हरियाणा : कलायत में एक-एक सांस के लिए जंग लड़ रहा 3 साल का मासूम, मदद की दरकार

हरिभूमि न्यूज : कलायत/कैथल
कलायत में 2 वर्ष 11 माह का मासूम अर्नव फेफड़ों की धमनी में छिद्र के कारण पल-पल एक-एक सांस के लिए जंग लड़ रहा है। इस प्रकार की नाजुक स्थिति पर परिवार के लोग निरंतर बच्चे के पास संजीदगी से डटे रहते हैं। दिल्ली और चंडीगढ़ के चिकित्सकों ने इस मासूम बच्चे के सुरक्षित जीवन के लिए अभिभावकों को आपरेशन करवाने का परामर्श दिया है। समुचित उपचार के लिए करीब 10 लाख रुपए की आवश्यकता है। वार्ड 4 में यह बच्चा जिस बीपीएल परिवार से संबंध रखता है उसके पास इतने साधन नहीं हैं कि वे इतनी बड़ी राशि का प्रबंध कर सकें।
उन्हें समझ नहीं आ रहा कि मासूम की जिंदगी को बचाने के लिए आखिरकार वे इतनी बड़ी रकम कहां से एकत्रित करें? इसलिए इंसानियत के ऐसे फरिश्तों की परिवार को इंतजार है जो आर्थिक सहायता मुहैया करवाकर बच्चे की सांसों की डोर को मजबूत कर सके। अर्नव के पिता सुशील सैन और माता सोनिया ने बताया कि जन्म से ही उनके बेटे को सांस लेने में समस्या रही है। चिकित्सकों से जांच करवाने पर जानकारी मिली कि बच्चे के फेफड़े की धमनियाें में छिद्र है।
आयुष्मान योजना के माध्यम से शासन-प्रशासन की तरफ से जो मदद मिली उससे उन्हाेंने बच्चे का 15 दिन की आयु में पहला आपरेशन करवाया। इस बीमारी को जानलेवा एवं घातक बताया जा रहा है। एकमात्र उपचार मेजर सर्जरी है। फिर से बच्चे का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। इसके मद्देनजर चिकित्सकाें ने अब पुन: अढ़ाई वर्ष की आयु में आपरेशन का परामर्श दिया है। बच्चा 2 वर्ष 11 माह की आयु को पार कर चुका है। क्योंकि जो खर्च दूसरे आपरेशन और स्वास्थ्य लाभ पर आना है उसका कोई विकल्प परिवार के पास नहीं है। इसके चलते परिवार के दिन का चैन और रात की नींद गायब है।
परिवार के पास नहीं उपचार के साधन
अर्नव के पिता सुशील सैन के कंधों पर बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी व एक अन्य बच्चे की जिम्मेवारी है। घर का चूल्हा चलाने के लिए वह किराये की दुकान में हेयर ड्रेसर का काम करता है। आय के साधन इतने नहीं हैं कि दो जून की रोटी के साथ-साथ बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य लाभ दे सके। इन परिस्थितियों में परिवार को मददगारों की जरूरत है। क्योंकि जन सहयोग से ही मासूम की टूटती सांसों को बचाया जा सकता है।
बच्चे के लिए सर्जरी अनिवार्य : सर्जन
जरनल सर्जन डा.पायल ने बताया कि अर्नव की मेडिकल रिपोर्ट से जो पहलु सामने आए हैं उसके अनुसार बच्चे के फेफड़े की धमनियां में छिद्र है। फेफड़े का मुख्य कार्य वातावरण से प्राण वायु लेकर रक्त परि संचरण में प्रवाहित करना है। छिद्र के कारण आक्सीजन ह्दय तक नहीं पहुंच पा रही है। बच्चे के जीवन के लिए सर्जरी करवाना बेहद अनिवार्य है।
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