Ambala : मारकंडा ने चौथी बार दिखाया रौद्र रूप, नदी के साथ लगते क्षेत्रों की फसल हुई जलमग्न

- किसानों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें, पहाड़ी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश व फ़टे बादल से नदी में आया सैलाब
- हेमामाजरा सोहना मार्ग पानी के बहाव में बहा
Ambala : पहाड़ों में हुई मूसलाधार बारिश से मुलाना क्षेत्र से होकर गुजरने वाली मारकंडा नदी में एक बार फिर से पानी का भारी सैलाब आया। मारकंडा नदी के साथ ही पहाड़ों से निकलने वाली रूण नदी भी उफान पर रही। दोनों नदियों के मिले जलस्तर ने ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी। हालांकि मुलाना क्षेत्र से मारकंडा में आकर मिलने वाली तीसरी नदी बेगना शांत रही। यदि इस नदी में भी पानी आता तो भारी नुकसान हो सकता था।
बता दें कि इस बरसात के इस सीजन में चौथी बार मारकंडा नदी में इतना ज्यादा पानी आया है। बीते रविवार को मारकंडा नदी शांत थी। नदी में सामान्य रूप से पानी बह रहा था। लेकिन पहाड़ी क्षेत्र में हुई भारी बारिश व बादल फटने जैसी घटनाओं के मद्देनजर नहरी विभाग समेत प्रशासन अलर्ट हो गया था । रविवार की देर शाम ही प्रशासन व नहरी विभाग ने नदी के तटबंधों के नजदीक रहने वाले लोगों को ज्यादा पानी आने बारे आगाह कर दिया था। प्रशासन ने एनएच 344 पर अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों को भी पानी आने की संभावना बारे सूचित कर दिया था। देर रात तक ग्रामीण नदी के तटबंधों का पहरा देते रहे ताकि कोई अनहोनी घटना न हो। सोमवार की सुबह मारकंडा नदी ने करीब 7 बजे 9.7 फीट 47318 क्यूसिक पानी दर्ज हुआ। जो बढ़ता हुआ दोपहर 12 बजे 10 फीट के निशान तक पंहुच गया। यहां पानी करीब 49073 क्यूसिक था। बढ़ता जलस्तर क्षेत्र वासियों को चिंतित करने लगा ।
मारकंडा नदी के इस बढ़ते जलस्तर में रूण नदी का 12 फीट करीब 18 हजार क्यूसिक पानी भी शामिल रहा। ऐसा बताया जा रहा है कि अक्सर मारकंडा नदी में ज्यादा पानी होता है लेकिन सोमवार को रूण नदी में भी बहुत ज्यादा पानी बह रहा था। कहा जा रहा है कि पहाड़ों में बादल फटने के कारण रूण नदी का जलस्तर काफी बढ़ा । दोपहर 3 बजे मारकंडा नदी का जलस्तर घटकर 9.5 फीट 46150 क्यूसिक पर आ गया था। विभाग के अनुसार कालाअंब में जलस्तर गिरने के चलते मुलाना क्षेत्र से होकर गुजरने वाली मारकंडा नदी का जलस्तर भी धीरे धीरे घटेगा।
पानी की वजह से बही अस्थाई पटरी
जब-जब मारकंडा नदी उफान की ओर आती है, तब-तब हेमामाजरा गांव के ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती है। क्योंकि नदी पर तटबंध न होने के चलते मारकंडा नदी का पानी खेतों के रास्ते मारकंडा नदी में घुस जाता है। यहां फसलों को भारी नुकसान पहुंचाता है। सोमवार को भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला कि मारकंडा नदी का पानी हेमामाजरा गांव में घुस गया। हालांकि हेमामाजरा गांव के ग्रामीण स्थाई पटरी बनाए जाने की सरकार से लगातार मांग करते आ रहे है ताकि मारकंडा नदी के बहाव से उनकी फसलें बची रही। इस बार जुलाई के अंत मे अनेक किसानों ने पटरी बनाए जाने को लेकर सहमति के शपथ पत्र भी दिए। नहरी विभाग द्वारा फिलहाल यहां पर अस्थाई पटरी बांधने का काम किया। लेकिन मारकंडा नदी में आए उफान से हेमामाजरा में नहरी विभाग द्वारा बनाई गई अस्थाई रोक भी टूट गई। इससे हेमामाजरा गांव के खेतों में ज्यादा पानी जाने लगा। हेमामाजरा सहित घेलड़ी, सोहाना, तंदवाल व अन्य गांवों के फसलों में फिर से मारकंडा नदी के पानी ने फसलों को पानी मे डुबो दिया। इसके साथ ही मारकंडा नदी के पानी से हेमामाजरा से सोहना जाने वाली सड़क पानी के बहाव में बह गई। जिस कारण हेमामाजरा सोहाना का सम्पर्क फ़िलहाल कट गया है।
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