विरोध दिवस : किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे, काले झंडे लगाकर व पुतले जलाकर किया केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

विरोध दिवस : किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे, काले झंडे लगाकर व पुतले जलाकर किया केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
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किसान नेताओं ने कहा कि घरों, दुकानों, कार्यालयों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, बसों, ट्रकों पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक 2020 और प्रदूषण अध्यादेश का कड़ा विरोध करें।

Haribhoomi News : केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में 180 दिनों से आंदोलनरत किसानों ने बुधवार को विरोध दिवस मनाते हुए सिंघु और टिकरी बॉर्डर समेत हरियाणा के सभी जिलों में काले झंडे लगाकर व पुतले जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया इसके साथ ही किसानों के धरनों पर आज बुद्ध पूर्णिमा का पावन पर्व भी मनाया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस ऐतिहासिक दिन 'ब्लैक डे' पर किसानों, मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, लेखकों, चित्रकारों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों और दुकानदारों सहित सभी वर्गों से अपना विरोध व्यक्त करने की अपील की है। किसान नेताओं ने कहा कि घरों, दुकानों, कार्यालयों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, बसों, ट्रकों पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक 2020 और प्रदूषण अध्यादेश का कड़ा विरोध करें।

टिकरी बार्डर पर मनाए गए काला दिवस कार्यक्रम में भी महिलाओं की तादाद काफी ज्यादा रही। काला सूट, काली चुनरी ओढ़कर महिलाएं बॉर्डर पर पहुंची। किसान नेत्री जसबीर कौर ने कहा कि आंदोलन को छह महीने और सरकार को सात साल पूरे हो गए हैं। एक तरफ किसान अपने हक के लिए सड़कों पर है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना के कारण देश की आम जनता दवा, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के अभाव में मर रही है। सरकार को देश के लोगों की चिंता नहीं है और मोदी मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं। देश में हजारों करोड़ों रुपये भवन बनाने में खर्च किए जा रहे हैं, हजारों करोड़ों के जहाज मंगाए जा रहे हैं लेकिन लोगों की फिक्र नहीं है। ऑक्सीजन व दवाओं के लिए पैसे नहीं हैं। आज का दिन एतिहासिक है। यह सरकार के कफन में कील साबित होगा। महिला किसान नेत्री सुदेश ने कहा कि मोदी सरकार तानाशाही कर रही है। यह तानाशाही ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी। सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हो चुका है। बच्चे से लेकर बूढे़ देश की सरकार का विरोध कर रहे हैं। सात साल पहले सरकार आई थी। देश के विकास की बात की गई थी और विनाश कर दिया गया। छह महीने से किसान अपने हक के लिए बैठे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को मांग मान लेनी चाहिए, अन्यथा किसान वापस नहीं लौटने वाले। चाहे कितनी कुर्बानी देनी पड़े। किसान अकेले नहीं हैं। उनके साथ महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। पूरा देश किसानों के साथ है। तानाशाह की हार होगी और अन्नदाता की जीत होगी।

वहीं आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा प्रस्तावित विरोध दिवस पर आपत्ति जताई गई। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यह आपत्ति स्वाभाविक है, क्योंकि इस आंदोलन के कारण खासतौर पर भारतीय किसान संघ की जमीन बिल्कुल खिसक चुकी है। भारतीय किसान संघ ने किसान मोर्चा पर बेबुनियाद आरोप लगाए है व किसानों को बदनाम करने का प्रयास किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी आरोपों को खारीज किया है। उन्होंने कहा कि 26 मई के दिन ही मोदी सरकार सत्ता में आई थी, इसलिए इस दिन को विरोध दिवस मनाने के लिए चुना गया है। किसान नेताओं ने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर लड़ रहे हैं और बीकेएस हम पर गलत इल्जाम लगा रही हैं। हम भारतीय किसान संघ से आग्रह करते हैं कि वह सरकार से निवेदन करें कि तीनों कृषि कानून तुरंत रद्द किए जाएं और एमएसपी पर कानून बनाया जाए ताकि किसानों का यह आंदोलन खत्म हो और सभी किसान अपने अपने घर चले गए।

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