चौटाला परिवार में जुबानी जंग : अभय बोले- BJP के पास है JJP नेताओं के भ्रष्टाचार की फाइलें, गठबंधन टूटा तो उठा ले जाएंगे ED वाले

चौटाला परिवार में जुबानी जंग : अभय बोले- BJP के पास है JJP नेताओं के भ्रष्टाचार की फाइलें, गठबंधन टूटा तो उठा ले जाएंगे ED वाले
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अभय सिंह ने कहा कि जेजेपी नेता दावा करते हैं कि उनकी पार्टी चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलने वाली पार्टी है तो सरकार को मजूबर कर दें कि केएमपी का नाम बदल के चौधरी देवीलाल के नाम से करें। नही तो समर्थन वापिस ले लेंगे।

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद/भट्टूकलां

इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव और ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला फतेहाबाद के भट्टू पहुंचे और यहां हल्का स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार जो भूमि अधिग्रहण कानून ला रही है, उसके बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए पूरे प्रदेश में यात्रा निकलेंगे। उन्होंने कहा कि जिस समय प्रदेश सरकार यह बिल विधानसभा में लेकर आई, अब उस समय वे विधानसभा में नहीं थी अन्यथा सरकार को कटघरे में खड़ा कर देते। विधानसभा में कांग्रेस ने भी इसका विरोध तक नहीं किया। यह भूमि अधिग्रहण कानून केन्द्र सरकार के तीनाें काले कृषि कानूनों से भी ज्यादा खतरनाक है। इसके खिलाफ सभी को दोबारा लड़ाई लड़नी होगी।

अभय सिंह चौटाला ने जहां एक और निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत के आरक्षण पर जहां सरकार की मंशा पर सवाल उठाया वहीं जेजेपी नेताओ पर भी जमकर निशाना साधा। अभय सिंह ने कहा कि जेजेपी नेता दावा करते हैं कि उनकी पार्टी चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलने वाली पार्टी है तो सरकार को मजूबर कर दें कि केएमपी का नाम बदल के चौधरी देवीलाल के नाम से करें। नही तो समर्थन वापिस ले लेंगे। उन्होंने दावा किया कि जेजेपी नेता कभी भी जेजेपी सरकार से अपना समर्थन वापिस नही लेंगे क्योंकि भाजपा के नेताओं के पास जजपा नेताओं की फाइलें है। अगर जेजेपी सरकार से समर्थन वापिस लेने का प्रयास भी करती है तो शाम तक ईडी उन्हें उठा कर ले जाएगी।

उन्होंने निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझ कर इतना कमजोर कानून बनाया कि हाइकोर्ट में जाते ही स्टे हो गया। अगर वास्तव में सरकार युवाओं को नौकरी देने की मंशा रखती है तो रेगुलर नौकरी क्यों नही निकलती। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में जजपा के नेताओं ने चौधरी देवीलाल के नाम पर वोट मांगे और 10-11 सीटों पर जीत मिलते ही ये नेता देवीलाल की नीतियों को गिरवी रखकर भाजपा की गोद में जा बैठे।

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