्ट में सवाल, महाराष्ट्र और दिल्ली में क्यों की गई परीक्षायें रद्द

यूजीसी का सुप्रीम कोर्ट में सवाल, महाराष्ट्र और दिल्ली में क्यों की गई परीक्षायें रद्द
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मेहता ने कहा कि परीक्षायें नहीं कराना छात्रों के हित में नहीं है और अगर राज्य अपने मन से कार्यवाही करेंगे तो संभव है कि उनकी डिग्री मान्य नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के दौरान अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने के यूजीसी के छह जुलाई के निर्देश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षायें रद्द करने के निर्णय पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाये और कहा कि ये नियमों के विरुद्ध है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम नहीं बदल सकते हैं क्योंकि सिर्फ यूजीसी को ही डिग्री प्रदान करने के लिये नियम बनाने का अधिकार है।

मेहता ने कहा कि परीक्षायें नहीं कराना छात्रों के हित में नहीं है और अगर राज्य अपने मन से कार्यवाही करेंगे तो संभव है कि उनकी डिग्री मान्य नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के दौरान अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने के यूजीसी के छह जुलाई के निर्देश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित कर लें। सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ को दिल्ली और महाराष्ट्र द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षायें रद्द किये जाने के निर्णय से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि आयोग महाराष्ट्र और दिल्ली के हलफनामों पर अपना जवाब दाखिल करेगा। इसके लिये उसे समय दिया जाये। पीठ ने मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुये इस मामले को 14 अगस्त के लिये सूचीबद्ध कर दिया।

पढ़ाई पूरी कर चुके छात्रों को डिजिटल डिग्री देगा डीयू

दिल्ली विश्वविद्यालय से पिछले वर्ष तक स्नातक कर चुके छात्रों, जिन्हें अभी तक डिग्री नहीं मिली है, उनको राहत देते हुए विश्वविद्यालय ने एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है जिसके जरिए छात्रों को डिजिटल डिग्री सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे जिससे इस प्रक्रिया में तेजी आएगी। विश्वविद्यालय की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी गई।

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