तीन गिरफ्तार : गोवंश की हत्या कर लग्जरी गाड़ियाें में दिल्ली बेचते मांस, बाकि अंग डालते थे नाले में

हरिभूमि न्यूज.भिवानी
गंदे नाले में गोवंश के अवशेष मिलने के महज 12 दिन के भीतर मामले को सुलझा दिया गया है।। पुलिस ने गोवंश की हत्या करके उनके खुर, खाल व अन्य अवशेष नाले में डालने के आरोप में तीन लोगों को पकड़ा है। जिनमें से दो लोग दिल्ली के रहने वाले तथा एक व्यक्ति बरेली का रहने वाला है। तीनों आरोपितों ने गोवंश की हत्या करके अवशेषों को गंदे नाले में डालने की बात कबूल की है। फिलहाल पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर रही है।
सीआईए स्टाफ 2 भिवानी व अनाज मंडी चौकी पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक सुरेश कुमार की टीम द्वारा संयुक्त रुप से गोवंश के अवशेष मिलने के मामले में तीन आरोपितों को पकड़ा है। आरोपितों की पहचान नदीम पुत्र मुन्ना वासी मस्जिद वाली गली दिल्ली, इरफान पुत्र ईरशाद वासी बरेली तथा मोहसीन पुत्र अनीष वासी दिल्ली के रूप में हुई है। पुलिस उक्त आरोपितों से पूछताछ कर रही है।
यह था मामला
थाना शहर भिवानी के अंतर्गत पुलिस चौकी अनाज मंडी ने दयानंद वासी ढाणा रोड, दादरी गेट भिवानी ने थाना शहर पुलिस भिवानी के अंतर्गत पुलिस चौकी अनाज मंडी कोई शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि वह सेफ्टी टैंक चलाने का कार्य करता है। 5 मार्च 2021 को रात के समय लोहारू रोड गंदा नाला में सेफ्टी टैंक खाली करने के लिए आया था जो दयानंद ने नाले में सफेद कट्टे में सींग निकले हुए दिखाई दिए जो किसी गोवंश के लग रहे थे। इसकी सूचना गौ सेवकों व पुलिस को दी गई। गौ रक्षक व पुलिस के द्वारा नाले को चेक करने पर गंदा नाले से गोवंश के सिर,खाल व खुर बरामद किए गए थे।
लग्जरी गाड़ियों में ले जाते थे मांस
गहनता से पूछताछ करने पर आरोपित नदीम ने पुलिस को बताया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर दादरी रोड पर कचरा प्लांट के अंदर सुनसान जगह पर साथियों के साथ पहुंच जाता था। पहले आसपास के इलाके में खड़े आवारा पशुओं को कचरे के प्लांट के अंदर ले जाते थे। उसके बाद वे साथियों के साथ मिलकर लावारिस गोवंश व बैल को काटते थे। वहीं गोवंश के खाल,खुद व अन्य हिसो को कट्टों में डालकर गंदे नाले में डाल देते थे। वहीं मास को अलग से गाड़ी में डालकर दिल्ली ले जाकर बेच देते थे।
दो गाड़ियाें का करते थे इस्तेमाल
आरोपितों ने बताया कि वह दिल्ली जाते समय दो गाड़ियाें का इस्तेमाल किया करते थे। वह जिस गाड़ी में मांस ले जाया करते थे उसके आगे आगे एक गाड़ी चलती थी। वह यह देखकर तय करती थी कि कोई आगे चेकपोस्ट या जांच टीम तो नहीं है। रास्ता कलियर होते ही पीछे वाली गाड़ी भी निकल जाती थी। वे यह सारा कार्य रात में ही पूरा करके अल सुबह दिल्ली पहुंच जाते थे। उसके बाद वे बड़े आराम से मांस को बाजार में बेच देते थे।
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