Independence day 2021 : आज भी 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह की आंखें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही चमकने लगती

हरिभूमि न्यूज, रेवाड़ी
बचपन में ग्रामीणों से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के किस्से सुनकर उनके साथ काम करने की ठान ली थी। उन तक पहुंचने के लिए 1940 में सेना में भर्ती हुआ तथा जापान के साथ युद्ध के समय उन्हें सिंगापुर से बर्मा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जहां साथी कैदियों के साथ मिलकर विद्रोह किया। जिसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस जेल में मुलाकात करने पहुंचे तथा आजाद होने के बाद आजाद हिंद फौज में शामिल होकर उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। देश आजाद होने के बाद 1948 में फिर सेना में भर्ती हुए तथा 25 साल सेवा में रहते हुए भारत-चीन युद्धों का हिस्सा बने। आज हम देश की आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं और कोसली निवासी 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह की आंखें आजाद हिंद फौज व नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही चमकने लगती हैं।
उन्होंने कहा कि वर्मा जेल में बंद होते हुए हिंदुस्तान को गाली देने वाली की धुनाई करने पर जेलर ने उन्हें एक सप्ताह भूखा रखा था। अंग्रेजों की यातानाएं भी देश के प्रति उनकी सोच को बदल नहीं पाई। सूरत सिंह के परिवार में तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े मंगल सिंह ने कहा गांव में नेताजी के बारे में सुनकर उसने बचपन में उनके साथ काम करने का मन बना लिया था। जिसके लिए वह ब्रिटिस सेना में भर्ती हुआ तथा विद्रोह कर नेताजी के साथ जुड़ा। आजदी के बाद 25 साल तक सेना में रहे मंगल सिंह 1976 में सेवानिवृत्त हुए तथा उनके परिवार में पत्नी शांति देवी के अलावा दो बेटे व दो बेटियां हैं।
उन्होंने कहा कि युवा देश भी भविष्य हैं तथा उन्हें अपनी ऊर्जा देश सेवा में लगानी चाहिए। सरकार को भी युवाओं के लिए रोजगार देने की नीति बनानी चाहिए, ताकि युवाओं को पथभ्रष्ट होने से बचाया जा सके।
देश की चिंता छोड़ कुर्सी और पैसे का मोह में फंसे हैं नेता
मंगल सिंह कहते हैं कि स्वार्थ की राजनीति देश का माहौल बिगाड़ रही है। नेताओं को देश की नहीं, बल्कि पैसे कमाने व अपनी राजनीति चमकाने की चिंता रहती है। प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर अच्छा काम किया है, परंतु वहां के हालात सही करने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। अन्यथा भविष्य में स्थिति खराब हो सकती है। चीन का सबक सिखाना समय की मांग है और चीन बातों से मानने वालों में से नहीं है। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, नेताजी के यह शब्द आज भी मन में जोश भरते हैं और अपने बच्चों को आजादी में सांस देने के लिए ही हम अग्रेंजो से लड़े थे, परंतु नेताओं ने अपने स्वार्थों के लिए देश की स्थिति को चिंताजन क बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
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