रोहतक पीजीआई में ब्लैक फंगस के 34 मरीज भर्ती हुए

रोहतक पीजीआई में ब्लैक फंगस के 34 मरीज भर्ती हुए
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ब्लैक फंगस का सबसे बड़ा कारण स्टेरॉयड और ऑक्सीजन की गलत तरीके से थेरेपी लेना है। शुगर के मरीजों के लिए खतरा और भी बड़ा है, क्योंकि पीजीआई में भर्ती सभी 34 मरीजों को शुगर है।

मनोज वर्मा : रोहतक

कोविड के साथ-साथ ब्लैक फंगस भी महामारी घोषित कर दी गई है। अब दो-दो महामारी से एक साथ निपटना होगा। हालात ये हैं कि फरवरी से अब तक रोहतक पीजीआई में 34 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से 2 की जान जा चुकी है। आने वाले दिनों में हालात और खराब होने वाले हैं। ब्लैक फंगस का सबसे बड़ा कारण स्टेरॉयड और ऑक्सीजन की गलत तरीके से थेरेपी लेना है। शुगर के मरीजों के लिए खतरा और भी बड़ा है, क्योंकि पीजीआई में भर्ती सभी 34 मरीजों को शुगर है।

सावधानी बरतें कि बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड न लें, या डॉक्टर ने जितने दिन की दवा लिखी है, सिर्फ उतने ही दिन लें। ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे हैं तो पाइप और पानी वाला डब्बा हर रोज साफ करें। इन सभी के बीच कोविड और शुगर के मरीज मुहं न सूखने दें, बार-बार साफ करें और पानी पिएं। पीजीआई ने भी तैयारी पूरी कर ली है। नोडल ऑफिसर बना दिए गए हैं। सरकार भी कमेटी बना रही है।

12 को स्टेरॉयड और ऑक्सीजन के कारण

पीजीआई में फरवरी से अब तक भर्ती 34 मरीजों में से 12 ऐसे हैं, जो स्टेरॉयड और ऑक्सीजन थेरेपी के कारण फंगस की चपेट में आए हैं। कोविड के मरीजों को ऑक्सीजन और स्टेरॉयड दोनों दिए जा रहे हैं, इसलिए ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है। जहां तक हो स्टेरॉयड से बचें और ऑक्सीजन थेरेपी सही तरीके से लें।

इसलिए कोविड मरीजों को ज्यादा इन्फेक्शन

जब व्यक्ति कोरोना वायरस से ग्रस्त होता है तो उसके शरीर में खून की कोशिकाएं टूटती हैं। इनसे आयरन निकलता है और आयरन ब्लैक फंगस का मनपसंद भोजन है। स्टेरॉयड से उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए भी सांस के जरिए नाक में जगह बना लेता है। जिन कोविड मरीजों को मुहं में पाइप लगाकर ऑक्सीजन दी जा रही है उसे फंगल इंफेक्शन होने के खतरा बना रहता है।

शरीर में तीन जगह करता है हमला

ब्लैक फंगस वातावरण में ही है। यह सबसे पहले मरीज की नाक में साइनस वाली नली में पहुंचाता है। यहां ये आयरन खाता है और बाद में हड्डी खाने लगता है। यह तीन जगह वार करता है। नीचे की ओर आया तो जबड़ा खा जाएगा, ऊपर की ओर गया तो आंख खत्म कर देगा और उसके बाद ब्रेन में पहुंच जाएगा। ब्रेन में पहुंचने के बाद मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

ये इंफेक्शन किन लोगों को होता है

ये उन लोगों को होता है जो डायबिटिक हैं, जिन्हें कैंसर है, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों, जिन्हें कोई स्किन इंजरी हो, प्रिमेच्योर बेबी को भी ये हो सकता है। जिन लोगों को कोरोना हो रहा है, उनका भी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है।

एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता

ब्लैक फंगस इन्फेक्शन है, लेकिन यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता। लेकिन जिस व्यक्ति को इसने चपेट में ले लिया और समय पर इलाज नहीं मिला तो उसकी जान ले सकता है।

पीजीआई ने बनाए नोडल ऑफिसर

नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. जेपी चुघ ने डॉ. उर्मिल चावला को पीजीआई ब्लैक फंगस नोडल ऑफिसर बनाया है। सरकार भी एक कमेटी बना रही है। बताया जा रहा है कि नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. आरएस चौहान स्टेट नोडल अधिकारी बनाया जा सकता है।

जितने दिन की दवा डॉक्टर ने दी है, सिर्फ उतने दिन ही सेवन करें

बिना डॉक्टर की सलाह स्टेरॉयड न लें। जितने दिन की दवा डॉक्टर ने दी है, सिर्फ उतने दिन ही सेवन करें। दरअसल मरीज को स्टेरॉयड दिया जाता है तो वह इसका सेवन ज्यादा दिनों तक करता है, इसलिए भी खतरा बढ़ जता है। पाइप से ऑक्सीजन ले रहे हैं तो रोज पाइप बदलें, पानी वाला डब्बा रोज साफ करें। किसी को शुगर है या नहीं, लेकिन शुगर लेवल मापते रहें। शुगर को कंट्रोल करें। कोविड से ठीक होने के बाद भी बाहर न निकलें और हर सप्ताह ईएनटी, नेत्र रोग विशेष, न्यूरोसर्जरी और मेडीसन के डॉक्टर से चेक करवाएं। बार-बार मुहं साफ करते रहें, गर्म पानी के गरारें करें। नाक से भी पानी लेकर गरारे की तरह करें। इससे 80 प्रतिशत ब्लैक फंगस से बचाव हो सकता है। -डॉ. आरएस चौहान, प्रोफेसर, नेत्र रोग विभाग।

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