अलर्ट ! बच्चों को शिकार बना रहे साइबर अपराधी

अलर्ट ! बच्चों को शिकार बना रहे साइबर अपराधी
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अभिभावकों को इससे अलर्ट रहते हुए बच्चों का ध्यान रखना होगा। एसपी उदय सिंह मीना ने साइबर ठगी के प्रति जागरूक रहने के लिए एडवाइजरी जारी की है।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

साइबर ठगी की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। आए दिन अलग अलग तरीकों से ठग लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। शातिर ठगों ने बच्चों को भी शिकार बनाना शुरू कर दिया है। बच्चे नई-नई चीजों को जानने की उत्सुकता में और कम समझ में इंटरनेट का प्रयोग करते हुए कुछ अनजान ऐप्स व वेबसाइट पर अपनी जानकारी साझा कर देते हैं। इसलिए बच्चे साइबर अपराधियों के जाल में आसानी से फस जाते हैं। अभिभावकों को इससे अलर्ट रहते हुए बच्चों का ध्यान रखना होगा। एसपी उदय सिंह मीना ने साइबर ठगी के प्रति जागरूक रहने के लिए एडवाईजरी जारी की है।

एसपी का कहना है कि आज कि डिजिटल सोशल मीडिया और तकनीकी नें जीवन को बहुत आसान बना दिया है। परिवार का हर सदस्य मोबाइल व इंटरनेट पर निर्भर हो गया है। इसके साथ ही बच्चे भी मोबाईल, इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं। बच्चें कुछ न कुछ नया सीखने के लिए माेबाइल का प्रयोग कर रहे हैं। इस दौरान कुछ बच्चे अपने माता-पिता के फोन का प्रयोग करते हैं। इसलिए बच्चों की निगरानी करनी जरूरी है।

किसी लिंक को क्लिक न करें

एसपी का कहना है कि साइबर ठगी का कोई भी शिकार हो सकता है। साइबर अपराध के बारे में कम जानकारी के कारण इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं। बच्चों पर नजर रखें और किसी भी अज्ञात व्यकित के द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें औऱ न ही किसी के साथ अपने फोन में प्राप्त ओटीपी शेयर करें। साइबर अपराध हुआ है तो कम्पलेंट पोर्टल हेल्पलाइन न. 1930 पर शिकायत दर्ज करवाएं।

ऐसा करके बच सकते हैं ठगी से

माता-पिता अपने बच्चों और उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें।

♦ समय-समय पर ऑनलाइन सामग्री के प्रकार और जानकारी देनी चाहिए। अपने सोशल मीडिया अकाउंट को हमेशा लॉक करके रखें और प्राइवेसी सेटिंग रखें।

♦ बच्चों के अकाउंट ईमेल और अन्य शैक्षिक अकांउट के पासवर्ड अपनें पास रखें। उनको चैक भी करें।

♦ बच्चों को बतांए कि अपनें अकाउंट को क्यों सुरक्षित रखा जाता है और कैसे रखा जाता है। उन्हें प्राइवेसी सेंटिग की भी जानकारी दें।

♦ बच्चों को साइबर कानूनों और अपराध के बारे में शिक्षित करें। आपका बच्चा सही और गलत के बीच अंतर करने में सक्षम होना चाहिए।

♦ बच्चों पर फैसलों को न थोपें और न ही ज्यादा जोर-जबरदस्ती करें।

♦ बच्चों के साथ प्यार से, दोस्ताना व्यव्हार के साथ बातचीत करें। क्योंकि बच्चे डर की वजह से अपने साथ हुए अपराध के बारे में नहीं बताते।

♦ चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबर बुलिंग तथा साइबर ग्रूमिंग जैसे अपराधों के बारे में खुद को जागरूक करें।

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