Agriculture News : रिटायर होकर अधीक्षक ने कृषि को बनाया व्यवसाय, केंचुआ खाद से ऐसे बढ़ाया डेढ़ गुणा उत्पादन

Agriculture News : रिटायर होकर अधीक्षक ने कृषि को बनाया व्यवसाय, केंचुआ खाद से ऐसे बढ़ाया डेढ़ गुणा उत्पादन
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विरेंद्र सिंह यादव ने 2010 में खेती को अपनी व्यवसाय बना लिया। रसायनिक खादों को छोड़ने के लिए उन्होंने खेती करने से पहले स्वयं केचुआं खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया और फिर उसी खाद का प्रयोग कर जैविक खेती करते हुए फसलों की पैदावार डेढ़ गुणा तक बढ़ाकर खेती के व्यवसाय में मुनाफा कमाना शुरू कर दिया।

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

2009 में अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए विरेंद्र सिंह यादव ने 2010 में खेती को अपनी व्यवसाय बना लिया। रसायनिक खादों को छोड़ने के लिए उन्होंने खेती करने से पहले स्वयं केंचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया और फिर उसी खाद का प्रयोग कर जैविक खेती करते हुए फसलों की पैदावार डेढ़ गुणा तक बढ़ाकर खेती के व्यवसाय में मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। गांव गाजीगोपलपुर के प्रगतिशील किसान विरेन्द्र सिंह यादव ने अब दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं।

विरेंद्र यादव ने बताया कि वह 6 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। केंचुआ खाद का प्रयोग कर किसान कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 2009 में अधीक्षक के पद से सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने 2010 में कृषि में कदम रखा। अब विरेंद्र सिंह न केवल स्वयं केचुआं खाद का प्रयोग करते हैं, बल्कि दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि सब्जी की खेती में केंचुआ खाद डालने के बाद बेहतर नतीजे सामने आने से उसका उत्साह बढ़ा। फसलों का उत्पादन डेढ़ गुणा तक बढ़ गया। इससे न केवल इनकी फसल की पैदावार बढ़ी, बल्कि वह वर्मी कंपोस्ट बनाकर अतिरिक्त आमदनी भी कर रहे हैं।

विरेन्द्र सिंह यादव आगे बताते हैं कि वे रबी सीजन में गेंहू, सब्जी तथा व सरसों की खेती करते हैं तथा खरीफ सीजन के दौरान बाजरा, देसी सब्जी और आधा-आधा एकड़ में मूंग व हरे चारे की खेती करते हैं। इसके अलावा वे मौसम के अनुसार आम, अमरूद, जामुन, चीकू, पपीता, निंबू, किन्नू, संतरा, आलू बुखारा, आडू, गोभी, मटर, ब्रोकली, गाजर, मूली, मटर, घीया, टमाटर, बैंगन, पत्ता गोभी इत्यादि की खेती भी करते हैं। सभी फसलों में अपनी बनाई केचुआं खाद का प्रयोग करते हैं। गाय व भैंस के गोबर से केचुआं खाद बनाते हैं।

ऐसे बनती है केंचुआ खाद

केंचुआ खाद बनाने के लिए तीन फुट चौड़ाई, 10 से 12 फुट लंबाई और दो से ढाई फुट गहराई का गड्ढा खोदकर उसमें अपशिष्ट गोबर भरते हैं। फिर उसमें केंचुए छोड़ते हैं। गड्डे की फर्श को कंकरीट से पक्का करते हैं। जल निकासी के लिए पिट में एक छिद्र बनाया जाता है। दो गड्ढों का निर्माण एक साथ किया जाता है। बीच में दीवार रखते हैं और उसमें छिद्र छोड़ देते हैं, ताकि आसानी से केंचुए एक से दूसरे गड्ढे में जा सकें। एक माह बाद उस ढेर को लोहे के पंजे की सहायता से पलटते हैं। पिट में नमी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन पानी का छिडकाव भी करते हैं। इस तरह वर्मी कम्पोस्ट बनकर तैयार हो जाती है।

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