आजाद हिंद फौज के 58 गुमनाम सैनिकों को पहचान का इंतजार, तलाश नहीं पाया प्रशासन

आजाद हिंद फौज के 58 गुमनाम सैनिकों को पहचान का इंतजार, तलाश नहीं पाया प्रशासन
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कुल 285 सैनिक ऐसे हैं जिनके परिवारों के बारे में रिकॉर्ड नहीं है। इनमें से 58 रोहतक, सोनीपत और झज्जर जिले से हैं, 2017 में सीएम विंडो पर भी स्वतंत्रता सेनानियों का रिकॉर्ड खंगालने के लिए 10 बार गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधन नहीं हो पाया।

मनोज वर्मा :रोहतक

सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के 58 सैनिक अब भी गुमनाम हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार विभाग ने इनका रिकॉर्ड खंगालकर नाम और गांव सहित सरकार को पहुंचाया दिया। प्रशासन के पास भी रिकॉर्ड है, लेकिन अभी तक इन सैनिकों के परिवारों को तलाशा नहीं गया। मुख्य सचिव ने भी पत्र लिखे, लेकिन अभी तक सैनिकों के परिवारों का पता नहीं चल पाया। इसका असर ये है कि दूसरे विश्वयुद्ध में अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों को आजादी के 74 साल बाद भी स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं मिल पाया। अब रेवाड़ी के श्रीभगवान फौगाट ने ऐसे गुमनाम सैनिकों को पहचान दिलवाने का बीड़ा उठाया है।

वे रोहतक के सीटीएम से भी मिले और सैनिकों के परिवारों को तलाशकर उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देेने की मांग भी उठाई। बता दें कि कुल 285 सैनिक ऐसे हैं जिनके परिवारों के बारे में रिकॉर्ड नहीं है। इनमें से 58 रोहतक, सोनीपत और झज्जर जिले से हैं। चूंकि अभिलेखागार विभाग ने उस समय के हिसाब से इन 58 सैनिकों का जिला रोहतक ही दर्शाया है, इसलिए रिकॉर्ड खंगालने और परिवारों को तलाशने की प्रक्रिया यहीं से शुरू होगी।

सीएम विंडो पर 10 बार गुहार

श्रीभगवान फौगाट ने 2017 में सीएम विंडो पर भी स्वतंत्रता सेनानियों का रिकॉर्ड खंगालने के लिए 10 बार गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधन नहीं हो पाया। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को उनके हक का सम्मान नहीं मिल रहा।

सीटीएम से मिले : श्रीभगवान फौगाट सैनिकों के परिवारों को तलाशने और उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलवाने को लेकर रोहतक की सीटीएम से भी मिले थे। सीटीएम ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जल्द ही उनके परिवारों को तलाशा जाएगा।

अंग्रेजों से बगावत कर शामिल हुए

राष्ट्रीय अभिलेखागार से ऐसे दस्तावेज मिले थे कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए हजारों भारतीय जवान अंग्रेजों से बगावत कर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। फौगाट का कहना है कि इनमें से सैकड़ों जवानों को गुमनाम मान लिया गया था। देश आजाद होने के 70 साल बाद भी लोगों को अपने दादा-परदादा के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। यदि उन्हें यह जानकारी मिल जाए कि उनके पूर्वज ब्रिटिश सेना में साधारण सिपाही ही नहीं थे, अपितु वे स्वतंत्रता सेनानी थे तो उनका सीना गर्व से फूल जाएगा।

रिकॉर्ड दिया पर मुहर नहीं लगी

श्रीभगवान फौगाट खुद स्वतंत्रता सेनानी रामसिंह के बेटे हैं। फौगाट बताते हैं कि आजाद हिंद के कुछ सैनिक शहीद हो गए थे और कुद जिंदा आए थे, लेकिन कुछ सैनिक आज भी पहचान के मोहताज हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार विभाग ने उनका रिकॉर्ड सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने प्रशासन को आजाद हिंद के सैनिकों के नाम और गांव के नाम भी दिए हैं। लेकिन अभी तक इन पर मुहर नहीं लग पाई है। इसलिए आज भी सैनिक सम्मान से महरूम हैं।

हक दिलाकर ही रहेंगे

श्रीभगवान फौगाट का कहना है कि उपायुक्तों द्वारा तो कार्यवाही कर दी जाती है, लेकिन प्रक्रिया में बहुत समय लग रहा है। इस संबंध में उपायुक्तों को ज्ञापन भी सौंपे हैं। उपायुक्त प्रदेश सरकार को समय-समय पर रिमाइंडर भी भेजते रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान होता दिखाई नहीं दे रहा है। मैं हार मानने वाला नहीं, आजाद हिंद फौज के गुमनाम फौजियों के परिजनों को उनका हक दिलाकर ही रहेंगे। किस परिवार का सदस्य स्वतंत्रता सेनानी रहा है और उसे अब तक यह दर्जा नहीं मिल पाया है तो वे मोबाइल फोन नंबर:- 94168-82290 पर संपर्क करके जानकारी दे सकते हैं।

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