कोरोना और रूस-युक्रेन युद्ध ने तोड़ी उद्यमियों की कमर, पानीपत टेक्सटाइल उद्योग को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान !

कोरोना और रूस-युक्रेन युद्ध ने तोड़ी उद्यमियों की कमर, पानीपत टेक्सटाइल उद्योग को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान !
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  • जर्मनी में टेक्सटाइल मेलों का दूसरे साल भी आयोजन रद्द हुआ, दोनों मेलों में दुनिया भर के बॉयर भाग लेते हैं
  • विदेशी बॉयरों से पानीपत के एक्सपोर्टरों का साल भर के एक्सपोर्ट की रूपरेखा तय होती थी

विकास चौधरी : पानीपत

बुरे वक्त में आता है खुदा याद, पर हम तो वो गुजरी कै खुदा को भी गए भूल। दुनिया में कोरोना महामारी की शुरूआत सन 2020 में शुरू हुई और कोरोना का प्रकोप अभी तक जारी है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगा और पानीपत में विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाइल उद्योग मार्च माह के अंत में पूरी तरह से बंद हो गया। टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों व उद्यमियों ने अपनी नेक कमाई से प्रवासी श्रमिकों को जीवन यापन करवाया। इसके चलते पानीपत में निवास कर रहे छह लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों का पलायन नहीं हुआ। वहीं, वर्ष 2021 में भी कोरोना के प्रकोप से पानीपत टेक्सटाइल उद्योग बुरी तरह प्रभावित रहा।

इधर, पानीपत टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों व उद्यमियों को उम्मीद थी कि वर्ष 2021 में जर्मनी में रद हुए विश्व स्तरीय टेक्सटाइल व हैंडीक्राफ्ट मेलों का आयोजन वर्ष 2022 में होगा और बीते सालों में हुए नुकसान की भरपाई दोनों मेलों में मिलने वाले टेक्सटाइल उत्पादों के आर्डरों से पूरी हो जाएगी। इधर, चालू वर्ष में जैसे ही कोरोना का दुष्प्रभाव खत्म हुआ, वहीं रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। रूस के यूक्रेन पर हमले से यूरोप महाद्वीप के साथ अमेरिका भी किसी ने किसी रूप में दुष्प्रभावित होना शुरू हुआ। वहीं युद्ध का दुष्प्रभाव के चलते यूरोप महाद्वीप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक जर्मनी ने अपने शहरों हेनओवर में फ्रैंकफर्ट में आयोजित होने टेक्सटाइल मेलों का आयोजन रद्द कर दिया। मेलों का आयोजन रद्द होने से पानीपत एक्सपोर्ट उद्योग, निर्यातकों व उद्यमियों को असहनीय आर्थिक झटका लगा।

फैडरेशन ऑफ पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन भीम राणा ने बताया कि जर्मनी में हर साल टेक्सटाइल संबंधी उत्पादों के दो विश्व स्तरीय मेलों का आयोजन होता था, इन मेलों में दुनिया भर के बॉयर जुटते थे, मेलों में पानीपत से भी बडी संख्या में एक्सपोर्टर भाग लेते थे, जो अपने उत्पादों के सैंपल बॉयरों को दिखा कर साल भर के लिए टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात का ऑर्डर लेते थे। उन्होंने बताया कि बार बार कोरोना के प्रकोप व रूस-यूके्रन युद्ध के चलते जर्मनी में टेक्सटाइल व हैंडीक्राफ्ट यानि हाथ व मशीनों से बने कारपेट, दरियां आदि मेलों का आयोजन रद कर दिया। जर्मनी में मेलों का आयोजन रद होने से पानीपत टेक्सटाइल उद्योग को कम से कम आठ हजार करोड का फटका लगा है। इंडियन एक्सपोर्ट काउंसिल के मेंबर विनोद धमीजा ने बताया कि जर्मनी में हर साल टेक्सटाइल और हैंडीक्त्राफ्ट उत्पादों का विश्व स्तरीय मेलों का आयोजन होता था इन मेलों के रद्द होने से पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग व एक्सपोर्टरों को नुकसान हुआ है। जिस की भरपाई करने में सालों लग जाएगे।

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