Ahoi Ashtami : अहोई अष्टमी पर बन रहे कई शुभ संयोग, इस प्रकार व्रत और पूजन करें माताएं, संतान को मिलेगा लाभ ही लाभ

हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र
संतान सुख की प्राप्ति एवं संतान की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी ( Ahoi Ashtami ) है। इस बार 28 अक्टूबर गुरुवार को अहोई अष्टमी के दिन गुरु वार और गुरु पुष्य नक्षत्र का बड़ा ही उत्तम संयोग बना है। इससे यह व्रत और मंगलकारी हो गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरुवार को अहोई अष्टमी के साथ बव करण और साध्य योग बना हुआ है। इसलिए अहोई अष्टमी के दिन कोई भी नया काम शुरू करना शुभ फलदायी होगा। भूमि एवं घर खरीदने के लिए भी अहोई अष्टमी का दिन बहुत ही शुभ है। शुभ योग में लंबे समय के लिए धन का निवेश करना भी लाभदायक होता है।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
कॉस्मिक एस्ट्रो ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड़ के डायरेक्टर और दुर्गा देवी मन्दिर,पिपली के अध्यक्ष डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। पूजा के लिए आप चाहें तो बाजार में मिलने वाले पोस्टर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। अब एक नया मटका लें उसमें पानी भरकर रखें और उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं फिर मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें। घर में सभी बुजुर्ग महिलाओं के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान करें और उनकी व्रत कथा पढ़ें। रात्रि को तारों को जल से अर्घ्य दें और फिर ही उपवास को खोलें।
अहोई अष्टमी की कथा
एक स्त्री के 7 पुत्र थे। एक दिन वह स्त्री जंगल में मिट्टी खोद रही थी। खुदाई करते हुए कुदाली शेह के बच्चे को लग गई और तुरंत उसकी मृत्यु हो गई। स्त्री के मन में बहुत ही दुख हुआ 7वह मिट्टी लेकर घर वापस चली आई।कुछ दिनों बाद उसके बड़े लड़के की भी मृत्यु हो गई 1 वर्ष के भीतर ही उसके सातों लड़के चल बसे। उसका मन बहुत दुखी रहने लगा सारा दिन रोती रहती थी। उसने एक दिन घर की बड़ी बुढि़या को बताया कि मिट्टी खोजते हुए उससे एक दिन पाप हुआ। एक सेह के बच्चे को कुदाली लग गई और वह मर गया तभी उसके सभी पुत्र चल बसे। बड़ी बुढ़ियों ने दुख के निवारण के लिए एक उपाय बताया। अष्टमी के दिन भगवती के पास सेह और सेह के बच्चे बनाकर उसकी पूजा करो। यह करने से तुम्हारा पाप धुल जाएगा और पुन: तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। यह सुनकर उसने श्रद्धा व विश्वास के साथ अष्टमी का व्रत रखा और पूजन किया।
इसके प्रभाव से फिर से उसे 7 पुत्रों की प्राप्ति हुई संतान के दीर्घायु और खुशहाल जीवन का व्रत अहोई अष्टमी हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। अखंड सौभाग्य के व्रत करवा चौथ के बाद 3 या 4 दिन बाद और दिवाली से 6 या 7 दिन पूर्व अहोई अष्टमी का व्रत होता है। इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। इस दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाल और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्यत सुर्योदय से लेकर सुर्यास्त के बाद तक होता है। शाम के समय में आकाश में तारों को देखकर व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर माताएं चंद्रमा दर्शन के बाद परायण करती हैं।
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