ऑक्सीजन के बाद अब रोहतक पीजीआई में खून की कमी

मनोज वर्मा : रोहतक
कोविड महामारी में पीजीआई के सामने नया संकट पैदा हो गया है। ऑक्सीजन पहले ही कम थी, अब खून की कमी भी हो गई है। हालात ये हैं कि पीजीआईएमएस के ब्लड बैंक में 'ओ' पॉजिटिव खून की कुल 7-8 यूनिट ही बची हैं। 'बी' पॉजिटिव लगभग खत्म है। अन्य ब्लड ग्रुप की सिर्फ 10-10 यूनिट ही ब्लड बैंक में हैं। निगेटिव ब्लड ग्रुप का स्टॉक है, क्योंकि इसकी खपत कम होती है। अब भी 100 यूनिट रक्त हर रोज चाहिए, लेकिन रक्तदान करने वाले नहीं आ रहे। मरीजों के तिमारदार जो रक्तदान करते हैं, उनके बदले में उन्हें दूसरा रक्त दे दिया जाता है। जैसे-तैसे करके ब्लड बैंक काम चला रहा है। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ब्लड बैंक के विभागाध्यक्ष ने प्रशासन से इमरजेंसी में रक्तदान शिविर लगाने की मंजूरी ली है। पीजीआई का स्टॉक खत्म होने के कगार पर है। रक्त की कमी को पूरा करने के लिए सामाजिक संस्थाएं आगे आ गई हैं, रक्तदाताओं ने मोर्चा नहीं संभाला तो आने वाले दिनों में हालात ज्यादा गंभीर हो जाएंगे।
हर 15वें दिन 20 थैलेसीमिया रोगियों को खून चाहिए
पीजीआई में थैलेसीमिया से ग्रस्त 20 रोगी ऐसे आते हैं, जिन्हें हर 15वें दिन खून चढ़ाना होता है। रोगी 20 हैं, लेकिन कई बार इनकी संख्या 25-30 भी हो जाती है। ऐसे रोगियों को खून नहीं चढ़ाया तो इनके लिए समस्या पैदा हो जाती है। वैसे अभी हर मरीज को फोन पर कहा जा रहा है कि जिसे ज्यादा जरूरत हो वो ही खून चढ़वाने आएं। पहले ही उन्हें बता दिया जाता है कि किस तारीख को उन्हें खून चढ़ाया जाएगा। इसके अलावा लेबर रूम में भी हर रोज डिलीवरी हो रही हैं और वहां भी खून की जरूरत होती है। एक्सिडेंटल केस में भी खून चढ़ाना पड़ता है।
अब 100 यूनिट हर रोज जरूरत
कोविड से पहले पीजीआई में हर रोज 180-200 यूनिट रक्त की खपत होती थी, यानी अलग-अलग विभागों में भर्ती मरीजों को इतना खून हर रोज दिया जाता था। कोविड के कारण इलेक्टिव सर्जरी बंद कर दी गई हैं, लेकिन अब भी लेबर रूम, एक्सीडेंट में घायलों और थैलेसीमिया के मरीजों के लिए 100 यूनिट रक्त हर रोज चाहिए।
300 यूनिट से भी काम चले
वैसे तो पीजीआईएमएस के ब्लड बैंक में 1500 यूनिट रक्त स्टॉक हो सकता है। लेकिन अब स्टज्ञॅक खत्म होने लगा है। कुछ यूनिट रक्त की बचा है। अगर 250-300 यूनिट भी हर रोज स्टॉक में रहे तो किसी तरह से काम चलाया जा सकता है।
'बी'+ की सबसे ज्यादा मांग
पीजीआई में सबसे ज्यादा 'बी' पॉजिटिव रक्त की खपत होती है। कारण ये है कि बड़ी संख्या में लोगों का ब्लड ग्रुप 'बी' पॉजिटिव ही होता है। इसके बाद 'ए' पॉजिटिव की खपत सबसे ज्यादा है। ए-बी पॉजिटिव ब्लड की जरूरत भी ज्यादा होती है। निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले कम लोग होते हैं। इसलिए इन ग्रुप के खून की खपत भी कम है। फिलहाल भी निगेटिव ब्लड ग्रुप का स्टॉक तो बचा हुआ है।
हर रोज 15 से 20 आते हैं खून देने
ब्लड बैंक में हर रोज 15-16 तिमारदार खून देने आते हैं। उनके मरीजों को स्टॉक से दूसरा खून दे दिया जाता हैं। जो रक्त तिमारदार देते हैं, उसे स्टॉक कर लिया जाता है। खींचतान करके काम चलाया जा रहा है। यही हालात रहे तो मरीजों को गंभीर समस्या से जूझना पड़ सकता है।
रक्तदान करें
कोरोना महामारी के चलते हमारे सबसे बड़े दानी रोहतक जिले में मे रक्त की बहुत कमी हो गई है। जिला रेड क्रास सोसायटी रोहतक के प्रधान व जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने रोहतक में रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति दे दी है। आप सभी रक्तवीरों से अनुरोध किया जाता है कि आप सभी ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करें।- देवेन्द्र चहल सचिव जिला रेड क्रास सोसायटी रोहतक
पीजीआई का ब्लड बैंक बिल्कुल सुरक्षित है। व्यक्ति यहां आकर रक्तदान कर सकता है। कोविड के कारण लोग नहीं आ रहे, लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि ब्लड बैंक में सुरक्षा के सभी इंतजाम हैं और कोई भी व्यक्ति यहां आकर रक्तदान कर सकता है। वैक्सीन लगवाने से पहले युवा रक्तदान जरूर करें। ब्लड बैंक में खून की कमी है और अब रक्तदाताओं को आगे आना होगा, नहीं तो समस्या पैदा हो सकती है। - डॉ. गजेंद्र सिंह, विभागाध्यक्ष, ब्लड बैंक, पीजीआईएमएस।
रक्त दान शिविर लगाने के लिए संस्थाओं से संपर्क शुरू कर दिया गया है। उनसे पूछा गया है कि कौन-कौन सी संस्था शिविर लगाना चाहती हैं वे अपना स्थान व किस दिन लगा सकते हैं कन्फर्म करें। ताकि सभी के सहयोग से रक्त की कमी को पूरा किया जा सके।- गुलशन निझावन, प्रधान, पालिका बाजार।
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