World Rabies Day 2021: मनसुख मांडविया बोले- हम 2030 तक रेबीज वायरस पर करेंगे जीत हासिल, जानें क्या है इस दिन का महत्व

World Rabies Day 2021 देश-दुनिया में आज वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जा रहा है। इस संबंध में आज दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने 2030 तक भारत से रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan) की शुरुआत की। इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी मौजूद रहे। इस दौरान मनसुख मांडविया ने कहा कि हमें 2030 तक रैबीज वायरस से जीत हासिल करना है। इसके लिए पूरी सरकार लगी है। रेबीज से भारत में हर साल 50-60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। ये पहला कदम है अभी हमें कई कदम बढ़ाने हैं। रेबीज के सामने हमें आक्रामक कार्यक्रम चलाना ही होगा। इस साल का विश्व रेबीज दिवस के लिए थीम रखा गया है रेबीज: तथ्य, खौफ नहीं'. इसका मतलब हुआ कि आप रेबीज के तथ्यों को उजागर कर लोगों के मन से डर दूर कर सकते हैं। थीम का उद्देश्य रेबीज के बारे में तथ्यों को साझा करना और गलत सूचना और मिथकों पर भरोसा नहीं करना है।
हमें 2030 तक रैबीज वायरस से जीत हासिल करना है। इसके लिए पूरी सरकार लगी है। रैबीज से भारत में हर साल 50-60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। ये पहला कदम है अभी हमें कई कदम बढ़ाने हैं। रैबीज के सामने हमें आक्रामक कार्यक्रम चलाना ही होगा: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया https://t.co/WE9cbeH0nP pic.twitter.com/8DZ35deUEY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 28, 2021
क्या है इसका महत्व
वर्ल्ड रेबीज डे को मनाने का मकसद रेबीज पर जागरुकता फैलाने और बीमारी की रोकथाम को बढ़ावा देना है। रेबीज एक वायरल बीमारी है जो इंसानों और जानवरों में दिमाग की सूजन का कारण बनती है। बीमारी का लोगों में आतंक स्वीकार करने के लिए ये महत्वपूर्ण दिन है। दिवस जानवरों की बेहतर देखभाल और रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने की जानकारी फैलाने पर फोकस करता है।
जानें क्या है विश्व रेबीज दिवस का इतिहास
वर्ल्ड रेबीज डे पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल के बीच साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई।
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