ममता शर्मशार : बच्चे को जन्म देकर मां ने झाड़ियों में फेंका, दंपती को मिला

ममता शर्मशार : बच्चे को जन्म देकर मां ने झाड़ियों में फेंका, दंपती को मिला
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नवजात का सामान्य अस्पताल में इलाज किया जा रहा है, स्वस्थ होने के बाद उसे फरीदाबाद भेजा जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि बिन ब्याही मां ने अपने पाप को छुपाने के लिए नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया।

हरिभूमि न्यूज : नूंह

बच्चे मां के जिगर का टुकड़ा होता है, लेकिन अगर जन्म देने वाली मां ही बच्चे को तिल - तिल मरने के लिए छोड़ दे, तो इसे कलयुग की मां का नाम ही दिया जाएगा। ऐसी ही एक कलयुगी मां ने अपने बच्चे को जन्म दिया और उसे मरने के लिए मरोड़ा तथा बलई गांव के बीच के जंगल में झाड़ियों में छोड़ दिया। पशु चराने वाले सहाबदीन व उनकी पत्नी अरशीदा को पशु चराते समय झाड़ियों से बच्चे के रोने की आवाज आई, तो उन्होंने वहां जाकर देखा तो घायल अवस्था व नग्न अवस्था में नवजात मिला।

दंपती उसे अपने घर ले आए और अपने बच्चों की तरह लावारिस बच्चे को अपनाया और उसके घावों पर मरहम लगाने के साथ-साथ उसका इलाज शुरू कर दिया। अरशीदा ने इस बच्चे को न केवल अपने गोद दी बल्कि इसका नाम भी अल्लाहबख्श रखने का फैसला कर लिया। दंपती ने एक बेटी होने के चलते इसे अपने बेटे के रूप में लालन - पालन करने का फैसला कर लिया लेकिन साथ ही कहा कि अगर जिला प्रशासन उन्हें इस बच्चे को रखने की इजाजत देगा, तभी वह इसका लालन / पालन करेंगे। अगर प्रशासन ने बच्चे को रखने की इजाजत नहीं दी तो वह बच्चे को उनके हवाले कर देंगे। मरोड़ा गांव के लोगों ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर इस बारे में सूचना दी तो चेतनालय एनजीओ के पदाधिकारी मरोड़ा गांव में पहुंचे और साहबदीन तथा अरशीदा से बच्चे को अपने कब्जे में लेकर इलाज के लिए अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा पहुंचाया।

चेतनालय एनजीओ के पदाधिकारी नरेश कुमार ने कहा कि बच्चे का इलाज कराया जा रहा है। बच्चे की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। बच्चे को नलहड़ मेडिकल कॉलेज रेफर कराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि रूल के मुताबिक मरोड़ा गांव के दंपती को बच्चा नहीं लौटाया जाएगा बल्कि इस तरह के लावारिस बच्चों को फरीदाबाद में रखा जाता है। जहां इस बच्चे को स्वस्थ होने के बाद भेजा जाएगा। बच्चे का इलाज सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में चल रहा है। कलयुगी मां ने भले ही अपनी कोख से पैदा होने वाले बच्चे को मरने के लिए लावारिस अवस्था में जंगल में छोड़ दिया हो, लेकिन कुदरत ने चंद घंटे बाद ही ना केवल साहबदीन व अरशीदा के रूप में उसे लालन-पालन करने वाले माता-पिता दिए, बल्कि उसे आगे की कार्रवाई के लिए चेतनालय एनजीओ के पदाधिकारी इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे। आशंका जताई जा रही है कि बिन ब्याही मां ने अपने पाप को छुपाने के लिए नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया।

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