Farm Laws : कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद अब मची राजनीतिक श्रेय लेने की होड़

Farm Laws : कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद अब मची राजनीतिक श्रेय लेने की होड़
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शुरुआत में कांग्रेस व इनेलो यहां सक्रिय भी रही। लेकिन बीते कई महीनों से केवल बड़े नेताओं के आगमन पर ही इन दलों के धुरंधर नजर आए। बहरहाल, अब नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ने कानून वापस लेने की घोषणा कर सही निर्णय लिया है।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद राजनीति तेज हो गई है। सभी दल इसका श्रेय लेने की कोशिश में जुटे हैं। करीब एक साल से आंदोलनकारियों को कोस रहे भाजपाई इस घोषणा का स्वागत कर रहे हैं। कांग्रेस व इनेलो भी अपने-अपने प्रयास और संघर्ष में दिया गया साथ बताने में पीछे नहीं हैं। हद तो यह है कि जजपाई भी यह कह रहे हैं कि दुष्यंत चौटाला के दबाव में यह फैसला लिया गया है।

बीते साल जब केंद्र सरकार तीन कृषि कानून लाई थी, तो उसके विरोध में आंदोलन शुरू हुआ। इसका अहम हिस्सा बहादुरगढ़ भी बना। भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा और खाप-पंचायतों के बैनर तले हजारों किसान करीब 10 किलोमीटर लंबे पड़ाव में डटे रहे। इस दौरान दैनिक धरनों के अलावा दर्जनों बड़े प्रदर्शन किए, ट्रैक्टर रैलियां निकालीं। शुरुआत में कांग्रेस व इनेलो यहां सक्रिय भी रही। लेकिन बीते कई महीनों से केवल बड़े नेताओं के आगमन पर ही इन दलों के धुरंधर नजर आए। बहरहाल, अब नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ने कानून वापस लेने की घोषणा कर सही निर्णय लिया है।

कृषि कानूनों की वापसी के निर्णय पर राठी खाप के प्रधान रणबीर राठी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री का हृदय से अभिनंदन करते हैं। पीएम मोदी की यह सकारात्मक पहल है। पीएम किसानों के कल्याण के लिए हर कदम उठाने को तैयार रहते हैं। परनाला निवासी अशोक राठी सोनू के अनुसार भाजपा सरकार के लिए किसानों की भावनाएं व उनके हित सर्वोपरि हैं। कृषि कानून छोटे किसानों के हित के लिए लाए गए थे। यदि किसान असहमत रहे हैं, तो प्रधानमंत्री ने वापस लेने की घोषणा कर दी है।

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि सरकार की नैतिक हार हुई है। आगामी चुनावों में हार के डर से कृषि कानून वापस लिए गए हैं। यदि सरकार पहले ही यह फैसला ले लेती तो इतने किसानों की जान न जाती। यह किसानों की जीत है, सत्य की जीत है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर किसानों के साथ शुरू से ही थी। हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन एमएसपी, मुकदमे वापसी, मृत किसानों के स्वजन को मुआवजे के मुद्दे पर किसानों के साथ संघर्ष जारी रखेंगे।

भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक राठी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सकारात्मक पहल का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि किसान कल्याण के लिए पीएम हर कदम उठाने को तैयार हैं। उन्होंने विपक्षियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। मोदी व मनोहर सरकार ने किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अनेक लाभकारी योजनाएं चला रखी हैं। भाजपा सरकार किसानों के हित में कोई भी फैसला लेने से पीछे नहीं हटती।

इनेलो नेता सतीश नंबरदार ने कहा कि लोकतांत्रिक ढंग से किए गए आंदोलन को किसी भी तरह दबाया नहीं जा सकता। किसानों की एकता, संघर्ष और बलिदान आखिरकार रंग लाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इन कानूनों को निलंबित कर रखा था। अभय चौटाला के त्याग का असर सरकार ने ऐलनाबाद उपचुनाव में देखा। पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए कानून वापस लिए गए। कृषि कानूनों के विरोध में सैकड़ों किसान शहीद हो गए। कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी भी मिलनी चाहिए।


बहादुरगढ़ : मोदी का आभार जताते राठी खाप के प्रतिनिधि।

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