Kurukshetra : बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जिले में स्थापित किए 1075 आंगनबाड़ी केंद्र, फिर भी...

Kurukshetra News : कुरुक्षेत्र जिले में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह चल रहा है, इसके बावजूद भी कुपोषित बच्चों के आंकड़े में कमी नहीं हो रही है। नवजात बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की जांच के दौरान कुपोषण के शिकार बच्चों की जानकारी मिल रही है।
वर्ष 2021 में 221 कुपोषित बच्चे मिले थे और वर्ष 2022 में 220 कुपोषित बच्चे मिले थे। कुपोषण को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की कई योजनाएं चल रही हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार देने से लेकर बच्चों को कुपोषण से बचाने की जानकारी तक दी जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के कुपोषित होने की पहचान की जाती है। इनमें अगर नवजात बच्चे का जन्म के समय वजन ढाई किलोग्राम से कम हो और उसका कद भी 45 सेंटीमीटर से कम हो तो उसे कुपोषित माना जाता है। इसके बाद बच्चे की डाइट और उसकी मां को बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग व अच्छा भोजन लेने की सलाह दी जाती है।
आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को दिया जाता पौष्टिक आहार
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए व गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार के लिए जागरूक करने के लिए जिले में 1075 आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर जहां शून्य से पांच साल तक के बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है, वहीं उनसे अनेक गतिविधियां भी करवाई जाती हैं। साथ ही महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए टिप्स दिए जाते हैं।
ये हैं लक्षण
अगर बच्चा कुपोषित है तो उसमें चिड़चिड़ापन आ सकता है। कुपोषण के कारण बच्चे को सूजन की समस्या हो सकती है। बच्चे को पेट से जुड़े संक्रमण हो सकते हैं। दिल का ठीक से काम नहीं करना का भी लक्षण है। त्वचा में खुजली या जलन की समस्या हो रही है तो मतलब बच्चा कुपोषित है। सांस लेने में समस्या या कमजोरी हो तो भी कुपोषण का लक्षण हैं।
कुपोषण के कारण
कुपोषण का मुख्य कारण है पोषक आहार की कमी। बच्चे को समय पर पौष्टिक आहार नहीं मिलता तो वह कुपोषण का शिकार हो सकता है। जिन बच्चों को डायरिया की समस्या होती है, वे कुपोषित हो सकते हैं। अगर बच्चे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तो भी बच्चे को कुपोषण की समस्या हो सकती है। गंदे वातावरण में रहने के कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। अगर बच्चे कारखानों के पास रहें तो भी कुपोषण का जोखिम बढ़ जाता है। अगर बच्चे को स्तनपान नहीं करवाया जाता तो भी बच्चा कुपोषित हो सकता है। अगर प्रीमेच्योर डिलिवरी के कारण बच्चा समय से पहले जन्म ले लेता है तो उसे कुपोषण की समस्या हो सकती है।
शरीर के लिए संतुलित और पोषण युक्त आहार जरूरी
महिला एवं बाल विकास विभाग कुरुक्षेत्र की जिला कार्यक्रम अधिकारी नीतू ने बताया कि जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं को जागरूक किया जाता है। समय-समय पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यक्रम होते हैं। महिलाएं पौष्टिक आहार लें और नवजात बच्चों को स्तनपान अवश्य करवाएं। जिला कुरुक्षेत्र में वर्ष 2022 में कुपोषित बच्चों की संख्या 220 थी, ये सभी अब ठीक हो चुके है। जिला में फिलहाल कोई भी बच्चा कुपोषण का शिकार नही है। यह सब विभाग के सुपरवाईजर, आंगनबाडी वर्कर और हेल्परों के लगातार प्रयासों से संभव हो पाया है। अब दोबारा से सर्वे शुरू किया गया है इसमें जो भी बच्चो कुपोषित मिलेगा उसकी पहचान कर उसकी देखरेख की जाएगी।
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