गुजवि के सहायक प्रोफेसर की उपलब्धि : मल्टीपरपज स्मार्ट लॉक के डिजाइन को पेटेंट ग्रांट

गुजवि के सहायक प्रोफेसर की उपलब्धि : मल्टीपरपज स्मार्ट लॉक के डिजाइन को पेटेंट ग्रांट
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  • कुलपति नरसीराम बिश्नोई ने बताया विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि
  • स्मार्ट लॉक डिजाइन अपनी तरह का अब तक का पहला डिजाइन

Hisar : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डाॅ. राजेन्द्र बेनीवाल के मल्टीपरपज स्मार्ट लॉक के डिजाइन को पेटेंट ग्रांट हुआ है। भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा डाॅ. बेनीवाल को इस संबंध मे प्रमाण पत्र प्राप्त हो गया है। डा. राजेन्द्र बेनीवाल का स्मार्ट लॉक डिजाइन अपनी तरह का अब तक का पहला डिजाइन है। डाॅ. राजेन्द्र बेनीवाल पेटेंट प्रमाण पत्र के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से मिले।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि यह पेटेंट विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि है। जैसे-जैसे तकनीक का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। यह स्मार्ट लॉक वर्तमान समय की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। सुरक्षा से संबंधित चिंताओं को दूर करने में इस स्मार्ट लॉक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विश्वविद्यालय नए अनुसंधानों के प्रति शिक्षकों को प्रेरित कर रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि शिक्षक अपने अनुसंधानों को पेटेंट करवाने की तरफ ध्यान दें। विश्वविद्यालय में पेटेंट को बढ़ावा देने के लिए पेटेंट सैल की स्थापना की गई है।

डाॅ. राजेन्द्र बेनीवाल ने बताया कि उनका यह आविष्कार स्मार्ट लॉक श्रेणी में एक क्रांतिकारी कदम है। स्मार्ट लॉक का डिजाइन इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित है। साइबर अपराध के इस दौर में चोरी के बढ़ते तरीकों की चुनौतियों से निपटने में यह स्मार्ट लॉक सक्षम सिद्ध होगा। यह लॉक संबंधित व्यक्ति के फिंगरप्रिंट से खुलेगा। यदि कोई अन्य व्यक्ति इस लॉक को खोलना चाहेगा तो उसे संबंधित व्यक्ति से एक प्रक्रिया के तहत अनुमति लेनी होगी। इस लॉक का डिजाइन अब तक इस तकनीक से बने अन्य लॉक से अलग तथा श्रेष्ठ है। यही इस लॉक की सबसे बड़ी खासियत है। विभागाध्यक्षा डाॅ. सुमन दहिया ने कहा कि इस पेटेंट से विभाग की पहचान और अधिक सुदृढ़ होगी। साथ ही अन्य शिक्षकों को भी नए अनुसंधान करने तथा उसे पेटेंट करवाने के लिए प्रेरणा मिलेगी। यह पेटेंट अनुसंधानों की तरफ विभाग की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है।

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