धाकड़ हरियाणवी पंच : अमित पंघाल ने बदला मेडल का रंग, रोहतक के गांव मायना में खुशियों की बरसात

धाकड़ हरियाणवी पंच : अमित पंघाल ने बदला मेडल का रंग, रोहतक के गांव मायना में खुशियों की बरसात
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वर्ष 2018 में गोल्ड कोस्ट में इसी स्पर्धा में पंघाल ने सिल्वर मेडल जीता था। उसी समय इन्होंने तय कर लिया था कि चार साल होने वाली स्पर्धा में मेडल का रंग बदलकर ही देश लौटा जाएगा

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

बर्घिँघम में खेले जा रहे राष्ट्रमंडल खेल में स्टार मुक्केबाज अमित पंघाल ने रविवार को जैसे ही गोल्डन पंच जड़ा तो इनके गांव मायना में लोग खुशियों से सराबोर हो गए। इससे पहले वर्ष 2018 में गोल्ड कोस्ट में इसी स्पर्धा में पंघाल ने सिल्वर मेडल जीता था। उसी समय इन्होंने तय कर लिया था कि चार साल होने वाली स्पर्धा में मेडल का रंग बदलकर ही देश लौटा जाएगा और पंघाल ने रविवार को यह साबित कर दिया। इन्होंने पुरुष के फ्लाईवेट (48-51 किग्रा) वर्ग के फाइनल में इंग्लैंड के कियारन मैकडोनाल्ड को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

इसके बाद अमित के घर में मैच का महिलाएं तालियां बजा कर नाचने लगी तो बुजुर्ग भी अमित के उज्जवल भविष्य की कामना करने लगे। पिता विजेंद्र सिंह ने बताया कि बेटे एक बार फिर दुनिया में तिरंगे का सम्मान बढ़ा दिया है। सिंह ने कहा कि बेटा दुनिया का नंबर एक बॉक्सर है। फिलहाल जीत के बाद से अमित के घर ही नहीं, बल्कि पूरे मायना में खुशियों की बरसात हो रही है।



बचपन से ही घर में था मुक्केबाजी का माहौल

16 अक्टूबर 1995 को हरियाणा (Haryana) के रोहतक जिले के मायना गांव में जन्में अमित के पिता विजेंदर सिंह पेशे से किसान हैं। घर में बचपन से ही उन्हें मुक्केबाजी का माहौल मिला था, बड़े भाई अजय बॉक्सिंग किया करते थे। बड़े भाई अजय ने ही अमित को बॉक्सिंग के लिए प्रेरित किया, बड़े भाई अजय सेना में हैं। जिसके बाद अमित ने भी उनकी सलाह को मानते हुए जी तोड़ मेहनत की और देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। वहीं पंघाल ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक के लक्ष्य तक पहुंचने के मकसद से पूर्व अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज एवं अपने गुरु अनिल धनखड़ की निगरानी में पिछले कई साल से कमजोरियों को दूर करने के लिए लगातार पसीना बहाया है।


अमित पंघाल के घर नाचती महिलाएं।

22 साल की उम्र में बटोरी सुर्खियां

महज 22 साल की उम्र में ही ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट को हराकर पंघाल ने इतिहास रचा। 2017 में राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद वह उसी साल में एशियन चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीतते ही सुर्खियों में आए। जिसके कारण उन्हें विश्व चैंपियनशिप में पहली बार जगह मिली। हालांकि, वह अंतिम चार के मुकाबले में बाहर हो गये। 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में मुक्के का दम दिखाने का जुनून ही था जो उन्होंने फाइनल में जगह बनाई। लेकिन इसमें उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। उसके बाद एशियाई खेलों में हार का बदला चुकता कर 49 किलोग्राम वर्ग में 2016 रियो ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट उजबेकिस्तान के दुश्मातोव को हराकर स्वर्ण जीता।

भारतीय सेना में बने नायब सूबेदार

भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात अमित पंघाल ओलंपिक 2020 में भारत के मेडल की बड़ी आस बनकर उभरे हैं। भारतीय मुक्केबाजी में पंघाल के ऊपर चढ़ने का ग्राफ शानदार रहा है। इसकी शुरुआत 2017 एशियाई चैम्पियनशिप में 49 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक से हुई थी। वह इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण करते हुए क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे और फिर उन्होंने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार स्वर्ण पदक हासिल किए और फिर वह 2018 में एशियाई चैम्पियन बने।

अमित की उपलब्धियां

-2017 में राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप मे स्वर्ण पदक

-2017 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक

-2018 में राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक

-2019 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक

-2019 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक

-2019 में विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक

-2021 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक


अमित के घर बांटी जा रही मिठाई।

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