हरियाणा सरकार के 600 दिन : परफॉर्मेंस को लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सबसे आगे

हरियाणा सरकार के 600 दिन : परफॉर्मेंस को लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सबसे आगे
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कोविड हो जाने और पैर में फ्रैक्चर के बावजूद विज करते रहे कामकाज, हर रोज सौ शिकायतों का औसत, सीएम भी सातों दिन चौबीसों घंटे सक्रिय, कोई अवकाश नहीं इन दिनों में भी कामकाज में रहते व्यस्त।

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़

केंद्रीय मंत्रिमंडल में कामकाज को लेकर फेरबदल के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए जा रहे मंत्र के बाद हरियाणा में भी मंत्रिमंडल बदलाव को लेकर सुगबुगाहट की शुरुआत हो गई है। यह भी माना जा रहा है कि आने वाले दो सप्ताह के अंदर-अंदर मुख्यमंत्री कामकाज की स्पीड बढ़ाने के लिए कुछ बड़े बदलाव हाईकमान की इजाजत के साथ में कर सकते हैं। बीती रात नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर अहम बैठक के बाद में मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दे दिए थे कि इस तरह के फैसले रणनीतिक होते हैं, इसलिए इसकी जानकारी किसी को कैसे दी जा सकती है?

कुळ मिलाकर राज्य की मनोहर सरकार के शुक्रवार को छह सौ दस दिन पूरे हो गए हैं, छह सौ दिन पूरे होने पर सीएम सरकार के कामकाज का ब्योरा मीडिया के सामने रख चुके थे। अब उन्होंने आने वाले दिनों में हर सौ दिनों में होने वाले कामकाज की जानकारी देने का फैसला भी कर लिया है। केंद्र में बड़ा फेरबदल हो जाने के बाद राज्य में भी बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं, साथ ही कईं तरह की सुगबुगाहट और सियासी चर्चाएं भी चलने लगी हैं।

राज्य में भी परफॉर्मेंस की बात करें, तो यहां राज्य सरकार के मुखिया मनोहरलाल सातों दिन और चौबीसों घंटे कामकाज करने के लिए मशहूर हैं, इतना ही नहीं अवकाश के दिनों में भी उन्हें अहम बैठकें करने, फैसले लेने में कोई गुरेज नहीं हैं। दूसरा फील्ड में भी सीएम भागदौड़ के मामले में पीछे नहीं हैं। इसी तरह से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी अपने विभागों को लेकर जागरुकता के साथ में सक्रिय रहकर चला रहे हैं, आए दिन बैठकों के साथ साथ विभागों की लगातार समीक्षा का दौर, आफिस में बैठने के मामले में हाजिरी बेहतर है।

सीएम के बाद में अगर सबसे ज्यादा अपने आफिस में बैठने वाले मंत्री की बात की जाए, तो उसमें गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कोई भी सानी नहीं है। कोविड की पहली लहर हो या फिर दूसरी लहर विज हर दिन अपने मंत्रालय में आकर फाइलें निकालने, बैठकें करने के साथ साथ लोगों की सुनवाई करने से भी पीछे नहीं हटे। सीएम के बाद में सबसे सक्रिय, रोजाना मंत्रालय में बैठने, जनता की सुनने वाले मंत्री विज परफॉर्मेंस मामले में भी काफी आगे हैं। इस तरह से आने वाले दिनों में उनके कामकाज को देखते हुए कोई अहम जिम्मेदारी व महकमा उनको दिए जाने की भी चर्चा है।

लगभग दो माह रहा कामकाज प्रभावित, इस दौरान भी रहे सक्रिय

प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज विपरीत हालात के बाद भी कामकाज करने की क्षमता रखते हैं। कोविड हो जाने के बावजूद उन्होंने वीसी और फोन पर दिशा निर्देश जारी करते हुए फाइलों को थमने नहीं दिया। इसी तरह से कोविड से पहले बाथरुम में पैर फिसल जाने के बाद टांग में फ्रैक्चर के बावजूद विज अपने मंत्रालय में वाकर लेकर पहुंचते रहे। इन छह सौ 10 दिनों से एगर दो माह का वक्त निकाल भी दें, तो विज के पास में कम से कम पचास हजार शिकायतें अब तक पहुंची हैं। जिसमें उनके सात महकमों में सबसे ज्यादा शिकायत पुलिस अर्थात होम विभाग की हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग, शहरी निकाय विभाग व अन्य विभागों की भी आती हैं। औसतन विज के पास में सौ शिकायतें आए दिन आती हैं। शनिवार और रविवार को इनकी संख्या और ज्यादा हो जाती है।

नान परफारमर और कामकाज से बचने वालों पर गिरेगी गाज

कामकाज नहीं करने, जनता के बीच में नहीं रहने वाले कुछ चेहरों में सीएम बदलाव कर कुछ अन्य चेहरों को अपने मंत्रीमंडल में कामकाज करने का मौका दे सकते हैं। इस तरह की चर्चा अब केंद्र में बदलाव हो जाने के बाद में तेजी पकड़ गई है। दूसरा हरियाणा में बतौर राज्यपाल हिमाचल से आने वाले बंडारु दतात्रेय संभालने जा रहे हैं। सीएम मनोहरलाल ने वर्तमान में सत्यदेव आर्य से मुलाकात कर उनके त्रिपुरा जाने पर शुभकामनाएं दी हैं। प्रदेश में भी मंत्रीमंडल में बदलाव और कुछ खाली चेयरमैन वाले पदों पर सियासी चेहरों की तैनाती करने की चर्चाएं जारी हैं। सीएम खुद दिल्ली के दौरे कर केंद्रीय नेताओं के साथ में मुलाकात कर चुके हैं। उनमें भले ही देश के प्रधानमंत्री हों, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हों या फिर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सभी से लंबी चर्चा और मुलाकातों का सिलसिला चल चुका है। लेकिन हमेशा ही सीएम ने इस तरह की बातों पर विराम लगाने का काम किया और एक सप्ताह पहले दिल्ली दौरों का अर्थ नहीं निकाले जाने की अपील मीडिया से की थी । लेकिन वीरवार को उन्होंने इसे एक सियासी ऱणनीति का हिस्सा होने की बात कहकर संकेत दे दिए हैं कि राज्य सरकार में भी अंदर ही अंदर कुछ ना कुछ पक रहा है।

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