Haryana Politics : अहीर रेजिमेंट के बहाने अहीरवाल की 11 सीटों पर सभी दलों की नजर

Haryana Politics : अहीर रेजिमेंट के बहाने अहीरवाल की 11 सीटों पर सभी दलों की नजर
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लगभग हर विधानसभा चुनाव के दौरान प्रमुख सियासी दलों की नजरें अहीर बाहुल्य इलाके पर टिकी रहती हैं। इस क्षेत्र के लोगों का एकजुट होकर किसी दल के पक्ष में उतरना, उसके लिए सत्ता की सीढ़ी बन जाता है। चौ. बंसीलाल से लेकर ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्ड को सीएम बनाने में इस क्षेत्र का बड़ा रोल रहा है

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी

गुरुग्राम से लेकर नारनौल तक 10 से अधिक विधानसभा सीटों पर हर चुनाव में सभी प्रमुख दलों की नजर रहती है। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जब भी इस इलाके के लोगों ने किसी दल का दिल से साथ दिया, उस दल के लिए प्रदेश की सत्ता हासिल करना आसान हो गया। जाट आरक्षण आंदोलन के व्यापक प्रभाव के चलते गत विधानसभा चुनावों में जब भाजपा को जाटलैंड की कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, तो अहीरवाल की जनता ने उसके लिए एक बार फिर प्रदेश की सत्ता संभालने का रास्ता साफ कर दिया। सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग इस क्षेत्र के लोगों की मांग बन चुकी है, जिस पर हाथ रखने के लिए सभी सियासी दल बेचैन नजर आने लगे हैं।

लगभग हर विधानसभा चुनाव के दौरान प्रमुख सियासी दलों की नजरें अहीर बाहुल्य इलाके पर टिकी रहती हैं। इस क्षेत्र के लोगों का एकजुट होकर किसी दल के पक्ष में उतरना, उसके लिए सत्ता की सीढ़ी बन जाता है। चौ. बंसीलाल से लेकर ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाने में इस क्षेत्र का बड़ा रोल रहा है। सैनिक बाहुल्य इस इलाके ने अगर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का साथ नहीं दिया होता, तो मनोहर लाल के लिए प्रदेश में दूसरी पारी खेलना मुमकिन नहीं होता। इस क्षेत्र में भाजपा को जिन सीटों पर मात मिली थी, उसकी वजह भी खुद भाजपा बनी थी। लोकसभा चुनाव में भी कोसली हलका कांग्रेस के खाते में जाती हुई नजर आने वाली रोहतक लोकसभा सीट को भाजपा की झोली में डालने का काम कर गया था। इस क्षेत्र में पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे डा. अरविंद शर्मा के लिए यह अप्रत्याशित से कम नहीं था। प्रदेश की यह इकलौती लोकसभा सीट थी, जिस पर कांग्रेस प्रत्याशी की हार की अपेक्षा भाजपा हाईकमान तक को नहीं थी।

सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग लंबे समय से की जा रही है। अगर सैनिकों और शहीदों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो देश और प्रदेश के किसी भी हिस्से पर यह इलाका हावी दिखाई पड़ता है। समय-समय पर अहीर रेजिमेंट की मांग उठती रही है, परंतु इस बार इस मांग ने पहली बार इतना जोर पकड़ा है। इस मांग पर समूचा अहीरवाल एकजुट हो गया है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह काफी समय से अहीर रेजिमेंट की मांग उठाते रहे हैं। हरियाणा विधानसभा में पहली बार कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने अपनी ही सरकार के समक्ष इस मांग को प्रमुखता से उठाया था।

रोहतक के सांसद डा. अरविंद शर्मा के मुंह से संसद में यह आवाज गूंज चुकी है। अब इस मांग को हवा देने में कोई भी दल पीछे नहीं रहना चाहता। जेजेपी, इनेलो व कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी ने भी इस मांग को समर्थन देते हुए अगले चुनावों में इस क्षेत्र में अपनी जमीन मजबूत करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। अब देखना यह है कि सभी दलों का समर्थन हासिल होने के बाद भी क्षेत्र की यह मांग पूरी हो पाएगी या नहीं।

चर्चा में एमएलए लक्ष्मण यादव की बेबाकी

अहीर रेजिमेंट का पूरा तरह केंद्र सरकार से जुड़ा हुआ होने के बावजूद कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने पहली बार यह मामला विधानसभा में उठाकर सरकार से मांग की थी कि वह केंद्र सरकार के समक्ष अहीर रेजिमेंट की मांग प्रमुखता से उठाए। अब उन्होंने हाल ही में गुरुग्राम में निकाले गए पैदल मार्च के दौरान लक्ष्मण सिंह यादव ने स्पष्ट तौर कहा कि अगर जाति के आधार पर अहीर रेजिमेंट का गठन नहीं हो सकता, तो सेना में जाति के आधार पर बनी दूसरी रजिमेंटों को भी भंग किया जाए। उनकी यह बेबाकी चर्चा का विषय बनी हुई है।

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