Hisar : रिटायरमेंट से कुछ माह पहले डीआईजी बलवान सिंह राणा पर एफआईआर दर्ज करने के लिए 25 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप, पढ़ें पूरा मामला

Hisar : रिटायरमेंट से कुछ माह पहले डीआईजी बलवान सिंह राणा पर एफआईआर दर्ज करने के लिए 25 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप, पढ़ें पूरा मामला
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आरोप है कि डीआईजी बलवान सिंह राणा ने पुलिस विभाग के एक बड़े अधिकारी के जरिए पहले उनसे 50 लाख रुपये रिश्वत की मांगी। नेहरा के अनुसार, जब उन्होंने पैसे नहीं दिए तो कुछ दिन बाद दोबारा से उनके पास संदेशा भेजा गया कि एफआईआर और उसके बाद की कार्रवाई के लिएए डीआईजी 50 की बजाए अब 25 लाख रुपये लेने के लिए भी तैयार हैं।

हिसार : डीआईजी सह पुलिस अधीक्षक हिसार बलवान सिंह राणा रिश्वत मांगने के मामले में घिर गए हैं। दिल्ली बाइपास स्थित फोर्ड एजेंसी के संचालक प्रदीप नेहरा का आरोप है कि उनकी एक अन्य पेथानॉयल कम्पनी के कुछ कर्मचारियों ने साढ़े सात करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। इस मामले में एफआईआर और जांच करवाने में आनाकानी की जा रही थी।

नेहरा का आरोप है कि डीआईजी बलवान सिंह राणा ने पुलिस विभाग के एक बड़े अधिकारी के जरिए पहले उनसे 50 लाख रुपये रिश्वत की मांगी। नेहरा के अनुसार, जब उन्होंने पैसे नहीं दिए तो कुछ दिन बाद दोबारा से उनके पास संदेशा भेजा गया कि एफआईआर और उसके बाद की कार्रवाई के लिएए डीआईजी 50 की बजाए अब 25 लाख रुपये लेने के लिए भी तैयार हैं। गौरतलब है कि राणा पर रिश्वतखोरी का संगीन आरोप ऐसे समय में लगा है जबकि पुलिस विभाग में उनकी रिटायरमेंट को कुछ ही माह का समय शेष है। नेहरा का साफ कहना है कि डीआईजी राणा पर रिश्वत मांगे जाने के जो आरोप उन्होंने लगाए हैं। इसके पूरे साक्ष्य उनके पास हैं और वह आरोप वापस लिए जाने के निर्णय से पलटने वाले नहीं है।

प्रदीप नेहरा का कहना है कि जब उन्होने पैसे नहीं दिए तो उन्हे झूठे केसों में फंसाया जा गया है लेकिन वह किसी से डरने वाले नहीं हैं। हालांकि बलवान सिंह राणा ने खुद पर रिश्वतखोरी के लगे आरोपों का सिरे से खंडन किया है।

गौरतलब है कि हिसार पुलिस ने तारा फोर्ड एजेंसी संचालक प्रदीप नेहरा के खिलाफ सोमवार को ही कम्पनी के पूर्व कर्मचारी दिनेश को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का केस दर्ज किया है। नेहरा का कहना है कि उनकी स्पेयर पार्ट्स से जुड़ी पेथेनॉयल कम्पनी में साढ़े सात करोड़ रुपये की ठगी की शिकायत विभिन्न जांच अधिकारियों के पास जाती रही। मगर पुलिस का जोर शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाए उसे केंसिल करने पर रहा।

नेहरा का कहना है कि दो साल पहले मेरे यहां कुछ कंपनियों में स्पेयर पार्ट से जुड़ी धांधली का पता चला था। इस मामले में कुछ कर्मचारियों पर केस भी दर्ज हुआ था। इसमें जहरीले पदार्थ से सुसाइड करने वाला कर्मचारी दिनेश भी था। करीब 8 महीने पहले मैंने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए एक शिकायत दी थी। लेकिन शिकायत को कई महीनों तक जांच के नाम पर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में घुमाया गया। एफआइआर दर्ज नहीं होने पर डीआइजी बलवान सिंह राणा से सम्पर्क करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। हद तो तब हुई इस प्रकरण के बाद मेरे पास पुलिस विभाग का एक बड़ा अधिकारी ने उनसे कहा कि आपकी एफआईआर दर्ज हो जाएगी, मगर 50 लाख रुपये खर्च होंगे। मना कर दिए जाने के कुद दिन बाद पुलिस के अधिकारी का कहना था कि डीआइजी साहब 25 लाख रुपये में भी तैयार हैं। नेहरा ने कहा कि इस पर मैंने कहा कि चाहे जो हो, शिकायत दर्ज करने के लिए एक पैसा भी नहीं दूंगा।

नेहरा सबूत सार्वजनिक करें : राणा

खुद पर लगे आरोपों के बारे में डीआईजी बलवान सिंह राणा ने कहा कि प्रदीप नेहरा ने मेरे ऊपर जो आरोप लगाए हैं, वह बेबुनियाद हैं। अगर उनके पास कोई सुबूत है तो वह सार्वजनिक करें। वह कह रहे कि मैंने रिश्वत मांगी और केस दर्ज नहीं किया तो उन्होंने इसकी कहां शिकायत की। अब तक वह चुप क्यूं थे और अब जब नेहरा के खिलाफ केस दर्ज हो गया है, तो वह गलत आरोप लगा रहे हैं। प्रदीप नेहरा की शिकायत कुछ महीने पहले हमारे पास आई थी। वह फोक्सवैगन के अधिकारी के खिलाफ पर्चा दर्ज करवाना चाह रहे थे। मामले की जांच करवाई तो वह झूठा निकला था।

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