सावधान ! सप्लाई के पेयजल में मिला कोलीफॉर्म, 13 में से 8 सैंपल फेल

हरिभूिम न्यूज : रोहतक
सावधान! रोहतक में कई जगहों पर सप्लाई का पानी पीने के लायक नहीं है। पीने के पानी में कोलीफॉर्म मिला है जो किसी भी स्वस्थ्य आदमी को बीमार करने के लिए काफी है। स्वास्थ्य विभाग ने अलग-अलग 13 जगहों के सैंपल लिए, इनमें से 8 सैंपल अनफिट मिले। इन आठ जगहों में रेलवे स्टेशन और पुरानी सब्जी मंडी की प्याऊ, गोहाना अड्डा का बूस्टर स्टेशन, संत नगर और जनता कॉलोनी शामिल हैं। वहीं सिविल सर्जन कार्यालय, जनता कॉलोनी और संत नगर के कुछ हिस्सों में पानी की रिपोर्ट फिट मिली है। यहां पानी पीने के योग्य है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने 17 और 18 अगस्त को शहर में जगह-जगह से पेयजल के सैंपल लिए थे। जांच के बाद बुधवार को सिविल सर्जन की ओर से जिला उपायुक्त और जनस्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग के एसई को रिपोर्ट सौंप दी है। कई जगहों पर पेयजल के सैंपल अनफिट आना चिंता का विषय है। फिलहाल शहर के दूसरे हिस्सों में भी पानी की सैंपलिंग की जा रही है।
100 एमएल पानी में 180 बैक्टीरिया
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में जहां-जहां पानी के सैंपल अनफिट आए हैं, उन जगहों पर 100 एमएल पानी में 180 बैक्टीरिया काउंट किए गए हैं। बैक्टीरिया की इतनी बड़ी संख्या खतरे से खाली नहीं।
इम्यूनिटी कमजोर तो बढ़ सकता है खतरा
पानी में कोलीफॉर्म पाए जाने का मतलब है, उल्टी-दस्त और पेट व स्कीन संबंधी बीमारी आदमी को जकड़ लेगी। अगर किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर है तो उसे खतरा पैदा हो सकता है। कभी-कभी पीलिया होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
पानी में कोलीफॉर्म मतलब बीमारी
पानी में कोलीफॉर्म नहीं मिलने का मतलब है कि पानी का नमूना लेते समय कोलीफॉर्म नहीं था और वह पानी पीने योग्य था। वहीं कोलीफॉर्म की संख्या पानी में मिलती है तो इसका मतलब है कि नमूने लेते समय पानी पीने योग्य नहीं था, इस पानी को सुपर-क्लोरीनेट करने की सलाह दी जाती है। पानी में फीकल कोलीफॉर्म मिलता है तो इसका मतलब है कि नमूना लेते वक्त पानी में बैक्टीरिया थे और यह पानी पीने योग्य नहीं था, हालांकि इसे क्लोरीनेट करके उपयोग किया जा सकता है। पीने के पानी में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाया जाना स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है।
पशुओं के मल में मिलता है कोलीफॉर्म
पानी में कोलीफॉर्म मिलना खतरनाक है। कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का एक समूह होता है, जो मिट्टी, खराब सब्जी, पशुओं के मल और गंदे सतह जल में पाया जाता है। जनस्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग पानी का क्लोरिनेशन भी करता है, जिसे कोलीफॉर्म खत्म हो जाता है। लेकिन जिस तरह रोहतक में पानी में कोलीफॉर्म मिला है, उससे साफ है कि पेयजल की लाइन में कहीं न कहीं शिविर का पानी मिक्स हो रहा है।
नहर में मृत सूअर मिलने से बीमारी का डर
रोहतक में सुअरों को अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने जकड़ रखा है। यह फीवर होते ही सुअर 5-6 दिन में सुअर की मौत हो जाती है। पिछले कई दिनों से जिस तरह जेएलएन नहर में सुअरों के शव मिला रहे हैं, उससे इंसानों में स्वाइन फीवर तो नहीं फैलेगा लेकिन दूसरी बीमारियां फैलने का खतरा है।
पानी उबालकर करें प्रयोग
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बैठक में पानी के सैंपल लेने निर्देश दिए थे, उसी को लेकर 17 और 18 तारीख को नमूने लिए गए थे। 13 में से 8 सैंपल अनाफिट मिले हैं। लोग पानी को उबालकर प्रयोग करें। डीसी और जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग के एसई को रिपोर्ट भेज दी गई है। - डॉ. अनिल बिरला, सिविल सर्जन, रोहतक।
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