CRSU में वीसी की योग्यता पर उठे सवाल पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू, अब फंसा एक और नया पेंच, जिस पर बिठा दी जांच, पढ़ें आगे

हरिभूमि न्यूज. जींद
सीआरएसयू वीसी प्रो. आरबी सोलंकी ने कहा कि पूर्व रजिस्ट्रार डा. राजबीर सिंह मोर (Dr. Rajbir Singh Mor) द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो निराधार हैं। उन्होंने कागजातों को लेकर कोई जानकारी नहीं छुपाई।
उनकी प्रतिनियुक्ति नियमानुसार सीआरएसयू में हुई थी। सीआरएसयू में प्रतिनियुक्ति के समय एप्लीकेशन फार्म पर वही जन्मतिथि लिखी है, जो वास्तविक है। वीसी प्रो. आरबी सोलंकी शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। वीसी प्रो. सोलंकी ने कहा कि कोई सरकारी कर्मचारी दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति पर जा सकता है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार 65 साल की उम्र तक दोबारा नियुक्ति पा सकता है।
उनकी एक्सटेंशन की फाइल पर तत्कालीन रजिस्ट्रार डा. राजबीर मोर के ही हस्ताक्षर (signature) हैं। अगर उनको कुछ गलत लगता था, तो हस्ताक्षर क्यों किए। दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर वीसी लगे हैं, जहां उनसे कई सीनियर प्रोफेसर थे। वे खुद वीसी नहीं लगे हैं। राज्यपाल ने नियुक्ति की थी। वीसी लगाना सरकार का फैसला होता है। वीसी ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जहां वीसी का कार्यकाल कम बचा हो और वो भर्तियां नहीं कर सकता हो।
गौरतलब है कि पूर्व रजिस्ट्रार राजबीर मोर ने पिछले दिनों राज्यपाल के सचिव को शिकायत भेजी है। जिसमें उन्होंने वीसी प्रो. आरबी सोलंकी की योग्यता पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की थी। वहीं वीसी का छह माह से कम कार्यकाल बचा होने का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय में जारी भर्ती प्रक्रिया पर भी रोक लगाने की मांग की थी।
पूर्व रजिस्ट्रार के समय रिकार्ड गायब, जांच कमेटी गठित
प्रो. आरबी सोलंकी ने बताया कि डेढ़ साल पहले साइकोलॉजी विभाग के लिए हुए छह शिक्षकों के इंटरव्यू का रिकार्ड गायब हो गया। वो रिकार्ड रजिस्ट्रार के पास होता है। उस समय रजिस्ट्रार डा. राजबीर मोर थे। कार्यकारी परिषद ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है।
डा. राजबीर मोर से इस रिकार्ड के बारे में पूछा गया था। उसने इसके बाद में जानकारी होने से इंकार किया है। रजिस्ट्रार प्रो. राजेश पूनिया ने बताया कि रिकार्ड गायब होना बड़ी लापरवाही होती है। रिकार्ड को गायब करने में जिसकी भी भूमिका होगी, उस पर जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी।
भर्तियां रुकवाने के लिए लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोप
पिछले दिनों किसी ने चिट्ठी वायरल की थी, जिसमें जिसमें सीआरएसयू में चल रही भर्तियों में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे लेकिन उसमें लिखने वाले का नाम नहीं था। वीसी ने इस मामले में कहा कि जब भी विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया शुरू होती है। उस भर्ती प्रक्रिया को रोकने के लिए ऐसी शिकायतें शुरू हो जाती हैं। जिनका कोई आधार नहीं होता। इस मामले में जांच के लिए एसएसपी को लिखा हुआ है।
सीआरएसयू लगतार तरक्की पथ पर
वीसी प्रो. सोलंकी ने कहा कि उन्होंने डेपुटेशन पर सीआरएसयू में आने के बाद डीन ऑफ कॉलेजिज का चार्ज संभाला था। सीआरएसयू को प्रदेश के करीब 500 बीएड कालेजों में दाखिले की लगातार पांच साल जिम्मेदारी मिली।
इससे विश्वविद्यालय को करीब 150 करोड़ रुपया मिला। वहीं कोरोना काल में नए निर्माण कार्यों पर रोक लगी थी लेकिन सीआरएसयू को सरकार ने नए निर्माण कार्यों की अनुमति दे दी है। इस साल छह मंजिला लाइब्रेरीए टीचिंग ब्लॉक और गैस्ट हाउस का निर्माण शुरू हो जाएगा।
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