उड़ान भरने को तैयार सुधा बेंगानी : 40 वर्षीय एयरलाइंस कैप्टन ने ब्रेस्ट कैंसर को दी मात, जानें कैसे जीती बीमारी से जंग

हरिभूमि न्यूज : गुरुग्राम
ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही 40 वर्षीय एयरलाइंस कैप्टन सुधा बेंगानी अब उड़ान भरने को तैयार है। शुरुआती चरण के ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित सुधा बेंगानी की गुरुग्राम के अस्पताल में ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी और इसके बाद कीमोथेरापी पूरी तरह सफल रही। सर्जरी के बाद वह चिकित्सा स्तर पर फिट (कैंसर मुक्त) हो चुकी हैं। वहीं अपना उड़ान लाइसेंस रिन्यु करने के लिए आवेदन कर चुकी हैं, यानि फिर से पायलट बनने को तैयार हैं।
पॉयलट जैसे प्रोफेशन में बड़ी जिम्मेदारी होने के साथ उच्च स्तर के शारीरिक फिटनेस की भी आवश्यकता होती है। लेकिन, ब्रेस्ट कैंसर होने की खबर ने सुधा को फलक से जमीं पर पटक दिया। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी जागरूकता, ताकत और वापसी का निश्चय करते हुए सुधा अपने सपने को साकार करने के संघर्ष में जुट गई। उन्होंने डायग्नोसिस कराने की ठानी और हर तरह की शुरुआती प्रतिकूलता से जूझने का मन बना लिया। उनके बुलंद हौंसले के चलते अब वे सर्जरी कराने के बाद पूरी तरह फिट हो गई और अब उड़ान भरने की फिर से तैयारी में हैं।
यहां पत्रकारों से बातचीत में सुधा के साथ अस्पताल के कंसल्टें मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. भुवन चुघ ने कहा कि कम उम्र युवतियों (40 से कम) में ब्रेस्ट कैंसर की डायग्नोसिस मुश्किल होती है। क्योंकि उनके टिश्यू अपेक्षाकृत ज्यादा सघन होते हैं। समय बीतने के साथ उसकी गांठ लक्षण दिखाने लगती हैं और यह एडवांस्ड स्टेज तक पहुंच जाता है, जहां आक्रामक रूप से फैल जाने के कारण इसका इलाज बेअसर होने लगता है। कैंसर के इलाज में हाल की तरक्की के कारण ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में मृत्यु और रुग्णता दर बहुत हद तक कम हुई है। ट्यूमर के चरण और स्तर के आधार पर डॉक्टर मरीजों को सर्जरी, कीमोथेरापी, रेडिएशन थेरापी, हॉर्मोनल थेरापी या टार्गेटेड मेडिकेशन जैसे इलाज की सलाह देते हैं।
ब्रेस्ट में गांठ कैंसर का कारण हो सकती है। लेकिन शुरुआती चरण में ही जितनी जल्दी इस पर ध्यान दिया जाए तो कम से कम इलाज की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि दुनिया में 40 साल से कम उम्र की 7 फीसदी आबादी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है जबकि भारत में यह दर 15 फीसदी है। इसमें भी एक फीसदी मरीज पुरुष हैं जिस कारण दुनिया के मुकाबले भारत में ब्रेस्ट कैंसर के सर्वाधिक मामले हैं। आनुवांशिक होने के अलावा युवाओं में श्रमरहित लाइफस्टाइल, अल्कोहल सेवन, धूम्रपान, बढ़ता मोटापा, तनाव तथा खानपान की गलत आदतों जैसे कई रिस्क फैक्टर भारतीय युवतियों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।
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