हरियाणा के IAS अधिकारी पर रुपये लेकर शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप मिले निराधार, शिकायत निरस्त

हरिभूमि न्यूज : कैथल
हरियाणा में कैथल के पूर्व उपायुक्त आईएएस प्रदीप दहिया पर 3-3 लाख रुपए लेकर शस्त्र लाइसेंस बनाने के आरोप बे-बुनियाद मिले हैं। इस पर हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने संबंधित शिकायत को 4 जुलाई 2022 को निरस्त कर दिया था। जन सूचना अधिकार 2005 के तहत ली गई सूचना में इसका खुलासा हुआ है।
जानकारी के अनुसार कैथल निवासी गुरमीत सिंह पुत्र उजागर सिंह ने गृह मंत्री अनिल विज को 26 मई 2022 को एक शिकायत दी थी। इस दौरान उसने कुछ अन्य जगहों पर भी शिकायत प्रेषित की। इन्हीं में से एक शिकायत अन्य ट्रैक से होते हुए हाल ही में शीर्ष अधिकारी के सामने आई। इसमें शिकायतकर्ता ने न तो स्वयं की व्यक्तिगत पहचान को उजागर किया और न ही शिकायत से जुड़े कोई दस्तावेज प्रस्तुत किए। आरटीआई में यह साफ हुआ कि हरियाणा मुख्य सचिव संजीव कौशल करीब पांच माह पहले ही प्रदीप दहिया पर लगाए गए आरोपों की शिकायत को फाइल करने के आदेश दे चुके हैं।
भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तत्कालीन उप सचिव जी.श्रीनिवासन के 18 अक्टूबर 2013 के विभिन्न विभागों को जारी दिशा-निर्देश का हवाला देते हुए मुख्य सचिव द्वारा यह कार्रवाई अमल में लाई गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 के भारत सरकार के निदेर्शों का लक्ष्य कुशलता से कार्य करने वाले केंद्र व राज्यों में तैनात आईएएस स्तर के अधिकारियों के खिलाफ आधारहीन शिकायतों के सिलसिले को रोकते हुए सरकार की छवि को धूमिल होने से बचाए रखना है।
इस तरह साफ हुई तस्वीर
कैथल के पूर्व डीसी प्रदीप दहिया के खिलाफ शस्त्र लाइसेंस में अनियमितताओं को लेकर दी गई शिकायत का मामला उस समय सामने आया जब करनाल मंडल के आयुक्त संजीव वर्मा जिला के बूथों का निरीक्षण करने पहुंचे। उस दौरान उन्हें इस मामले की जांच सौंपे जाने को लेकर प्रश्न पूछा गया तो वे बिना जवाब दिए रुखस्त हो लिए थे। इसके साथ ही अन्य अधिकारी भी इस पर चुप्पी साधे हुए थे। अब आरटीआई ने यह साफ कर दिया है कि पहले ही मुख्य सचिव स्तर पर निरस्त होने के बाद अन्य अधिकारी स्तर पर जांच का कोई औचित्य ही नहीं रहा।
तथ्यों से परे थे आरोप : प्रदीप दहिया
कैथल के पूर्व जिला उपायुक्त प्रदीप दहिया ने बताया कि शस्त्र लाइसेंस मामले को लेकर एक आरटीआई ली गई। इसमें मुख्य सचिव द्वारा 4 जुलाई 2022 को संबंधित शिकायत को निरस्त किया गया है क्योंकि जो शिकायत की गई उसमें आरोप बे-बुनियाद और तथ्यों से परे थे।
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