प्रदेश के 17 जिले पीने के पानी के लिए नहरों पर निर्भर

हरिभूमि न्यूज. कैथल
कैथल जिले के सीवन खंड के गांव कसोर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कसोर में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के वासो के जिला सलाहकार दीपक कुमार ने 11 वीं और 12 वीं कक्षा के बच्चों को जल संरक्षण बारे विस्तार से जानकारी दी। सलाहकार दीपक कुमार ने संबोधित करते हुए बताया कि 1966 में हरियाणा में 28 हजार ट्यूबवेल थे, जो अब बढ़कर 8 लाख 12हजार हो गए है। जिला सलाहकार दीपक कुमार ने बताया कि प्रदेश के 22 में से 17 जिले पीने के पानी के लिए नहरों पर निर्भर हैं। इनमें हिसार, भिवानी ,रोहतक, सिरसा, जींद, फतेहबाद, झज्जर, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, पलवल, सोनीपत, पानीपत, चरखी-दादरी और कैथल शामिल है। अगर हम कैथल जिले की बात करें तो कैथल जिले के 2 खंड राजौंद, कलायत कैथल शहर और कैथल के कुछ गांव पूर्णतय नहरी पानी पर निर्भर हैं।
3891 गांव और 71 खंडों में पानी का अतिदोहन
दीपक कुमार ने कहा कि भारत के लोग भगवान की पूजा करते हैं, ऐसे में भगवान का अर्थ है भ से भूमि, ग स से गगन,व से वायु,अ से अग्नि और न से नीर,यानी प्रकृति ही ईश्वर है लेकिन दुर्भाग्यवश समाज जैसे-जैसे विकसित और सभ्य होता गया,वैसे-वैसे प्रकृति को नष्ट करता गया। दीपक कुमार ने कहा कि जब भारत आजाद हुआ था, तब शायद ही भारत का कोई ऐसा जिला था,जिसके धरती के नीचे का पानी नहीं था।
15 खंडों और 760 गांवों में पानी की गंभीर कमी
अब 190 जिले ऐसे हैं, जिनका भू-जल डार्क जोन के नीचे चला गया है। उन्होंने कहा कि अगर धरती पर पानी नहीं होगा तो डेयरी फामिंर्ग की कल्पना नहीं की जा सकती।किसी भी तरह की उपज की कल्पना नहीं की जा सकती। अगर कहीं गंदा पानी या लीकेज मिलती है तो विभाग के टोल फ्री नंबर पर 18001805678 अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।आपकी शिकायत का अतिशीघ्र ही निवारण किया जाएगा।
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