बहादुरगढ़ के सेना भर्ती कोचिंग सेंटर से भाग निकले 4 छात्र, तीन नंगे पैर रोहतक पहुंचे, बोले- हमसे करवाते थे ऐसा काम

बहादुरगढ़ के सेना भर्ती कोचिंग सेंटर से भाग निकले 4 छात्र, तीन नंगे पैर रोहतक पहुंचे, बोले- हमसे करवाते थे ऐसा काम
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रोहतक आ रही बस के चालक ने बच्चों की हालत देखी तो संदेह हुआ। चालक ने बस में बैठी एक सोशल वर्कर युवती के साथ मिलकर बच्चों को रोहतक पुलिस के पास पहुंचा दिया।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

बहादुरगढ़ में एक सेना भर्ती का दावा करने वाले कोचिंग सेंटर से 4 बच्चे भाग निकले। एक बच्चा वापस चला गया और 3 बच्चे नंगे पैर भागकर बस में बैठ गए। रोहतक आ रही बस के चालक ने बच्चो की हालत देखी तो संदेह हुआ। चालक ने बस में बैठी एक सोशल वर्कर युवती के साथ मिलकर बच्चो को रोहतक पुलिस के पहुंचा दिया। पुलिस के पास बच्चों ने बताया कि उनसे अकेडमी में पोछा लगवाया जाता है। बासी भोजन दिया जाता है। काम नहीं करने पर मारपीट की जाती है। 2 और 3 दिन पहले भी उन्होंने भागने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें रोक लिया गया। रविवार को छुट्टी थी तो वे मौका पाकर वहां से भाग आए।कई किलोमीटर नंगे पैर चलकर उन्हें बस मिली। इसके बाद बस चालक ने उन्हें थाने पहुंचा दिया। जब परिजन आए तो बच्चे उनके गले लगकर रोने लगे और आपबीती सुनाई।

ये हुआ

बच्चे बस में बैठे तो बस चालक अशोक कुंडू ने बच्चो के हावभाव से पहचान गए। उन्होंने बच्चो से किराया लेने से भी मना कर दिया। बस में ही एक सोशल वर्कर हिमानी थी, उन्होंने भी बच्चों को संदिग्ध मान लिया। इसके बाद बस का चालक और हिमानी बच्चों को रोहतक के सिविल थाना ले आए। यहां सोशल वर्कर रघुवेंद्र मालिक को भी बुला लिया गया। उन्होंने बच्चो से बात की और उनका मनोबल बढ़ाया। इतनी देर में बच्चों के अभिभावक आ गए।

पिता बोले, हमारे मां बाप भी पीटते थे

इन बच्चों के अभिभावकों को थाने में बुलाया गया था। इनमें से एक के पिता ने कोचिंग सेंटर में बच्चों के साथ हुई मारपीट को सही ठहरा दिया। उनका कहना था कि जब हम छोटे थे तो हमारे माता पिता भी हमारी पिटाई कर देते थे। काम भी करवाते थे, तब जाकर हम आज यहां खड़े हैं। थाने में तीसरे बच्चे का भाई भी आया। उन्होंने बताया कि मैंने अपने भाई को 10 दिन पहले भेजा था। यहां सेना में जाने के लिए तैयारी करवाई जाती है। पूछेंगे की हुआ क्या है।

परिजनों को सौंपे बच्चे

बहादुरगढ़ के एक हॉस्टल से तीन बच्चों को बस चालक थाने लेकर आया है। बच्चों के परिजनों को बुलाया गया और बच्चे उन्हें सौंप दिए। - रमेश कुमार, एसएचओ, सिविल लाइन थाना।

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