हरियाणा की उड़नपरी दादी : 105 वर्षीय रामबाई ने 100 मीटर दौड़ में बनाया नेशनल रिकॉर्ड, सीएम खट‍्टर भी बने फैन

हरियाणा की उड़नपरी दादी : 105 वर्षीय रामबाई ने 100 मीटर दौड़ में बनाया नेशनल रिकॉर्ड, सीएम खट‍्टर भी बने फैन
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चरखी दादरी जिले के बाढड़ा उपमंडल के गांव कादमा निवासी रामबाई ने गुजरात के बड़ौदरा में आयोजित नेशनल मास्टर प्रतियोगिता में न केवल हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया बल्कि नए रिकार्ड के साथ दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।

संदीप श्योराण : बाढड़ा ( चरखी दादरी )

हम अक्सर सुनते हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन बुजुर्ग खिलाड़ी रामबाई ने तो 105 वर्ष की उम्र में विदेश से लेकर देश के खेल मैदानों पर सफलता के जो झंडे गाड़े हैं उसके देखते हुए यदि ये कहा जाए कि खेलने की कोई उम्र नहीं होती तो भी गलत नहीं होगा। चरखी दादरी जिले के बाढड़ा उपमंडल के गांव कादमा निवासी रामबाई ने गुजरात के बड़ौदरा में आयोजित नेशनल मास्टर प्रतियोगिता में न केवल हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया बल्कि नए रिकार्ड के साथ दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। इतनी अधिक उम्र में रामबाई ने खेल के प्रति जो जज्बा दिखाया है उससे क्षेत्र के खेल प्रेमियों के साथ-साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री भी उनके खेल के प्रति समर्पण की भावना के कायल हो गए। सीएम ने तो ट्वीट कर उन्हें बधाई भी दी है।

मौजूदा समय में जिस प्रकार की जीवन शैली व खानपान है उसके चलते 60 की उम्र के बाद अधिकतर लोगों को दूसरे के सहारे की आवश्यकता पड़ती है। यदि आदमी ज्यादा स्वस्थ्य है तो वह डंडी के सहारे थोड़ा-बहुत घूम-फिर सकता है। लेकिन इन सबके विपरीत बाढड़ा उपमंडल के गांव कादमा निवासी 105 वर्ष को पार कर चुकी रामबाई अभी भी खेल मैदानों पर फर्राटा भर रही हैं। रामबाई बिना थके हारे एक के बाद एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश व प्रदेश के लिए मेडल हासिल कर रही है। गर्मी के इस मौसम में जहां लोगों का एसी व कूलर के नीचे अपने घरों में बुरा हाल है वहीं ये वयोवृद्ध 105 वर्षीय खिलाड़ी अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर का सफर तय कर चार प्रतियोगिताओं में भागीदारी कर मेडल हासिल कर चुकी है। जो दर्शाता है कि इस उम्र में भी उनमें मेडल की कितनी भूख है। वर्तमान में उन्होंने 16 से 19 जून तक गुजरात के बड़ौदरा में आयोजित नेशनल मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रतियोगिता में देश के करीब तीन हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया। हरियाणा के 154 सदस्यीय दल में कादमा की रामबाई भी शामिल थी जिन्होंने अपने आयु वर्ग में 100 मीटर व 200 मीटर दौड़ रिकार्ड समय में पूरा कर दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं और हरियाणा इस प्रतियोगिता में ऑवरऑल चैंपियन भी रहा है।

रिकार्ड समय में पूरी की दौड़

रामबाई की नातिन शर्मिला सांगवान ने बताया कि उनकी नानी ने बड़ौदरा में रिकार्ड समय में दौड़ पूरी कर गोल्ड मेडल हासिल किए है। उन्होंने बताया कि 200 मीटर दौड़ा 74.75 सेकेड में व 100 मीटर दौड़ 44.45 सेकेंड में पूरा कर पंजाब की बुजुर्ग एथलिट स्वर्गीय मान कौर के रिकार्ड को तोड़कर ये जीत हासिल की है।

डेढ माह में चार प्रतियोगिताओं में दिखा चुकी दम

कादमा निवासी रामबाई खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए झोझू कलां निवासी अपनी नातिन शर्मिला सांगवान के साथ जाती है। उन्होंने एक से पांच मई तक नेपाल में आयोजित इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां जीत हासिल कर तिरंगा हराया था। उसके बाद उन्होंने मई माह में ही बैंगलौर, केरला में अपने जीत के सफर को जारी रखते हुए मेडल हासिल किए। वहीं वर्तमान में बड़ौदरा में उन्होंने अपनी खेल प्रतिभा का लेाहा मनवाते हुए साबित किया है कि जीत के जज्बे के आगे उम्र का ये पड़ाव कोई मायने नहीं रखता है।

सीएम मनोहर लाल ने भी दी बधाई

105 वर्ष की उम्र में रामबाई ने कादमा से बड़ौदरा पहुंचकर जो खेल प्रतिभा दिखाई है उसके तो प्रदेश के सीएम मनोहर लाल भी कायल हो गए हैं और उन्होंने ट्वीट कर बधाई देते हुए कहा है कि खेलों में झंडे गाड़ने की बात हो तो फिर हरियाणवियों की उम्र आड़े नहीं आती फिर चाहे हमारे बच्चे हो, युवा या 100 साल पार के बुजुर्ग। 105 वर्ष की आयु में ताई रामबाई जी ने 100 मीटर दौड़ रिकार्ड समय में पूरा कर बड़ोदरा में प्रदेश का झंडा बुलंद कर दिया। ताई के जज्बे को सलाम।

परिवार के दूसरे सदस्य भी करते हैं खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी

रामबाई के परिवार के दूसरे सदस्य भी खेल प्रतियोगिताओ में भागीदारी करते हैं। बड़ौदरा में उनके साथ गई उनकी नातिन झोझू कलां निवासी शर्मिला सांगवान ने पांच हजार मीटर व तीन हजार मीटर पैदल चाल में कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। वहीं बीते माह केरल में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में रामबाई ने अपने बेटे मुख्तयार सिंह, पुत्रवधु भतेरी देवी के अलावा बेटी व नातिन के साथ भाग लिया था। जिसमें रामबाई के परिवार ने कुल 13 मेडल हासिल किए थे।

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