तेज धूप से फसलों पर पड़ रहा प्रतिकूल असर, उत्पादन गिरने का खतरा, गेहूं को ज्यादा नुकसान

नारनौल। गत 30 जनवरी को समूचे क्षेत्र में हुई बरसात से रबी फसलों को जो संजीवनी मिली थी, अब वह तेज धूप खिलने से नष्ट होती दिखाई दे रही है। सर्दी एवं बरसात से जो नमी बनी थी, वह तेज धूप से सूख गई है और इससे गेहूं, जौ एवं चना की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। पहले पाले की मार से सरसों की फसल बर्बाद हो गई थी और अब तेज धूप ने गेहूं को भी नुकसान पहुंचा दिया है, जिस कारण किसानों में निराशा बनी हुई है।
बता दें कि रबी सीजन में इलाके के किसान सरसों, गेहूं, चना एवं जौ की फसलें लेते हैं। नगद आमदनी देने वाली सरसों की फसल यहां के किसान सर्वाधिक बोते हैं, जबकि गेहूं की फसल भी व्यापक स्तर पर पैदावार ली जाती है, लेकिन गत 15 जनवरी से करीब एक सप्ताह तक इलाके में जमकर पाला गिरा था और इससे सरसों की फसल खासकर अगेती सरसों को भारी नुकसान पहुंचा था। दाना सरसों की फली में मर गया था और इससे सरसों की नुकसान बर्बाद हो गई थी। उसके बाद मौसम में पुन: बदलाव आया और घना कोहरा बनने से पाला गिरना बंद हो गया। इसके पश्चात 30 जनवरी को प्रात: करीब 11 बजे बूंदाबांदी शुरू हुई और यह देर रात तक जारी रही। इस बरसात से सरसों ही नहीं, गेहूं, जौ एवं चना की फसलों को भी भारी लाभ हुआ तथा इससे अच्छी फसल की उम्मीदें पुन: पल्लवित हो गई, लेकिन अब मौसम ने पुन: करवट बदली हुई है और पिछले कुछ दिनों से दिन के समय तेज धूप खिलने लगी है। तेज धूप खिलने से लोगों को भले ही कड़ाके की ठंड से राहत मिल गई हो, लेकिन यह फसलों के लिए नुकसानदायी मानी जा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान फसलों के असमय पर पकने का बन गया है और गेहूं की फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आने का खतरा बन गया है। यह मौसम गेहूं ही नहीं, चने की खेती के लिए भी प्रतिकूल बना हुआ है। फरवरी माह में गत वर्ष के मुकाबले तापमान इस बार करीब पांच से छह डिग्री सेल्सियस अधिक है। दिन का तापमान 25 से 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
जिले में इस बार 80 हजार 850 एकड़ में गेहूं की खेती है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए इस समय तापमान 15 से 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिए। क्षेत्र में मध्य जनवरी में पाला गिरने से जहां सरसों की फसल को नुकसान हुआ। वहीं गेहूं की फसल के लिए ठीक रहा, लेकिन एक सप्ताह बाद ही अचानक तापमान में बढ़ोतरी होने से किसान चिंतित है। फरवरी की शुरूआत से ही तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगी। इसके चलते कृषि वैज्ञानिकों से लेकर किसानों तक को पसीना आने लगा है। बढ़े तापमान के चलते गेहूं की फसल पर विपरीत असर पड़ने का पूरा खतरा है। किसानों का मानना है कि यदि इसी प्रकार तापमान में वृद्धि हुई तो गेहूं की उत्पादकता में कमी आएगी। खासतौर पर गेहूं की पछेती फसल में काफी नुकसान हो सकता है।
यह कहते हैं किसान
फरवरी के शुरूआती दिनों से ही बढ़ रहा तापमान गेहूं की फसल के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा। इस समय तापमान कम होना चाहिए था। अन्यथा गेहूं का दाना पनपने से पहले ही मर जाएगा तथा उत्पादन गिरेगा। बढ़ते तापमान की वजह से फसल में कीटों के प्रकोप बढ़ने की भी आशंका है। - जगत सिंह, किसान।
तेज धूप खिलने से रबी फसलें जल्दी पक जाएंगी, जबकि अभी कुछ दिन और थोड़ी ठंड की आवश्यकता थी। तापमान बढ़ने से गेहूं, जौ एवं चना की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे फसलें खराब होने का खतरा है और बरसात की आवश्यकता है। इससे गेहूं की फसल पर बीमारियों के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। -दलीप सिंह, किसान।
इस रबी सीजन में शुरू से लेकर अब तक बीच में केवल 30 जनवरी को बूंदाबांदी हुई थी और किसानों ने जैसे-तैसे सिंचाई के इंतजाम करके फसलें उगाई थी, लेकिन अब राम रूठा हुआ है। पहले पाले ने मारा और अब धूप की मार ने कमर तोड़ दी है। सरकार व प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की ज्यादा से ज्यादा मदद करे। - बनवारी लाल, किसान।
तेज धूप से बचाव का कोई उपाय नहीं है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसका सबको सामना करना पड़ता है। तेज धूप से सरसों, गेहूं, जौ एवं चना सबको नुकसान पहुंचेगा। सरसों जल्दी पक जाएगी, वहीं गेहूं का दाना कमजोर पड़ जाएगा। इसका बचाव मौसम परिवर्तन ही है। वैसे किसान हल्की सिंचाई भी कर सकते हैं। - बलवंत सहारण, डीडीए, कृषि विभाग, नारनौल।
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