बढ़ती ठंड से पशुओं में घट रही दूध की मात्रा, ऐसे रखें अपने मवेशियों का ध्यान

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
समूचे इलाके में इन दिनों गिर रही कड़ाके की ठंड का असर आमजन के साथ-साथ पशुधन में भी देखने को मिल रहा है। भारी ठंड के कारण जहां पशुओं में दूध की मात्रा घट रही है, वहीं पशु बीमार भी पड़ रहे हैं। इसके कारण पशुपालकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले करीब एक पखवाड़े से क्षेत्र में लगातार तापमान गिर रहा है, जिस कारण सर्दी में भी बढ़ोतरी हो रही है। वहीं दो-तीन दिनों से दोपहर को सूर्यदेव के कुछ समय के लिए दर्शन होने लगे हैं, लेकिन शीतलहर चलने और बीच में बादल छाने से लोगों को ज्यादा राहत नहीं मिल पाई है।
कृषि प्रधान हरियाणा में किसान खासकर ग्रामीण खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी खूब अपनाए हुए हैं। मगर आजकल कड़ाके की ठंड से आमजन ही नहीं, पशुधन भी परेशान हैं और इससे उनके दूध में गिरावट आ रही है।इतना ही नहीं, कई पशु तो भारी ठंड की चपेट में भी आ गए हैं और घर-घर में पशु बीमार हो रहे हैं। कई पशुओं ने दूध भी देना छोड़ दिया गया है। इससे पशुपालकों का भी नुकसान हो रहा है। परिवार का खानपान भी प्रभावित हो गया है।
बढ़ती ठंड ने बढ़ाई पशुपालकों की दिक्कत
ठंड का प्रकोप बढ़ने से पशुपालकों की परेशानी बढ़ी हुई है। पशुपालकों ने बताया कि पिछले कई दिनों से बढ़ रही ठंड के कारण पशुओं में न केवल दूध की मात्रा घट रही है, बल्कि पशु बीमार भी पड़ रहे हैं। कड़ाके की ठंड के कारण पशु दो से तीन किलो तक कम दूध दे रहे हैं। धूप नहीं निकलने के कारण पशुओं के लिए हरे चारे की भी कमी खल रही है। इससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मनुष्यों की तरह ही पशुधन का बचाव
वेटनरी सर्जन डा. जगबीर सिंह ने बताया कि मनुष्यों की भांति ही पशुओं को भी ठंड लगती है। इसलिए उन्हें कपड़ों से ढककर रखें। पशुपालक पशुओं को खुले आसमान के नीचे न बांधे। वह पानी पीना कम कर देते हैं। इसलिए उन्हें ताजा पानी पिलाएं। यदि पशु बीमार हो जाए तो उसका प्रशिक्षित पशु चिकित्सक से ईलाज कराएं।
पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- रात्रि में पशुओं को बाहर खुले में नहीं बांधे।
- पशुओं को मोटे कपड़े, कंबल या बोरी ओढ़ाकर सर्दी से बचाव करें।
- पशु को ताजा और स्वच्छ जल पिलाएं।
- पक्के फर्श पर नरम और नमी रहित गद्दे बिछाएं।
- पशुओं को दिन के समय खुली धूप में बांधे तथा सीधी ठंडी हवाओं से बचाएं।
- पशुओं के सींग पर कपड़ा बांधे।
- बछड़े और बछड़ियों को उचित मात्रा में दूध पिलाएं।
- समय पर कृमिनाशक औषधि पिलाएं।
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