सांसारिक मोह-माया छोड़ जैन मुमुक्षु बना 23 साल का युवक, त्याग देख भाव विभोर हुआ शहर, दर्शन करने कई राज्यों से पहुंचे लोग

भूना ( फतेहाबाद ) : हरियाणा के फतेहाबाद जिले में बाबा राणाधीर की नगरी भूना की धर्मप्रेमी जनता रविवार को एक ऐसे भव्य महोत्सव की गवाह बनी जिसमें नगर का एक बेटा संसार की मोह-माया को त्यागकर गुरू भगवंतों की शरण में चला गया। पैलेस में आयोजित मंगल भावना समारोह में 23 वर्षीय दीक्षार्थी मुदित जैन को तिलक लगाकर व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। 8 दिसंबर को सिरियारी राजस्थान में मुदित जैन भागवती दीक्षा ग्रहण करेंगे। कार्यक्रम को लेकर शहर में शोभायात्रा भी निकाली गई।
सांसद सुनीता दुग्गल ने भी समारोह में पहुंचकर दीक्षार्थी मुदित जैन के दर्शन किए, वहीं हरियाणा, पंजाब, दिल्ली तथा राजस्थान से हजारों की संख्या में श्रावकों ने भाग लिया। सांसद दुग्गल ने कहा कि संत महात्माओं के कारण ही हमारे देश में आध्यात्मिक और संस्कारित संस्कृति बरकरार है। संत महापुरुषों की वजह से ही हम मोक्ष तथा अच्छे विचार ग्रहण कर रहे हैं, इसलिए संत महात्मा हमारे आदरणीय ही नहीं बल्कि पूजनीय भी हैं। जैन आचार्य महाश्रमण जी के कर कमलों से सुशिष्या शासन साध्वी तिलक व जी ठाणा की उपस्थिति में मुदित जैन संसार को त्यागकर जैन दीक्षा को ग्रहण करेंगे। उससे पहले रविवार को मुदित जैन की जन्म भूमि पर हजारों की संख्या में नगरवासियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। दीक्षा से पूर्व जहां शहर के लोगों ने संयम के पथ पर बढ़ रहे नगर के बेटे को भावभीनी विदाई दी।
चेहरे पर दिखा संयम पर स्वीकारने का उल्लास
रविवार को मंगल भावना समारोह के दौरान बड़ी संख्या में जनसमुदाय ने भाव विभोर होकर कार्यक्रम को देखा। दीक्षा ग्रहण करने के पूर्व दीक्षार्थी के चेहरे पर दिख रहा उत्साह और उल्लास का भाव देखते ही बन रहा था। दीक्षा विधि के दौरान सांसारिक वस्त्र और भोग विलास को त्याग कर जब मुदित को जैन मुमुक्षु के वस्त्र धारण करवाकर प्रथम मंगल पाठ दिया जाएगा। दीक्षा कार्यक्रम से पहले ही रविवार को एक भव्य समारोह में जनमानस भाव विभोर हो गया।
लाड़ में पला बेटा अब चलेगा पैदल
कल तक घर परिवार में लाड़ प्यार से पला बेटा परिवार को नेतृत्व करने वाला मुदित अब जैन मुमुक्षु बनने जा रहा हैं। जैन मुमुक्षु की तरह ही वे अब सफेद वस्त्र धारण करेगा। उन का बना स्थान साफ करने का ओघा और लकड़ी के चार बर्तन ही उनकी संपत्ति होगी। नंगे पैर मिलों पैदल चलना और मांगकर भीक्षा के जरिए भोजन ही उनके संयम पथ का अगला पड़ाव हैं। कठोर तप और साधना के जरिए अपने जीवन का कल्याण करने निकला बेटे का महान त्याग एक नई यात्रा की शुरूआत होगी, जो उन्हें संसार से होकर संयम के रास्ते जैन मान्यता के अनुसार मोक्ष तक ले जाएगा।
संतो ने हाथों-हाथ संयम पथ के सहभागी के रूप में स्वीकारा
तीन दिन बाद मुमुक्षु बनने जा रहे मुदित को पिता मनोज सिंघल, मां सीमा देवी और भाई युवराज ने हंसते हुए प्रसन्नचित मुद्रा में संसार से संयम पथ की ओर दीक्षा विधि लेने के लिए विदा किया। कार्यक्रम संयोजक अनिल जैन ने बताया कि मुदित पिछले 4 वर्षों से जैन संतों की विचारधारा से जुड़ा हुआ था। उसी के चलते मंगल भावना समारोह में अपना जीवन जैन पथ को समर्पित किया।
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