खनन अधिकारी पर कार्रवाई : आरटीएस कमीशन ने लगाया 60000 का जुर्माना, लापरवाह अधिकारियों को नहीं जाएगा बख्शा

खनन अधिकारी पर कार्रवाई : आरटीएस कमीशन ने लगाया 60000 का जुर्माना, लापरवाह अधिकारियों को नहीं जाएगा बख्शा
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हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने बलराम सिंह तत्कालीन खनन अधिकारी फरीदाबाद पर मामलों में अत्यधिक देरी करने पर 60000 रुपए ( 3 मामलों में 20-20 हजार रुपए ) का जुर्माना लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।

चंडीगढ़ । हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने बलराम सिंह तत्कालीन खनन अधिकारी फरीदाबाद पर मामलों में अत्यधिक देरी करने पर 60000 रुपए ( 3 मामलों में 20-20 हजार रुपए ) का जुर्माना लगाया। साथ ही कहा कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। आयोग के सचिव ने इस संबंध में बताया कि आयोग ने पाया कि खान एवं भूविज्ञान विभाग की फरवरी एवं मार्च 2022 की मासिक प्रदर्शन रिपोर्ट के अनुसार खनिज डीलर लाइसेंस के वितरण के कुछ मामलों में देरी हुई थी, जो हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम 2014 के तहत अधिसूचित सेवा है।

उन्होंने बताया कि मामले का संज्ञान लेते हुए आयोग ने तत्काल जांच शुरू की और इन मामलों पर स्थिति रिपोर्ट सांझा करने के लिए निदेशक, खान एवं भूविज्ञान विभाग को एक स्वत: संज्ञान नोटिस जारी किया। खनिज डीलर लाइसेंस की प्रदायगी अधिसूचित सेवा के तहत होती है, जिसकी प्रदायगी 45 कार्य दिवसों की समय-सीमा के भीतर आवेदक को होनी चाहिए। तथापि, कुछ मामलों में आवेदन एक वर्ष से भी अधिक समय से लंबित पाए गए।

उन्होंने कहा कि खनन अधिकारी फरीदाबाद को कारण बताओ नोटिस भेजे जाने के बावजूद उसके पास ऐसे तीन मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित पाए गए। जांच के दौरान पाए गए तथ्य बलराम सिंह, जिनके पास फरवरी, 2023 तक खनन अधिकारी फरीदाबाद का प्रभार रहा, उनकी ओर से हुई चूक की ओर इशारा करते हैं। इन आरोपों की पुष्टि खनन और भूविज्ञान विभाग के निदेशक द्वारा भी की गई थी।

उन्होंने कहा कि जांच के दौरान पाए गए सभी तथ्यों पर विचार करते हुए आयोग ने आरोपी खनन अधिकारी बलराम सिंह पर 60000 रुपए ( 3 मामलों में 20-20 हजार रुपए ) का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। आयोग ने विभाग मुख्यालय द्वारा निभाई जा रही पर्यवेक्षी भूमिका पर भी अपनी गहरी अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में, आयोग ऐसी देरी के लिए नामित अधिकारी को दंडित करेगा। विभाग को ऐसे मामलों से निपटने के लिए प्रत्येक स्तर पर स्पष्ट एसओपी सुनिश्चित करनी चाहिए और उनकी ओर से कड़ी निगरानी की जानी चाहिए।

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