नारी तुझे सलाम : सम्पत्ति बेच आश्रय स्थल बनाकर अजीत कौर महिलाओं को दे रही सहारा, शादी करने की कभी नहीं हुई इच्छा

नारी तुझे सलाम : सम्पत्ति बेच आश्रय स्थल बनाकर अजीत कौर महिलाओं को दे रही सहारा, शादी करने की कभी नहीं हुई इच्छा
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नारनौल की रहने वाली अजीत कौर वह महिला है जिसने अपना पूरा जीवन शिक्षा, महिलाओं, धर्म व समाज के नाम कर दिया। पांच बहनें व एक भाई में सबसे छोटी अजीत कौर की प्रारंभिक शिक्षा नारनौल से ही हुई। वह स्थानीय कॉलेज से स्नातक एवं एमएससी गोल्ड मेडल है।

सतीश सैनी : नारनौल

बचपन में कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए एक नन्ही बालिका अपनी पढ़ाई के दौर से गुजरी और कॉलेज में प्रवक्ता बनने का सपना देखती हुई बड़ी होती है। नारनौल की रहने वाली अजीत कौर वह महिला है जिसने अपना पूरा जीवन शिक्षा, महिलाओं, धर्म व समाज के नाम कर दिया। पांच बहनें व एक भाई में सबसे छोटी अजीत कौर की प्रारंभिक शिक्षा नारनौल से ही हुई। वह स्थानीय कॉलेज से स्नातक एवं एमएससी गोल्ड मेडल है। वह पंजाब विश्वविद्यालय से एमफिल भी कर चुकी है। जीवन के लगभग छह दशक पूरा कर चुकी अजीत कौर बचपन से ही सामान्य लड़कियों से अलग शौक रखने वाली रही। बचपन में जब लड़कियां श्रंगार, सौंदर्य, शादी के सपने देखती है उस उम्र में अजीत कौर ने अपनी आंखों को शकुन, शांति, धर्म, अध्यात्म, ईश्वर और आत्मविश्वास के सपने दिए। उनका कहना है कि शादी करना उसे बचपन से ही नहीं भाता था। उनकी कभी इच्छा ही नहीं रही कि वह शादी करें। यह स्वतंत्र रूप से अपने ईश्वर, धर्म और समाज को अपना जीवन सौपना चाहती थी। अपने एक वाक्य का वर्णन करते हुए अजीत कौर बताती है कि एक बार उनके पिता सरदार हरनामसिंह ठेकेदार एक बहुत सुंदर पिंक कलर की फ्रॉक लेकर आए, जो उसे काफी पसंद आई। उस फ्रॉक को पहनकर जब वह निकली तो बहनों ने उसे यह कहकर चिढ़ाना शुरू कर दिया कि अब तेरी शादी होने वाली है। उन्होंने उसी समय उस फ्रॉक को कैची से काट दिया।

संघर्ष की कहानी

अजीत कौर प्रवक्ता बनना चाहती थी पर स्थाई नियुक्ति नहीं मिलने के कारण नहीं बन पाई। तीन साल तक महिला सशक्तिकरण विभाग में नौकरी जिला संयोजक के तौर पर की। वहां पर महिलाओं के प्रति जागरूकता आई और एक मशाल नाम से एनजीओ का गठन किया। परन्तु कोई सरकारी ग्रांट नहीं ली और न ही लेना चाहती थी। उनकी अपनी करोड़ों की पैतृक सम्पत्ति है। इसे बेचकर अन्यत्र लगभग 2700 गज का भूखंड शहर में बहरोड रोड पर कडि़यां वाले हनुमान मंदिर के पास ले एक आश्रय स्थल और एक हरि मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। इसमें हरि मंदिर में एक ओर तो गुरु ग्रन्थ साहब विराजित रहेंगे तो दूसरी तरफ भगवान शिव, पार्वती, श्रीकृष्ण आदि विराजेंगे। वहीं 10 कमरे रहने के लिए तैयार किए गए है। लंगर के लिए अलग से हॉल बनाया है। मेन सड़क की ओर बड़ी दुकानों से मिलने वाले किराए से लंगर संचालित होगा। आश्रय स्थल में किसी में आयु वर्ग को जरूरतमंद महिलाएं, 75 वर्ष से अधिक के जरूरतमंद पुरूष और 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे आश्रय ले सकेंगे। यहीं निशुल्क भोजन, आवास व अन्य सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। विशेष बात यह रहेगी कि इस मंदिर में नकद राशि चढ़ाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यहां केवल अनाज सामग्री भोजन आदि का सहयोग लिया जाता है।

महिलाओं के लिए संदेश

अजीत कौर का मानना है कि सबसे पहले महिलाओं को अपने अंदर का डर निकालना होगा। उनहें यह मानना होगा कि महिलाएं कमजोर नहीं है। आत्म विश्वास के साथ रहें। संघर्षों का मुकाबला करें। अपने आपको कमजोर न समझें परमात्मा पर विश्वास रखते हुए मनोयोग और हौसले के साथ कार्य करें। आपका आत्म विश्वास ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है।

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