महेंद्रगढ़ जिले में 72 स्टोन क्रेशर बंद ही रहेंगे, जानें क्यों

महेंद्रगढ़ जिले में 72 स्टोन क्रेशर बंद ही रहेंगे, जानें क्यों
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केस एनजीटी से सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से वापस एनजीटी में पहुंचने के बाद एनजीटी सख्ती से जिले के 72 स्टोन क्रेशरों को तुरंत बंद करने के 24 जुलाई 2019 के अपने पिछले आदेश को लागू करने के आदेश दिए हैं।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

महेंद्रगढ़ जिले के बहुचर्चित अवैध स्टोन क्रेशरों व पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ चल रहे लंबे मामले में एनजीटी से सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मामला वापस एनजीटी में पहुंचने के बाद माननीय एनजीटी कोर्ट में तेजपाल-हरियाणा सरकार 679/2018 के तहत चले लम्बे मुकदमे की दो दिन पहले सुनवाई हुई। जिसमें एनजीटी के चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने जिले के 72 स्टोन क्रेशरों को तुरंत बंद करने के 24 जुलाई 2019 के अपने पिछले आदेश को अमलीजामा पहनाने के सख्त निर्देश दिए है।

जिला प्रशासन दूरी मापदंड की अवहेलना कर रहे सभी स्टोन क्रेशरों को बंद करने के साथ-साथ वहन क्षमता, डार्क जोन सहित कई पहलुओं पर 8 अप्रैल 2021 से पहले-पहले पूरी कार्रवाई रिपोर्ट एनजीटी को सौंपने को कहा है। यहीं नहीं, जिले के पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने और इसकी रिपोर्ट भी सौंपने सहित अनेक पहलुओं पर माननीय एनजीटी ने आदेश दिया है।

सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव ने बताया कि इस सुनवाई पर एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने लगभग डेढ़ वर्ष पहले 24 जुलाई 2019 के फैसले को यथावत रखते हुए सभी 72 स्टोन क्रेशरों को तुरन्त बंद करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने स्टोन क्रेशरों की वहन क्षमता पर आदेश देते हुए कहा कि एक निश्चित क्षेत्र में अधिक स्टोन क्रेशर खड़ा करना उस क्षेत्र के वहन क्षमता के खिलाफ है। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने आगे बोलते हुए कहा कि जिला प्रशासन दूरी मापदंड की अवहेलना कर रहे सभी 72 स्टोन क्रेशरों को बंद करने के साथ-साथ वहन क्षमता, डार्क जोन सहित कई पहलुओं पर 8 अप्रैल 2021 से पहले-पहले पूरी कार्रवाई रिपोर्ट एनजीटी को सौंपे। इसके साथ-साथ तेजपाल यादव ने अपने वकील राजकुमार के माध्यम से बार-बार इस बिंदु को उठाया कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत व राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में पनप रहे खेत-खेत में स्टोन क्रेशरों को खड़ा करने के इन पूंजीपतियों के खेल में आखिर क्षेत्र की जनता प्रदूषण से क्यों पिसे।

इस पर एनजीटी के चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल ने महेंद्रगढ़ जिले के प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में लोगों की स्वास्थ्य जांच करने व इससे संबंधित पूरी रिपोर्ट सौंपने के जिला प्रशासन व हरियाणा सरकार को आदेश दिए। एनजीटी चेयरपर्सन ने कहा कि महेंद्रगढ़ जिले के अंदर ईट-भट्ठे की संख्या भी पर्यावरण की वहन क्षमता के हिसाब से ज्यादा है तो स्टोन क्रेशरों को क्षेत्र की वहन क्षमता को दरकिनार करके चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि किसी भी इंडस्ट्री का चलना उस क्षेत्र के लोगों के स्वच्छ वायु में सांस लेने व जीने के अधिकार से बड़ा नहीं हो सकता।

जांच में लोग प्रदूषण की वजह से बीमार मिले तो करेंगे मुआवजे की मांग

इस आदेश पर पर्यावरणविद् इंजीनियर तेजपाल यादव ने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि महेंद्रगढ़ जि़ले के 72 स्टोन के्रशरों को बंद करने के साथ-साथ पूरे जिले के पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य की जांच होना हरियाणा के पर्यावरण इतिहास में एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने निष्पक्ष रूप से स्वास्थ्य जांच की तो जो लोग प्रदूषण की वजह से टीबी, दमा, अस्थमा, सिल्कॉसिस, चर्म रोग, सांस लेने में तकलीफ आदि बीमारियों से प्रभावित मिले तो हम माननीय कोर्ट से मांग करेंगे कि हरियाणा सरकार व पूंजीपति वर्ग द्वारा इनके स्वास्थ्य की पूर्ति हेतु मुआवजा दिलवाया जाए।

क्या था 24 जुलाई 2019 के आदेश में

खातोली जाट निवासी पर्यावरणविद् तेजपाल यादव ने ढाई वर्ष पहले 2018 में सीनियर एडवोकेट राजकुमार के माध्यम से एनजीटी कोर्ट में स्टोन क्रेशरों व पर्यावरण प्रदूषण के विरोध मे याचिका दायर की थी। जिस पर आगे सुनवाईयों में तीन क्रेशरों की एनओसी रद्द करने, पूरे महेंद्रगढ़ जिले के सभी स्टोन क्रेशरों की जांच करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही आगे की सुनवाई में 3 बड़े अधिकारियों पर बड़ी गाज भी गिरी थी। इसी मामले में महेंद्रगढ़ के तत्कालीन जिला उपायुक्त जगदीश शर्मा ने एनजीटी मे खुद व्यक्तिगत रूप से पेश होकर निष्पक्ष रिपोर्ट एनजीटी क़ो सौंपी। इसी रिपोर्ट के आधार पर माननीय एनजीटी ने 24 जुलाई 2019 को महेंद्रगढ़ जिले के 72 स्टोन क्रेशरों क़ो तुरंत बंद करने, संबंधित व सम्मिलित अधिकारियों पर हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को कार्रवाई करने, पर्यावरण की क्षतिपूर्ति हेतु क्रेशर संचालकों क़ो हर्जाना भरने व डार्क जोन सहित सभी पहलुओं पर जांच करने के आदेश दिए थे। अगली तारीख 5 सितंबर 2019 मुकर्रर की गई थी। तेजपाल यादव का आरोप था कि राजनीतिक आकाओं ने इस मामले को लटकाने की मंशा रखते हुए प्रशासन पर दबाव बनाकर माननीय एनजीटी के इस आदेश को लागू ही नहीं होने दिया।

इसी वजह से क्रेशर संचालकों को सुप्रीम कोर्ट में जाने का समय मिल गया। सुप्रीम कोर्ट मे क्रेशर संचालकों को कुछ समय की राहत मिल गई। तेजपाल यादव ने वकील प्रशांत भूषण को इस केस की पैरवी के लिए आग्रह किया। नवंबर माह में इस केस को सुप्रीम कोर्ट से वापस एनजीटी में स्थानांतरित करवाया व प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी क़ो मामला जल्द से जल्द एक तय समय सीमा मे सुनने के लिए आग्रह किया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके आग्रह कोे स्वीकार करते हुए 2 नवंबर 2020 को माननीय एनजीटी को सिर्फ 4 हफ्तों के अंदर इस मामले में दोनों पक्षों क़ो सुनकर जल्द फैसला करने के आदेश दिए थे। उसी के उपरांत अब एनजीटी ने 3 दिसंबर 2020 क़ो सुनवाई करते यह फैसला दिया है।

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