किसानों को सलाह : रोजाना करें खेतों की देखभाल, कपास की होगी बंपर फसल

हरिभूमि न्यूज : भिवानी
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. आत्माराम गोदारा ने बताया है कि रोजाना अपने खेतों में लगाई गई खरीफ की फसलों की रोजाना देखभाल करें। खासकर कपास की फसल के बीच में उगने वाले खरपतावारों व किस वक्त दवाएं व खाद का प्रयोग किया जाए। इन बातों को ध्यान रखना निहायत जरूरी है। अगर समय पर नलाई-गुडाई, दवाओं का छिड़काव व खाद का प्रयोग किया जाए तो कपास की बम्पर फसल होगी। उन्होंने बताया कि किसान जून माह के पहले सप्ताह में किसान अपनी कपास की फसल की एक खोदी जरूर करें। कपास की फसल खासकर बीटी कपास में खूड से खूड व पौधे से पौधे का फासला अधिक होने व शुरू की अवस्था में कपास के पौधे की बढ़वार कम होने के कारण खरपतवारों को उगने व पनपने का अनुकूल वातावरण मिलता है जिसके कारण कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। यह खरपतवार केवल कपास की बढ़वार को ही नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि मिलीबग, साटा सुंडी व सफेद मक्खी जैसे कीड़ों को आश्रय देकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
कौन- कौन से खरपतवार कपास की फसल को करते है प्रभावित
डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार संकरी पत्ती वाले. मकड़ा, छोटा सांवक, बड़ी सांवक एमधाना, तकड़ी घास, कुता घास, चिडि़यों का दाना,चौड़ी पत्ती वाले, सांठी, कोंधरा, भांखड़ी, मटरू बेल, चोलाई, कागारोटी, जलभंगड़ा, कुकर,भंगड़ा, झिरनीया, सदाबहार, हिरणखुरी, मोरा बरूं, कांस,बूई, ढाब,सांठी,कोंदरा, मोथा, मकडा, सावक सबसे अधिक नुकसानदायक खरपतवार हैं। सांठी खरपतवार कपास की फसल में दो-तीन बार उगता है और उगने के 15 दिन बाद ही इस पौधे में फूल आ जाते हैं। इनका एक पौधा बढ़कर जमीन पर गलिचा बना देता है और एक पौधे से लगभग 20 हजार बीज पैदा होते हैं जो कि जमीन पर गिरने के तुरन्त बाद भी उगने की क्षमता रखते हैं।
कीटनाशक दवाओं का स्प्रे
कपास की फसल में पहली सुखी गुड़ाई बिजाई के 20-25 दिन बाद व दूसरी पहला पानी लगने के बाद करें। जब फसल 50 से 60 दिन की हो जाए तो बैलों की त्रिपाली से या ट्रैक्टर के पीछे कल्टीवेटर लगाकर हलोड दे। बिजाई के तुरंत बाद दो.तीन दिन के अंदर स्टांप 30 ईसी की 1.5 लीटर मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से सांठी, कोदरा, सावंक व मकड़ा खरपतवारों का अच्छा नियंत्रण हो जाता है। कपास में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु बिजाई के 40-45 दिन बाद सुखी गोड़ाई के पश्चात स्टांप 30 ईसी की 1.5 लीटर मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब को को 250-300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तत्पश्चात फसल में सिंचाई लगाएं।
उन्होंने बताया कि जड़ गलन रोग से प्रभावित पौधों के आस पास के स्वस्थ पौधों में कार्बेडाजिम 2 ग्राम प्रति लिटर का घोल बनाकर 400 से 500 मिलीलीटर जड़ों में डालें तथा बीमारी से सूखे हुए पौधों को उखाड़ दें ताकि बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि फसल पर लगातार निगरानी रखें तथा पत्ती मरोड़ रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें। उपनिदेशक ने बताया कि आमतौर पर जून माह में कपास की फसल में थ्रिप्स या चूरड़ा का प्रकोप हो जाता है। इसलिए थ्रिप्स की संख्या 10 या अधिक प्रति पत्ता पहुंचने पर ही सिफारिश की गई कीटनाशकों का ही प्रयोग करें। इसके लिए किसी भी ज्यादा जहरीले कीटनाशक के मिश्रण का प्रयोग ना करें।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS