तीसरी लहर की आशंका के बीच रहें अलर्ट : बच्चों में कोविड के लक्षण और बचाव के लिए क्या करें, पढ़ें

तीसरी लहर की आशंका के बीच रहें अलर्ट : बच्चों में कोविड के लक्षण और बचाव के लिए क्या करें, पढ़ें
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तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण कोविड-19 को चार श्रेणी में बांटा है, इनमें बिना लक्षण, हलके लक्षण, मध्यम लक्षण और गंभीर लक्षण वाला कोरोना संक्रमण श्रेणी शामिल है। अगर बच्चों को कोविड होता है तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेमडेसिविर दवाई से इंकार किया है। संक्रमण के निदान व प्रबंधन में सिटी चेस्ट नहीं करने की सलाह दी गई है

सतीश सैनी : नारनौल

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने कोविड-19 को लेकर तीसरी लहर की आशंका के चलते 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण से सुरक्षा की नई रणनीति बनाई है। तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण कोविड-19 को चार श्रेणी में बांटा है, इनमें बिना लक्षण, हलके लक्षण, मध्यम लक्षण और गंभीर लक्षण वाला कोरोना संक्रमण श्रेणी शामिल है। अगर बच्चों को कोविड होता है तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेमडेसिविर दवाई से इंकार किया है। संक्रमण के निदान व प्रबंधन में सिटी चेस्ट नहीं करने की सलाह दी गई है। सांस की स्थिति में कोई सुधार नहीं होने पर ही सिटी चेस्ट पर विचार करने की सलाह दी गई है। यहीं नहीं, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क लगाना अनिवार्य नहीं की बात कही गई है।

तीसरी लहर के अंदेशे को भांपते हुए चिकित्सकों की स्पेशल ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। नारनौल से गए चिकित्सकों की टीम एक व दो जुलाई को हिसार ट्रेनिंग देकर गुरुवार शाम लौटी है। अब 19 व 20 जुलाई को रोहतक में भी ट्रेनिंग में हिस्सा लेंगे। इस संबंध में नागरिक अस्पताल में कार्यरत सीनियर शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ एवं गोल्ड मेडलिस्ट डा. मदनलाल यादव ने बताया कि तीसरी लहर के अंदेशा के चलते चिकित्सा स्वास्थ्य से जुड़ी नई गाइड लाइन जारी की गई है। उसी के चलते ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग लेने के बाद जिलास्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

बच्चों में कोरोना के लक्षण : बुखार, खांसी-जुकाम, नाक से पानी बहना, गले में खरास/गले में जलन, शरीर में दर्द/सिर दर्द, कमजोरी, दस्त, भूख कम हो जाना/जी मचलना/उल्टी, स्वाद और सूंघने की क्षमता का खत्म हो जाना। सांस लेने में कठिनाई के बिना खांसी, आक्सीजन लेवल 94 से कम होना।

उपचार का मुख्य आधार : बुखार के लिए पैरासिटामोल (10-15 एमजी/पर केजी/पर डोज) दिन में तीन-चार बार दे सकते है। बच्चे और युवा दोनों ही गर्म पानी में थोड़ा नमक डालकर गरारे कर सकते है। बच्चों के शरीर में पानी की सही मात्रा बनाए रखने के लिए नारियल पानी, दाल का पानी दें एवं पौष्टिक आहार दें। किसी भी अन्य कोविड-19 विशिष्ठ दवा की आवश्यकता नहीं है। एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ना करें। अभिभावक बच्चे की श्वसन दर दिन में दो-तीन बार जांच करें। हाथ पैरों का ठंडे पड़ना, मूत्र उत्पादन, आक्सीजन लेवल, तरल पदार्थ का सेवन गतिविधि लेवल देखते रहना चाहिए।

मध्यम लक्षण वाले - दो माह के बच्चे की श्वसन दर 60 बार प्रति मिनट प्रति, दो से 12 माह के बच्चे की श्वसन दर 50 बार प्रति मिनट, एक से पांच साल की श्वसन दर 40 बार प्रति मिनट और पांच साल के बच्चे की श्वसन दर 30 बार प्रति मिनट से अधिक लेने का मतलब है कि बच्चे की सांस तेज चलना और/या एसपीओ-टू 90 से 93 प्रतिशत होना कोरोना मध्यम लक्षण वाले श्रेणी है। ऐसी स्थिति में कोविड-19 अस्पताल में भर्ती करवाएं।

उपचार का मुख्य आधार : अगर एसपीओ-टू 94 प्रतिशत आक्क्सीजन दें। एसपीओ-टू 94 से 96 प्रतिशत के बीच में बनाए रखे। मौखिक तरल पदार्थों को प्रोत्साहित करें (शिशुओं में स्तनपान), अगर मरीज मुंह से तरल पदार्थ ना लें तब आईवी फ्लूड्स शुरू करें। सभी बच्चों में स्टेरायड की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि अगर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तो इसका उपयोग किया जा सकता है। बुखार (तापमान 100.4) है तो 10-15 एमजी/पर केजी/पर डोज) की पैरासीटामोल गोली दिन में तीन-चार दें। एंटीबाइयोटिक का इस्तेमाल तभी करें जब सुपरएडेड बैक्टरीया संक्रमण के सबूत हो। कोमोर्विड स्थितियों के लिए सहायक देखभाव करें यदि कोई हो।

गंभीर निमोनिया के लक्षण : पसली चलना, छाती में गड्ढे पड़ना, दोरा पड़ना, नीला पड़ जाना, दूध या पानी नहीं पीना, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस), सेप्टिक शॉक, मल्टीपल आर्गन डिसंफक्शन, एचडीयू/आईसीयू कोविड-19 अस्पताल में भर्ती करें।

उपचार का मुख्य आधार : तुरंत आक्सीजन देवे। एसपीओ-टू 94 से 96 प्रतिशत के बीच में बनाए रखे। द्रव और इलेक्ट्रोलाइट बनाए रखे। स्टेरायड थरैपी शुरू करें। आवश्यकता अनुसार रोग निरोधी दवा भी दें। यदि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) विकसित होता है तो उसके लिए आवश्यक प्रबंधन किए जाए। अगर शॉक विकसित होता है तो आवश्यक प्रबंधन किए जाए। एंटीबायोटिक्स दवाओं को तब तक निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि एक सुपर एडेड संक्रमण का मैदानिक संदेश ना हो।

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