हरियाणा सरकार को 270 करोड़ की चपत : बहादुरगढ़ में मेट्रो को दी जानी थी 10 हेक्टेयर जमीन, दे दी 12 हेक्टेयर

हरियाणा सरकार को 270 करोड़ की चपत : बहादुरगढ़ में मेट्रो को दी जानी थी 10 हेक्टेयर जमीन, दे दी 12 हेक्टेयर
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डीएमआरसीए ने हरियाणा सरकार के अनुरोध पर मुंडका से बहादुरगढ़ तक कॉरिडोर निर्माण के लिए मई 2007 में डीपीआर तैयार की थी। उस समय कुल लागत 1633 करोड़ रुपए आंकी गई। जिसमें भारत सरकार को 20 व हरियाणा सरकार 80 प्रतिशत देना था।

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़

भारत सरकार ( Indian government ) के शहरी विकास मंत्रालय ( Ministry of Urban Development ) द्वारा 11 सिंतबर 2012 को जारी सेंक्शन ऑर्डर के अनुसार हरियाणा सरकार ( haryana government ) को डिपो के निर्माण के लिए 10 हेक्टेयर ( प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट का हिस्सा भी इसी में शामिल था ) भूमि देनी थी। लेकिन अधिकारियों की नाकामी के चलते दिल्ली मेटो रेल कॉर्पोरेशन ( Delhi Metro Rail Corporation ) 12 हेक्टेयर जमीन पर काबिज हो गई। जिसके चलते हरियाणा सरकार को 270 करोड़ रुपए की चपत लग गई। इस मामले का खुलासा करने वाले वरिष्ठ नागरिक आरएस सहरावत, खेमचंद लोहचब व अतर सिंह लांबा ने सरकार से कार्रवाई की मांग की है।

मई-2007 में बनी डीपीआर

डीएमआरसीए ने हरियाणा सरकार के अनुरोध पर मुंडका से बहादुरगढ़ तक कॉरिडोर निर्माण के लिए मई 2007 में डीपीआर तैयार की थी। उस समय कुल लागत 1633 करोड़ रुपए आंकी गई। जिसमें भारत सरकार को 20 व हरियाणा सरकार 80 प्रतिशत देना था। फिर अक्टूबर 2011 में दूसरी डीपीआर बनी। इसमें 6 स्टेशन बनने तय हुए और लागत बढ़कर 1916 करोड़ हो हुई। डीएमआरसी ने दिल्ली क्षेत्र में 2.4179 हेक्टेयर व हरियाणा में 14.9545 हेक्टेयर जमीन की मांग की।

2012 में रिवाइज हुई डीपीआर

हरियाणा में 10 हेक्टेयर यार्ड व 2 हेक्टेयर प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट के लिए चाहिए थी। हरियाणा सरकार की आपत्ति के बाद अक्टूबर 2011 में डीपीआर को अपडेट किया गया। इसमें प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट वाली 2 हेक्टेयर जमीन नहीं देने की बात तय हुई। अप्रैल 2012 की रिवाइज डीपीआर में इस कॉरिडोर पर 7 स्टेशन फाइनल हो गए और प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट के लिए दिल्ली के इलाके में 4 हेक्टेयर जमीन देने पर रजामंदी हुई। अप्रैल 2012 में लागत बढ़कर 1991 करोड़ तय हुई।

270 करोड़ रुपये की है 2 हेक्टेयर भूमि

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के डीटीपी एनसीआर विजय कुमार ने 10 अप्रैल 2012 को भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के सचिव को लिखे पत्र में डिपो के लिए 10 हेक्टेयर जमीन (प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट के हिस्से के साथ) देने की बात स्वीकारी। लेकिन 2 हेक्टेयर जमीन की कीमत करीब 270 करोड़ रुपए बताते हुए देने से इंकार कर दिया। फिर 20 जुलाई 2012 को हरियाणा केबिनेट ने 787.96 करोड़ रुपए लागत वहन करने के लिए मंजूरी दे दी।

केवल 10 हेक्टेयर का करार

हरियाणा के मुख्य सचिव व डीएमआरसीएल के एमडी के बीच 2 फरवरी 2013 को अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए। जिसमें हरियाणा सरकार द्वारा डीएमआरसीएल को नॉन ट्रांसफरेबल बेसिस पर केवल 10 हेक्टेयर भूमि देने का करार हुआ। लेकिन 3 सितंबर 2013 को प्राधिकरण के स्थानीय कार्यालय द्वारा डीएमआरसीएल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर को 36 हजार 950 वर्ग मीटर जमीन अस्थाई तौर पर कॉस्टिग यार्ड के लिए, डिपो बनाने के लिए 12 हेक्टेयर जमीन, एमआईई स्टेशन के लिए 3724 वर्ग मीटर और सिटी पार्क के लिए 524 वर्ग मीटर देने की प्रक्रिया जारी होने की सूचना दी गई।

बहुमंजिला भवन में 304 क्वार्टर

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 7 अक्टूबर 2019 को डीएमआरसी के एमडी को लिखे पत्र में एक लाख 25 हजार 563 वर्ग मीटर जमीन अलॉट करने की पुष्टि की है। इस पत्र के अनुसार पंडित श्रीराम मेट्रो स्टेशन पर 3458 व 477 वर्ग मीटर, ब्रिगेडियर होश्यिार सिंह स्टेडियम पर 1628 वर्ग मीटर और सेक्टर-9 डिपो के लिए 12 हेक्टेयर जमीन दी गई है। डीएमआरसी ने 7 अगस्त 2020 को एक आरटीआई आवेदन के जवाब में स्वीकारा कि डीएमआरसी के पास मेट्रो यार्ड के रूप में 9.555 हेक्टेयर और प्रॉपर्टी डेवलेपमेंट के रूप में 2.45 हेक्टेयर जमीन उनके कब्जे में है। इस जमीन पर डीएमआरसी ने 304 बहुमंजिला स्टॉफ क्वार्टर बनाए हैं।

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