निष्क्रिय स्थिति से बाहर निकल रही आम आदमी पार्टी, हरियाणा में मृत पड़ी Aap को पंजाब चुनाव ने दी संजीवनी

निष्क्रिय स्थिति से बाहर निकल रही आम आदमी पार्टी, हरियाणा में मृत पड़ी Aap को पंजाब चुनाव ने दी संजीवनी
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दिल्ली के साथ सटे हरियाणा में केजरीवाल ने अभी तक पार्टी को खड़ा करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए थे, परंतु पंजाब में सरकार बनने के बाद उनका अगला निशाना हरियाणा हो सकता है। संभावनाओं की कश्ती पर सवार होते हुए पार्टी के प्रदेश प्रभारी डा. सुशील गुप्ता ने जहां सक्रियता बढ़ाने का काम किया है, वहीं दक्षिणी हरियाणा के सभी जिलों के प्रभारी सुरेश बव्वा को भी पार्टी के स्वर्णिम भविष्य के सपने दिखाई देने लगे हैं।

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए सरकार बनाने में कामयाब रही आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं के सपनों को पंख लगने लगे हैं। हरियाणा में चंद नेताओं की बदौलत अपनी मामूली उपस्थिति दर्ज कराने वाली आम आदमी पार्टी के नेताओं का मनोबल पंजाब में सरकार बनने के साथ सातवें आसमान पर पहुंच चुका है। दिल्ली के साथ सटे हरियाणा में केजरीवाल ने अभी तक पार्टी को खड़ा करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए थे, परंतु पंजाब में सरकार बनने के बाद उनका अगला निशाना हरियाणा हो सकता है। संभावनाओं की कश्ती पर सवार होते हुए पार्टी के प्रदेश प्रभारी डा. सुशील गुप्ता ने जहां सक्रियता बढ़ाने का काम किया है, वहीं दक्षिणी हरियाणा के सभी जिलों के प्रभारी सुरेश बव्वा को भी पार्टी के स्वर्णिम भविष्य के सपने दिखाई देने लगे हैं।

दिल्ली में सरकार बनने के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि केजरीवाल के निशाने पर अब हरियाणा प्रदेश होगा। वह खुद मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी पार्टी में प्रदेश के लोगों ने अभी तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। गत विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा में अपने राजनीतिक भविष्य की तलाश में निकले केजरीवाल को इस बात का अहसास हो गया था कि हरियाणा के राजनीतिक हालात उनके अनुकूल नहीं हैं। यही वजह थी कि उन्होंने गत विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को मैदान में नहीं उतारा। किसान आंदोलन के दौरान जब दिल्ली बॉर्डर पर पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन पर बैठे हुए थे, तो केजरीवाल ने उन्हें बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराकर उनका दिल जीतने का प्रयास किया था। किसान आंदोलन के बीच हुए ऐलनाबाद उपचुनाव में भी केजरीवाल ने हाथ आजमाने का कोई प्रयास नहीं किया।

नवीन जयहिंद ने आम आदमी पार्टी का प्रभारी बनने के बाद प्रदेश स्तर पर सार्थक प्रयास शुरू किए थे। बाद में उनके लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के कारण पार्टी आगे नहीं बढ़ सकी। सुशील गुप्ता भी पार्टी को बड़ा मुकाम हासिल कराने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं कर पाए। उन्होंने पूरे प्रदेश की बजाय साउथ हरियाणा से पार्टी को मजबूती प्रदान करने के प्रयास गत वर्ष शुरू किए थे। इसके लिए नए चेहरे के रूप में सुरेश बव्वा को 6 जिलों की कमान सौंप दी। इसके बाद एक मोटरसाइकिल यात्रा फरीदाबाद से लेकर नारनौल तक निकाली गई, जो औसत से अधिक नहीं थी। लंबा समय बीत जााने के बावजूद गुप्ता प्रदेश के किसी बड़े नेता को आम आदमी पार्टी के साथ जोड़ने में सफल नहीं हो सके थे। आप के नेताओं के तमाम प्रयासों के बावजूद कोई भी बड़ा नेता इसमें शामिल नहीं होना चाह रहा था।

अब पंजाब में सरकार बनने के बाद राजनीति जानकार मानने लगे हैं कि यह पार्टी हरियाणा में भी अपने कदम बढ़ाते हुए लोगों को नया विकल्प देने का प्रयास कर सकती है। दूसरे दलों में लंबे समय से घुटन महसूस करने वाले नेता आम आदमी पार्टी में जाने की तैयारी कर सकते हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखते हुए भाजपा नेता इस तरह का जोखिम नहीं उठाएंगे, लेकिन विफलता की हद तक जा चुकी कांग्रेस के कई नेता इसे विकल्प के रूप में आजमा सकते हैं। चार राज्यों में दमदार जीत के भाजपा नेता इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आने लगे हैं कि प्रदेश में 2024 के चुनावों में भी पार्टी का डंका जोरों से बजने वाला है। भाजपा नेताओं का उत्साह भी इन चुनावों के बाद काफी हद तक बढ़ चुका है। देखना यह होगा कि प्रदेश को लेकर केजरीवाल की अगली रणनीति क्या होगी।

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