नैनो यूरिया को परखेगा कृषि विभाग, 2200 एकड़ गेहूं की फसल में होगा प्रयोग

अमरजीत एस गिल:रोहतक। फर्टिलाइजर निर्माता कंपनी इफ्को ने तरल यूरिया नैनो किसानों के लिए बाजार में उतार दिया। इसकी ट्रायल किसानों से करवाई न कृषि वैज्ञानिकों से। हालांकि कंपनी ने कई साल तक इस पर अनुसंधान करवाया है। इसके बाद ही बाजार में लाया गया। नैनो को लेकर किसानों रार कर रहे हैं। खाद विक्रेता किसानों को नैनो की बोतल थमा रहे हैं, पर किसान की मांग है कि पारंपरिक दानेदार यूरिया ही उन्हें दिया जाए।
तरल यूरिया नैनो फसलों के लिए लाभदायक है या नहीं, इसकी परख अब प्रदेश का कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों से ही करवाया। चालू रबी सीजन में जिले में 2200 एकड़ में तरल यूरिया का स्प्रे करवाकर नैनो का ट्रायल होगा। चूंकि तरल यूरिया सहकारी क्षेत्र की कंपनी इफ्को ने तैयार किया है। इसकी गुणवत्ता को लेकर कोई किंतु-परंतु शायद ही हो। पर किसान यह मानने को तैयार नहीं है कि दानेदार यूरिया की तरह ही नैनो भी फसलों को उतने पोषक तत्व प्रदान करता है।
नैनो की 500 एमएल की एक बोतल का मूल्य 225 रुपये है। लेकिन इसका स्प्रे गेहूं पर करवाना किसानों के लिए काफी मंहगा साबित हो रहा है। एक बोतल का स्प्रे पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल पर करना है। एक एकड़ में स्प्रे करवाने के लिए किसानों को 300-400 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यानि के किसान को एक एकड़ में नैनो का प्रयोग करना है तो उसे 525-625 रुपये खर्च करने ही पड़ेंगे। ऐसे में किसान नैनो की बजाय 266.50 रुपये दानेदार यूरिया को फसल में डालना ही बेहतर मानता है।
यूरिया पर 80 प्रतिशत अनुदान : यह जानकारी शायद कम ही किसान को यह मालूम हो कि यूरिया के 45 किलोग्राम के एक बैग पर सरकार भारी-भरकम अनुदान देती है। अनुदान इसलिए दिया जाता है कि देश के किसान को फसल तैयार करने में कम पैसा खर्च करना पड़ेगा। फसल का लागत मूल्य बढ़ेगा तो उसकी बाजार की कीमत भी बढ़ना स्वभाविक है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि देश में अन्न का उत्पादन ही गिर जाए और फिर पहले की तरह आयात करना पड़े। ध्यान रहे कि तरह-तरह के अनुदान वगैरह मिलने के बाद ही अन्नदाता ने भारत को अनाज के मामले में न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि सरप्लस पैदा करके दिखा दिया।
दूसरी और तीसरी सिंचाई पर पूरा कारगार
इस समय किसान गेहूं में पहली सिंचाई कर रहे हैं। इसलिए यूरिया को लेकर मारमारी मची हुई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का दावा है कि खाद की कमी बिल्कुल भी नहीं है। मंगलवार सुबह छह बजे एक और मालगाड़ी रोहतक रेलवे स्टेशन पर 69500 बैग लेकर पहुंची है। लेकिन खाद विक्रेता और किसानों के बीच नैनो को लेकर तकरार है। बताया जा रहा है कि पहली सिंचाई पर नैनो बिल्कुल भी कारगार नहीं है। क्योंकि अगर इस समय स्प्रे किया तो पूरा का जमीन में मिल जाएगा। क्योंकि फसल की अभी तक इतनी बढ़वार नहीं हुई कि किसान जब स्प्रे करते तरल यूरिया पत्तों पर गिरे। लेकिन जब फसल में दूसरी सिंचाई के लायक हो जाए तो उस पर तरल नैनो का स्प्रे किया जा सकता है। क्योंकि तब-तक फसल के पत्ते काफी बड़े हो जाते हैं और नैनो का पूरा का पूरा स्प्रे पौधों पर चिपक जाता है।
मैं एक सौ एक फीसदी यह कह रहा हूं कि नैनो से पारंपरिक यूरिया की बजाय अच्छी फसल होगी। स्प्रे के चौबीस घंटे में फसल का रंग काला होने लगता है। कम्पनी ने कई साल तक रिसर्च करवाने के बाद ही नैनो तैयार किया है। - कुलदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी इफको
तरल खाद नैनो का प्रयोग करें : जिले में एक-एक एकड़ के 2200 गेहूूं प्रदर्शनी प्लॉट लगवाएं जाएंगे। फसल में दो स्प्रे अलग-अलग अंतराल के बीच करवाए जाएंगे। कोशिश है कि किसान पारंपरिक यूरिया को छोड़कर तरल खाद नैनो का प्रयोग करें। -डॉ. महावीर सिंह, उप निदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग रोहतक
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS