फसलों में अंधाधुंध दवाइयों के हो रहे छिड़काव से परेशान कृषि वैज्ञानिक, लग सकती है रोक

फसलों में अंधाधुंध दवाइयों के हो रहे छिड़काव से परेशान कृषि वैज्ञानिक, लग सकती है रोक
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कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों का आह्वान किया है कि एक वक्त में सिर्फ एक ही खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव किया जाएं, दूसरी बार अन्य खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव करना चाहिए।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

फसलों में अंधाधुंध दवाइयों के हो रहे छिड़काव ने कृषि वैज्ञानिकों की टेंशन बढ़ दी है। कृषि विभाग की तरफ से अगल-अलग जगहों से हुई रिसर्च में उक्त खुलासा हुआ है कि खेत में उगने वाले विभिन्न प्रकार के खरपतवारों में प्रतिरोधक क्षमताएं काफी अधिक बढ़ गई है। ऐसे में मजबूरी में कृषि वैज्ञानिक कई प्रकार की खरपतवारनाशक दवाइयों पर रोक लगाई जा सकती है। ताकि फसलों की गुणवत्ता पर ज्यादा प्रतिकूल असर न पड़े।

बता दें कि जिले में गेहूं, धान, बाजरा, कपास, मक्का आदि फसलों को किसान प्रमुख रूप से उगाते है। उक्त फसलों में कई प्रकार के खरपतवार उग जाते है। जिसकी वजह से एक तरफ जहां मुख्य फसल की ग्रोथ पर प्रतिकूल असर पड़ता है, बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता भी खराब होती है। ऐसे में किसान खरपतवार नाशक दवाइयों का इस्तेमाल करते है। खरपतवारनाशक दवाइयों के अधिक इस्तेमाल से किसानों के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों की भी टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि अब खरपतवारों पर दवाइयों का असर होना बंद हो गया है।

सल्फोसल्फ्यूरॉन व क्लेडिनाफॉप के छिड़काव पर लग सकती है रोक

रोहतक में मंथन करने पहुंचे कृषि वैज्ञानिकों के रिसर्च में सामने आया है कि चौड़े पत्तों वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किसान क्लोडिनाफॉल व सल्फोसल्फ्यूरॉन जैसी खरपतवार नाशक दवाइयों को मिलाकर स्प्रे कर रहे हैं। बार-बार खेत में ऐसा करने से खरपतवारों में प्रतिरोध क्षमता इतनी अधिक बढ़ गई है कि उक्त दवाइयों का असर होना ही बंद हो गया है। ऐसे में किसान अगर दवाई के छिड़काव की मात्रा बढ़ाते है तो इससे मुख्य फसल पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं पर्यावरण भी काफी प्रदूषित होता है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों का आह्वान किया है कि एक वक्त में सिर्फ एक ही खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव किया जाएं, दूसरी बार अन्य खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव करना चाहिए।

कृषि विभाग की जेडआरईएसी की बैठक, अलग-अलग जिले के अधिकारियों ने लिया भाग

प्रदेश के रोहतक में कृषि विभाग की जेडआरईएसी की बैठक में अलग-अलग सोनीपत, रोहतक, इज्जर, फरीदाबाद, पलवल के कृषि वैज्ञानिक व कृषि अधिकारी शामिल हुए। बैठक में धान की फसल में पैदा हुई बौने पौधे की समस्या को लेकर भी मंथन किया गया है। जिसके अंतर्गत सामने आया कि बौने पौधे की समस्या उन्हें खेतों में अधिक पाई गई है, जिन खेतों में अगेती धान की रोपाई की गई है। इसके अतिरिक्त मानसून सीजन के दौरान जिन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या पैदा होती है। उन क्षेत्रों में फसलों पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों पर मंथन किया गया। पानी निकासी व्यवस्था को भी दुरुस्त करने पर फोकस किया गया।

फसलों में हो रहे दवाइयों के इस्तेमाल ने चिंता बढ़ा दी है। खेत में खरपतवार नाशक दवाइयों के अधिक इस्तेमाल से खरपतवार में प्रतिरोधक क्षमताएं पैदा हो गई है। उत्पादन क्षमता बढ़ाने के और भी बेहतर उपाय व रास्ते है। जिनके इस्तेमाल से आमदनी के साा-साथ उसकी गुणवता को बढ़ा सकते है। किसानों का आह्वान किया गया है कि वे एक साथ दो दवाइयों को मिलाकर छिड़काव न करे। अनिल सहरावत, जिला कृषि अधिकारी।

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