Delhi Classroom Scam: केजरीवाल सरकार पर 1300 करोड़ रुपये के घोटाले का एक और नया आरोप, टॉयलेट को बताया क्लासरूम

Delhi Classroom Scam: केजरीवाल सरकार पर 1300 करोड़ रुपये के घोटाले का एक और नया आरोप, टॉयलेट को बताया क्लासरूम
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दिल्ली में एमसीडी चुनाव के बीच केजरीवाल सरकार पर एक बार फिर घोटाले के आरोप लग रहे हैं। जबकि शराब नीति घोटाला मामले में जांच चल रही है। विजिलेंस डायरेक्टोरेट ने दावा किया है कि 2400 क्लासरूम बनाने के क्रम में केजरीवाल सरकार ने 1300 रुपये का घोटाला किया है।

दिल्ली में नगर निगम चुनाव के बीच केजरीवाल सरकार पर एक बार फिर से घोटाले करने के आरोप लगे हैं। विजिलेंस डायरेक्टोरेट ने दावा किया है कि 2400 क्लासरूम बनाने के क्रम में 1300 रुपये का घोटाला हुआ है। विजिलेंस डायरेक्टोरेट (DOV) ने सेंट्रल एजेंसी से मामले की जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने जांच की सिफारिश करने वाली एक रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंप दी है।

दिल्ली सरकार में एक और घोटाला

दिल्ली में MCD चुनाव की तारीख नजदीक आते जा रही है, वैसे ही केजरीवाल सरकार के ऊपर एक के बाद एक आरोप भी लगते जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी पर पहले तो शराब घोटाले का आरोप लगा, फिर बस घोटाला का, फिर सत्येंद्र जैन का जेल में मसाज वाला वीडियो सामने आया। और अब एक नया मामला आया है क्लासरूम घोटाले का। विजिलेंस डिपार्टमेंट ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने क्लासरूम बनाने में 1300 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।

टॉयलेट को बताया क्लासरूम

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 194 स्कूलों में कुल 160 टॉयलेट्स बनाए जाने थे। लेकिन 37 करोड़ एक्सट्रा खर्च करके 1214 टॉयलेट्स बना दिए गए। वहीं दिल्ली सरकार ने इन टॉयलेट्स को कल्सरूम बताया था।

क्या है पूरा मामला

अप्रैल 2015 में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने PWD को दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2405 एक्स्ट्रा क्लासरूम बनाने का निर्देश दिया था। जिसमें कथित रूप से भ्रष्टाचार किया गया है। CVC ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी दी। वहीं विभाग ने DOV को भ्रष्टाचार की रिपोर्ट भेजते हुए जवाब मांगा था। रिपोर्ट में लिखा था कि टेंडर प्रोसेस में उलटफेर कर नियमों का उल्लंघन किया गया है और सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर करीब 205 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा खर्च किए गए। मामले में CVC ने रिपोर्ट भेजकर DOV से जवाब भी मांगा लेकिन दिल्ली सरकार ने इस मामले को दबा दिया।

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