एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार बढ़ रहा : अधिकारियों की चेतावनी के बावजूद फतेहाबाद जिले में जल रही पराली

फतेहाबाद। उपायुक्त की चेतावनी के बावजूद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। जिले में धान की पराली में आग लगाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हरसेक ने कृषि विभाग को जिले में पराली जलाने की 7 लोकेशन भेजी, जिसके बाद इसकी संख्या बढ़कर 83 तक जा पहुंची है। इनमें से 67 लोकेशन हरसेक से व 16 लोकेशन अन्य स्रोतों से मिली हैं। कृषि विभाग द्वारा अब तक 20 किसानों से 50 हजार रुपये की जुर्माने की राशि वसूली गई है।
जिले में शनिवार को एक्यूआई का स्तर 160 तक पहुंच गया, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है। प्रशासनिक अधिकारी व कृषि विभाग लगातार खेतों में जाकर किसानों को धान की पराली का प्रबंधन करने का आग्रह कर रहे हैं, वहीं अब प्रशासनिक सख्ती भी आवश्यक है, क्योंकि दिवाली पर्व पर भी शहर में जमकर पटाखे फोड़े जाएंगे, जिसके बाद से एक्यूआई में जबरदस्त बढ़ोतरी होने और प्रदूषण बढ़ने की संभावना है। खास बात यह है कि आगे तीन दिन अवकाश है। किसान इन्हीं दिनों की तलाश में रहते हैं। सरकारी अधिकारी इन दिनों त्यौहार मनाने व अपने घरों में छुट्टियां मना रहे होंगे। किसान इसका जमकर फायदा उठाएंगे।
बता दें कि बीते वर्ष दीपावली पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 को पार कर गया था। दीपावली के अगले दिन सुबह आसमान में बादलों जैसा धुंआ छाया हुआ था और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। यहां तक कि दमा व सांस के मरीजों का घर से निकलना तक मुश्किल हो गया था। पिछले कई दिनों से कृषि विभाग के डीडीए पराली न जले, इसके लिए अभियान चलाए हुए हैं। जुर्माने के साथ-साथ वे लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। उपायुक्त जगदीश शर्मा ने किसानों को पराली जलाने पर जमीन कुर्क से लेकर आर्म लाइसेंस रद्द करने, मेरी फसल पोर्टल पर पंजीकरण रद्द करने जैसी चेतावनी भी दी लेकिन किसान है कि किसी की सुनने को तैयार नहीं है।
जल्द बिजाई के चक्कर में जलाते हैं पराली
किसानों द्वारा बेतरतीब पराली जलाने से जहां लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान होता है, वहीं उनकी खुद की जमीन की उर्वरता भी कम होती है। यहां तक कि मित्र कीट व वन्य पशु भी आगजनी का शिकार हो जाते हैं। पराली प्रबंधन को लेकर जहां जिले के कई किसान रोल मॉडल बने हैं, वहीं ऐसे किसान भी हैं, जो जल्द अगली बिजाई के चक्कर में अपने खेतों में खड़ी पराली को जला देते हैं। जिले के किसान सुंदर लाल, किशन लाल, श्याम सुंदर सहित अनेक किसान ऐसे हैं, जो पराली को बेलर के माध्यम से गांठें बनाते हैं ताकि पराली को न जलाया जाए। यह किसान स्वयं तो अपने खेतों में पराली की गांठें बनाते ही हैं साथ ही अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित करते हैं।
अपने तथा अन्यों के स्वास्थ्य का कर रहे हैं नुकसान
मदान अस्पताल के संचालक डॉ. गुलशन मदान का कहना है कि पराली के कारण पर्यावरण प्रदूषण काफी फैलता है। इससे किसान अपने परिवार के लोगों को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं, साथ ही अन्य लोगों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे हैं। पराली जलाने से सांस व हृदय रोगियों को सबसे अधिक परेशानी होती है। उनको सांस लेने में अधिक तकलीफ होने लगती है। वहीं जो स्वस्थ इंसान हैं, उनके फेफड़ों को भी यह धुआं कमजोर करता है।
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